जागरूकता पोस्टर न लगाएं जाने से भड़के डीएम, कहा- नगर आयुक्त और सभी के खिलाफ होगी कार्रवाई
- संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बीच अभिषेक प्रकाश ने संभाला मोर्चा
लखनऊ। देश और प्रदेश में तेजी से पैर पसार रहे कोरोना की तीसरी लहर के बीच लखनऊ जिला प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है। राजधानी निवासियों को जागरूक करने के लिए जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश पूरी तरह सजग है। संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बीच अभिषेक प्रकाश ने कोविड को देखते हुए खुद मोर्चा संभाल लिया है। इसी क्रम में वे लगातार शहर की स्थितियों का आंकलन कर रहे हैं। अभिषेक प्रकाश आज जब दौरे पर निकले तो नगर निगम की लापरवाही पर भड़क उठे। उन्होंने कोरोना के प्रति जागरूकता पोस्टर न लगाए जाने से नाराजगी दिखाते हुए नगर आयुक्त और एसडीएम सदर के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा। कोविड-19 संक्रमण को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश लगातार फील्ड पर हैं।
वे स्वयं निकलकर होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों से संवाद कर रहे हैं। उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों से पूछा कि आखिर कोविड कमांड सेंटर हेल्पलाइन नम्बर के पोस्टर अब तक क्यों नहीं लगे। जबकि राजधानी के गली मोहल्लों में कोरोना रोकथाम जागरूकता के पोस्टर लगने थे। संक्रमण की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए कोरोना से बचाव व हेल्पलाइन के पोस्टर बैनर अब तक लग जाने चाहिए थे। अभिषेक प्रकाश ने कोविड के नंबर के साथ दस हजार से ज्यादा पोस्टर लगाने के सख्त आदेश दिए और कहा कि लापरवाही बरतने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इससे एक दिन पहले डीएम ने जीपीओ चौराहे से नगर निगम की 30 जागरूकता 1 और 12 सेनेटाइजेशन गाड़ियों को रवाना किया। जो वार्ड में घूम-घूम कर लोगों को कोरोना वायरस के खिलाफ जागरूक कर उन्हें मास्क लगाने, घर में सुरक्षित रहने, टीकाकरण के लिए जागरूक करेंगे। साथ ही 110 वार्डों के 110 कोरोना जागरुकता वालंटियर और 20 नागरिक सुरक्षा वॉलिंटियर्स ने मानव श्रृंखला बनाकर प्रण लिया कि अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करेंगे।
सरकारी दफ्तरों में 50 प्रतिशत कार्मिकों के साथ ही अब होगा काम
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के गति पकड़ने के साथ ही सीएम योगी ने सतर्कता भी बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के प्रबंधन के लिए गठित उच्चस्तरीय टीम-09 की बैठक में कोरोना के बढ़ते प्रसार को देखते हुए नई गाइडलाइन भी जारी कर दी है। उन्होंने निर्देश दिया कि प्रदेश के सभी सरकारी दफ्तरों में 50 प्रतिशत कार्मिकों के साथ ही कार्य कराएं। किसी भी कीमत में 50 प्रतिशत से अधिक कर्मी एक समय में किसी भी दफ्तर में ना आएं।