डर के साये में मोदी! 17 में से 12 मंत्रियों की होगी छुट्टी? नए चेहरों की चर्चा तेज

गुजरात में BJP कर सकती है मंत्रिमंडल में बड़ी सर्जरी! चर्चा है कि 17 में से 12 मंत्रियों की छुट्टी तय मानी जा रही है... वहीं नए चेहरों को...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों गुजरात भारतीय जनता पार्टी का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है.. इन दिनों राजनीतिक हलचल से भरा पड़ा है.. दिवाली के त्योहार से ठीक पहले राज्य सरकार में बड़े स्तर पर फेरबदल की अटकलें जोर पकड़ रही हैं.. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार में कुल 17 सदस्यों की टीम है.. जिसमें से 10 से 12 मंत्रियों को हटाए जाने की बात कही जा रही है.. यह बदलाव न केवल सरकारी स्तर पर होगा.. बल्कि बीजेपी के गुजरात इकाई के नए अध्यक्ष के ऐलान की भी उम्मीद है.. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि.. यह फेरबदल राज्य के आगामी महानगरपालिका.. और नगर निगम चुनावों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है.. जहां बीजेपी अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहती है..

वहीं यह खबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया गुजरात दौरे के बाद तेज हुई है.. दोनों नेताओं ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में बंद कमरों में बैठकें कीं.. जिनमें स्थानीय विधायकों, मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों से चर्चा हुई.. सूत्रों के अनुसार अमित शाह ने कई प्रस्तावों को हरी झंडी दे दी है.. यह फेरबदल 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद पहली बड़ी सर्जरी होगी.. जब बीजेपी ने 156 सीटें जीतकर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी.. उस समय भूपेंद्र पटेल ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.. लेकिन तब से मंत्रिमंडल में कोई बदलाव नहीं हुआ.. वहीं अब तीन साल बाद, पार्टी युवा और नए चेहरों को मौका देने के साथ-साथ पुराने मंत्रियों की कमजोरियों को दूर करने की कोशिश कर रही है..

आपको बता दें कि राज्य के राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि यह बदलाव केवल नामों का खेल नहीं.. बल्कि लंबे समय की रणनीति का हिस्सा है.. गुजरात में बीजेपी की जीत लगभग तय मानी जाती है.. लेकिन विपक्षी दलों जैसे कांग्रेस और आप की सक्रियता ने पार्टी को सतर्क कर दिया है.. विशेषज्ञों का कहना है कि फेरबदल से सरकार की छवि नई ऊर्जा से भर जाएगी.. और शहरों के चुनावों में बीजेपी को फायदा होगा..

गुजरात की राजनीति बीजेपी के आने के बाद हमेशा से स्थिर रही है.. 1995 से राज्य में बीजेपी की सरकार है.. और 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह गढ़.. और मजबूत हो गया.. 2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 182 सीटों वाली सभा में 156 सीटें जीतीं.. जो उसकी सबसे बड़ी जीत थी.. भूपेंद्र पटेल एक सिविल इंजीनियर और पूर्व नगर निगम आयुक्त रहे हैं.. उनको 13 सितंबर 2022 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाया गया.. उनकी कैबिनेट में 27 सदस्य थे.. लेकिन बाद में कुछ बदलावों के बाद यह 17 पर सिमट गई.. इसमें 9 कैबिनेट मंत्री और 8 राज्य मंत्री शामिल हैं..

वर्तमान मंत्रिमंडल में विविधता है.. इसमें पटेल, ठाकोर, कोली, दलित और आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधि हैं.. जो गुजरात की सामाजिक संरचना को दर्शाता है.. गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी युवा चेहरा हैं.. जबकि सहकारिता मंत्री जगदीश विश्वकर्मा किसान मुद्दों पर मजबूत पकड़ रखते हैं.. स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कोविड के बाद स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया.. और उद्योग मंत्री बलवंत सिंह राजपूत ने निवेश आकर्षित करने में भूमिका निभाई.. लेकिन कई मंत्रियों पर आरोप लगे कि वे अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे.. कुछ ने विधानसभा क्षेत्रों में विकास कार्यों में देरी की.. तो कुछ घोटालों से जुड़े रहे..

