राहुल गांधी का सरकार पर हमला, कहा- क्या यही है देशसेवा का सिला?
राहुल गांधी ने कहा कि मोदी जी, आपने लद्दाख के लोगों को धोखा दिया है. वो अपना हक़ मांग रहे हैं. उनसे संवाद कीजिए और ये हिंसा और डर की राजनीति बंद कीजिए.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः राहुल गांधी ने लद्दाख हिंसा में मारे गए पूर्व सैनिक त्सेवांग थारचिन की मौत पर सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि पिता की दर्द भरी आंखें बस एक सवाल कर रही हैं कि क्या आज देशसेवा का यही सिला है? मोदी जी, आपने लद्दाख के लोगों को धोखा दिया है.
लद्दाख में पूर्व सैनिक त्सेवांग थारचिन की लद्दाख हिंसा में मौत पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि पिता फौजी, बेटा भी फौजी जिनके खून में देशभक्ति बसी हुई है. फिर भी BJP सरकार ने देश के वीर बेटे की गोली मारकर जान ले ली, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो लद्दाख और अपने अधिकार के लिए खड़ा था.
राहुल गांधी ने आगे लिखा कि पिता की दर्द भरी आंखें बस एक सवाल कर रही हैं कि क्या आज देशसेवा का यही सिला है? हमारी मांग है कि लद्दाख में हुई इन हत्याओं की निष्पक्ष न्यायिक जांच होनी ही चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए. राहुल गांधी ने कहा कि मोदी जी, आपने लद्दाख के लोगों को धोखा दिया है. वो अपना हक़ मांग रहे हैं. उनसे संवाद कीजिए और ये हिंसा और डर की राजनीति बंद कीजिए.
पिता फौजी, बेटा भी फौजी – जिनके खून में देशभक्ति बसी है।
फिर भी BJP सरकार ने देश के वीर बेटे की गोली मारकर जान ले ली, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो लद्दाख और अपने अधिकार के लिए खड़ा था।
पिता की दर्द भरी आंखें बस एक सवाल कर रही हैं – क्या आज देशसेवा का यही सिला है?
हमारी मांग है कि… pic.twitter.com/cJqKstISjg
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 30, 2025
थारचिनके पिता ने क्या कहा?
थारचिन के पिता ने कहा कि पुलिस या एसएसपी का बच्चा मरता तो वो क्या सोचता? गरीब को मारने में उनको आसान लगता है. अगर उनके खुद के बच्चे के साथ ऐसा हुआ होता तो वो क्या इसे सहते? मुझे पता है कि वो इसे कभी नहीं सहते. उन्होंने कहा कि मैं भी फौज में था और 32 साल सर्विस की है. हर मुश्किल जगह पर ड्यूटी के लिए गया था.पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, रूस से सटे इलाकों में मैंने ड्यूटी की है.
उन्होंने कहा कि वो जगह इतनी मुश्किल थी कि वहां तापमान -35 डिग्री सेल्सियस तक जाता है. वहां पीने के लिए पानी भी नहीं होता था. बर्फ को तोड़कर, पिघलाकर किसी तरह से खाना बनाकर हम अपनी सेहत को ठीक रखते थे. इन्हें भला ये मुश्किलें कैसे पता होंगी, ये तो घर से निकलते हैं बाजार जाते हैं और फिर से घर वापस आ जाते हैं.
कौन था थारचिन?
त्सेवांग थारचिन कारगिल युद्ध के एक वीर सैनिक थे, जिनकी लद्दाख हिंसा में मौत हो गई. उनकी उम्र 46 साल थी.उन्होंने सेना से समय से पहले रिटायर्मेंट ले ली थी. वो वापस आकर एक गारमेंट दुकान चला रहे थे. 24 सितंबर को थारचिन ने लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और आदिवासी अधिकारों के लिए छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन में मौके पर लोगों के साथ शामिल हो गए थे. फिर जब हिंसा बढ़ गई तो वो अपने घरवालों से संपर्क नहीं कर पा रहे थे. वो मौके पर हालात देखकर घबरा गए. घरवालों तक जब खबर पहुंची तब तक बहुत देर हो चुकी थी. थारचिन इस दुनिया को छोड़कर जा चुके थे.
आपको बता दें,कि थारचिन, दूसरे पूर्व सैनिकों के साथ 10 सितंबर से लेह एपेक्स बॉडी की ओर से आयोजित विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा ले रहे थे. वह उन चार लोगों में से एक थे, जिनकी पिछले हफ्ते विरोध प्रदर्शन हिंसक होने पर पुलिस की गोलीबारी में जान चली गई.



