169 करोड़ की रिश्वत… घोटालेबाज इस अधिकारी का खुला काला चिट्ठा, पत्नी बनाती काले धन को सफेद

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने महाराष्ट्र के वसई-विरार में हुए अवैध निर्माण घोटाले के मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है. जांच में सामने आया कि आरोपी ने इस घोटाले से कमाए गए अवैध पैसों से गहने, आईफोन और 70 हजार रुपए का महंगा पेन खरीदा. ईडी ने इस मामले की मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत जांच की है. कुल 41 अवैध इमारतें बनाईं गई थीं. 8 जुलाई 2024 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने वसई पूर्व में इन अवैध इमारतों को गिराने का आदेश दिया था. इस मामले में अब तक कुल कुर्की/जब्ती 161 करोड़ रुपए (लगभग) की हुई है.
चार्जशीट में बताया गया है कि वसई विरार सिटी नगर निगम (VVCMC) के पूर्व कमिश्नर और भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी अनिल पवार ने कई बिल्डिंग प्लान्स को मंजूरी दी और इसके साथ ही अवैध निर्माण पर आंखें भी मूंद रखीं. इसी के लिए उन्होंने रिश्वत और कमीशन लिया, जिसके माध्यम से लगभग 169 करोड़ रुपए कमाए.
ये मामला 2009 से वसई विरार नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में अवैध निर्माण से संबंधित है. बाद में पिछले साल हाई कोर्ट ने सभी 41 इमारतों को गिराने का आदेश दिया. इससे लगभग 2500 परिवार बेघर हो गए. इमारतों को गिराने का काम इसी साल 20 फरवरी को पूरा हुआ.
पवार ने बना रखा था गिरोह
ईडी के चार्जशीट में कुल 18 नाम हैं. इसके अनुसार, 2022 में वीवीसीएमसी में कमिश्नर के तौर पर शामिल होने के बाद पवार ने कथित तौर पर नगर निगम अधिकारियों, जूनियर इंजीनियर्स, आर्किटेक्ट्स, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और लाइजनर्स का एक गिरोह बना रखा था. किसी भी प्रकार की परमिशन देने के लिए रिश्वत और कमीशन की रकम तय की गई थीं. इसके साथ ही अपने परिवार के सदस्यों और बेनामीदार के नाम पर बनाई गई संस्थाओं के माध्यम से इस पैसे को व्हाइट मनी बनाने का भी काम किया गया.
अनिल पवार ने अपने 3 साल के कार्यकाल के दौरान ही 169 करोड़ रुपए से अधिक की रिश्वत ली. एजेंसी ने दावा किया कि अवैध निर्माण में बहुजन विकास आघाडी (BVA) के पूर्व पार्षद सीताराम गुप्ता और उनके रिश्तेदार अरुण गुप्ता (बिल्डर) शामिल थे. सीताराम ने अपने राजनीतिक प्रभाव का फायदा उठाते हुए भ्रष्ट नगर निकाय अधिकारियों की मिलीभगत से सुनियोजित रूप से अवैध निर्माण पर काम किया.
71 करोड़ की संपत्ति भी हुई जब्त
इस मामले में अब तक चार लोगों- अनिल पवार, वीवीसीएमसी की टाउन प्लानिंग के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर वाई शिवा रेड्डी, सीताराम और अरुण गुप्ता को इसी साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था. ईडी ने पिछले हफ्ते भी इस मामले में एक्शन लेते हुए 71 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की थी. इसमें से लगभग 44 करोड़ रुपए की संपत्ति पवार से जुड़ी थी.
2022 से VVCMC के प्रमुख रहे पवार का इसी साल जुलाई में ट्रांसफर हुआ. इस दौरान नगर निगम के सभी विभाग उनकी निगरानी में थे. उनके कार्यकाल के दौरान रिश्वत टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट के द्वारा वसूली जाती थी. रिश्वत की दर तय थी. शहरी क्षेत्र में 20-25 रुपए प्रति वर्ग फुट की दर से रिश्वत ली जाती थी. वहीं ग्रीन जोन 62 रुपए प्रति वर्ग फुट की दर से रिश्वत ली जाती थी.
इस रेट पर ली गई थी रिश्वत
ईडी के अनुसार, पवार ने रेड्डी के साथ मिलकर शहरी और हरित क्षेत्रों में निर्माण के लिए कार्यारंभ प्रमाण पत्र (commencement certificate) जारी करने का काम किया. जो अवैध निर्माण हो चुका है उसे संरक्षण देने और जो अनधिकृत निर्माण हो रहा है उसकी निगरानी के लिए भी रेट फिक्स थे. 150 रुपए प्रति वर्ग फुट के लिए जाते थे. इसमें से 50 रुपए प्रति वर्ग फुट अकेले पवार का हिस्सा था. इन 41 इमारतों को भी संरक्षण दिया गया और इसी रेट पर रिश्वत ली गई.
चार्जशीट में पवार की पत्नी का भी नाम
ईडी की जांच से सामने आया है कि इस काले धन को सफेद करने के लिए पवार ने अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और बेनामीदारों के नाम पर कई संस्थाएं बनाईं. इस रकम का इस्तेमाल सोने, हीरे और मोतियों के आभूषण और महंगी साड़ियां खरीदने में किया गया. पैसे को गोदामों, फार्महाउस और पत्नी के नाम पर एक रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट में भी निवेश किया. पवार और रेड्डी की व्हाट्सऐप चैट से भी महंगी आइटम खरीदने का खुलासा हुआ. ईडी का चार्जशीट में पवार की पत्नी भारती पवार का भी नाम है. रिश्वत और कमीशन के पैसे को लीगल बनाने में उनकी बड़ी भूमिका सामने आई है.
भारती पवार ही उन कंपनियों और फर्म्स में पार्टनर, डायरेक्टर, शेयरहोल्डर बनीं जिनके माध्यम से करोड़ों के कैश को बैंकिंग चैनल के माध्यम से लीगल इनकम बनाने का काम किया गया. इस काम में पवार की 2 बेटियां और उनकी सास भी शामिल रहीं. हालांकि उनको आरोपी नहीं बनाया गया है. श्रुतिका एंटरप्राइजेज, जनार्दन एग्रो सर्विस, एंटोनोव वेयरहाउसिंग पार्क्स प्राइवेट लिमिटेड और ध्वाजा वेयरहाउस जैसी कंपनियां बनाई गईं. जनार्दन पवार का भतीजा है जो डेवलपर, बिल्डर और रियल एस्टेट ब्रॉकर है. उसके नासिक वाले घर से भी 1.32 करोड़ बरामद हुए थे.