2022 से अब तक सरकार ने कई उपलब्धियां हासिल कीं.. गुजरात ने 17 नए तालुकाओं का निर्माण किया.. जो प्रशासनिक सुविधा बढ़ाएगा.. स्टार्टअप कॉनक्लेव 2025 में अमित शाह ने भाग लिया.. और पीएम मोदी ने 20 सितंबर को भावनगर में 34,200 करोड़ के प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया.. लेकिन राजनीतिक स्तर पर स्थिरता के बावजूद, आंतरिक असंतोष बढ़ा.. सौराष्ट्र क्षेत्र में सीआर पाटिल के खिलाफ विरोध है.. जो वर्तमान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हैं.. लोकसभा चुनाव 2024 में कुछ मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी उम्मीदवार हार गए.. जो कमजोरी का संकेत था.. इन सबके बीच दिवाली से पहले फेरबदल की अफवाहें तेज हो गईं..

वहीं यह बदलाव गुजरात की राजनीति में नया नहीं है.. 2016 में आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद विजय रूपाणी बने.. और 2021 में फिर बदलाव हुआ.. लेकिन 2022 के बाद यह पहला बड़ा कदम है.. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति के तहत ऐसा कर रही है.. जहां स्थानीय चुनावों से पहले टीम को तरोताजा किया जाता है.. सबसे बड़ा ट्रिगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.. और गृह मंत्री अमित शाह के हालिया दौरे हैं.. 20 सितंबर को पीएम मोदी ने भावनगर, धोलेरा.. और लोथल में बंदरगाह ऊर्जा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में 34,200 करोड़ के प्रोजेक्ट्स लॉन्च किए.. लेकिन राजनीतिक रूप से यह दौरा महत्वपूर्ण था.. क्योंकि उन्होंने स्थानीय नेताओं से अलग-अलग मुलाकातें कीं.. फिर 23 सितंबर से अमित शाह का तीन दिवसीय गुजरात दौरा शुरू हुआ.. वे सूरत और राजकोट में बंद कमरों की बैठकों में विधायकों, मंत्रियों और उद्योगपतियों से मिले..

सूरत में शाह ने सहकारी समितियों के सम्मेलन में भाग लिया.. जबकि राजकोट में बीजेपी के स्थानीय नेताओं से चर्चा की.. इन बैठकों में मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल प्रमुख मुद्दे थे.. सूत्र बताते हैं कि शाह ने सीआर पाटिल से उनके घर पर मुलाकात की.. जहां प्रदेश अध्यक्ष के उत्तराधिकारी पर बात हुई.. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ये बैठकें आगामी लोकल बॉडी इलेक्शंस के लिए हैं.. जहां बीजेपी को 50 से ज्यादा निगमों में जीत चाहिए..

बीजेपी के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने 26 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जब फेरबदल होगा.. तो हम आपको बता देंगे.. हम बिना बताए कोई फैसला नहीं लेंगे.. यह बयान अफवाहों को हवा देता है.. साथ ही बनास डेयरी के बोर्ड चुनावों में आंतरिक गुटबाजी ने फेरबदल की जरूरत बताई.. सौराष्ट्र में पाटिल के खिलाफ विरोध के कारण नए चेहरे लाने की बात हो रही है..

इन दौरे के बाद मीडिया में खबरें छाईं.. बॉम्बे समाचार ने लिखा कि कमलम मुख्यालय में सीएम पटेल और पाटिल की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी.. जहां बड़ा ऐलान हो सकता है.. नवभारत टाइम्स ने बताया कि अमित शाह ने कई प्रस्तावों को मंजूरी दी है.. लोकमत ने भी 12 मंत्रियों की छुट्टी की बात कही.. ये सब मिलकर एक तस्वीर बनाते हैं कि फेरबदल नजदीक है.. वर्तमान 17 सदस्यीय मंत्रिमंडल में से केवल पांच ही बचने की उम्मीद है.. सबसे ऊपर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, जिनकी कुर्सी पर कोई सवाल नहीं.. फिर गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी.. जो युवा और सक्रिय हैं.. सहकारिता मंत्री जगदीश विश्वकर्मा किसान मुद्दों पर मजबूत हैं.. स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने महामारी के बाद अच्छा काम किया.. उद्योग मंत्री बलवंत सिंह राजपूत ने निवेश बढ़ाया.. ये पांच ही बचे रहने की संभावना है..

बाकी 10-12 मंत्रियों पर तलवार लटकी है.. जिसमें कुछ ने कार्यालय ही नहीं संभाला.. एक मंत्री के दोनों बेटे ग्रामीण रोजगार योजना से जुड़े घोटाले में आरोपी हैं.. जिससे वे मीटिंग्स से दूर रहे.. एक मंत्री की सेहत खराब है.. तो एक उत्तर गुजरात के मंत्री पोंजी स्कैम से जुड़े हैं.. कुछ मंत्रियों को उनके क्षेत्र के बाहर पहचान नहीं.. और दो ने बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट्स पर गलत जानकारी दी.. 2024 लोकसभा चुनावों में एक मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार 24 हजार वोटों से हार गया.. ये कमजोरियां फेरबदल का आधार हैं..

आपको बता दें कि गुजरात में भी अपनी जमीन खिसकता देख.. पार्टी अब युवा नेताओं को तरजीह दे रही है.. जयेश रादडिया सौराष्ट्र से हैं.. उनको मौका मिल सकता है.. वे किसान मुद्दों पर सक्रिय हैं.. अल्पेश ठाकोर, ठाकोर समुदाय के युवा नेता है. उनको OBC प्रतिनिधित्व के लिए जगह मिल सकती है.. अमित ठाकर स्थानीय स्तर पर मजबूत हैं.. हार्दिक पटेल, पटेल समुदाय के चेहरे है.. जिन्होंने 2015 आंदोलन से फेम पाई.. सबसे दिलचस्प अर्जुन मोढ़वाड़िया.. जो हाल ही में कांग्रेस से बीजेपी में आए.. उनकी राजनीतिक अनुभव से पार्टी को फायदा होने की उम्मीद लगाई जा रही है..

वडोदरा से केयूर रोकड़िया का नाम भी चर्चा में है.. वे पार्षद और मेयर भी रह चुके हैं.. शहर की समस्याओं की अच्छी समझ रखते हैं.. इसलिए वडोदरा को प्रतिनिधित्व मिलेगा.. एक अन्य विधायक का नाम भी रेस में है.. लेकिन पार्टी शहर या जिले के समीकरण साधने पर विचार कर रही है.. फेरबदल से मंत्रिमंडल का आकार बढ़ सकता है.. ताकि क्षेत्रीय संतुलन बने.. सौराष्ट्र, उत्तर गुजरात और दक्षिण गुजरात को बराबर हिस्सा मिले.. यह बदलाव लंबे समय के लक्ष्यों पर आधारित होगा..

आपको बता दें कि यह फेरबदल गुजरात के आगामी चुनावों को प्रभावित करेगा.. राज्य के बड़े शहरों जैसे अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा में महानगरपालिका चुनाव होने हैं.. बीजेपी को विपक्ष से चुनौती है.. नए चेहरों से पार्टी की छवि ताजा होगी.. और युवा वोटर आकर्षित होंगे.. हार्दिक पटेल जैसे नाम पटेल वोट बैंक को मजबूत करेंगे.. पार्टी स्तर पर, नया प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान महत्वपूर्ण है.. सीआर पाटिल सांसद हैं, और सौराष्ट्र में उनका विरोध है.. नया चेहरा संगठन को मजबूत करेगा.. अमित शाह की भूमिका केंद्रीय है.. जो गुजरात के चाणक्य कहलाते हैं.. यह फेरबदल राष्ट्रीय स्तर पर भी संदेश देगा कि बीजेपी स्थिरता के साथ बदलाव लाती है..

 

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