बिहार चुनाव : एग्जिट पोल को नो इंट्री

  • चुनाव आयोग ने लगाई पाबंदी, सख्ती से होगी कार्रवाई
  • विपक्ष का दावा महागठबंधन के पक्ष में बह रही है हवा
  • तेजस्वी ने कहा कि घबरा गया है एनडीए
  • चुनाव आयोग कह रहा है कि अफवाहों को रोकने के लिए उठाया कदम

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा से जुड़े सभी प्रकार के एग्जिट पोल पर पूर्ण पाबंदी लगा दी है। पाबंदी तब तक रहेगी जब तक नतीजे सामने नहीं आ जाते। सुनने में यह आदेश चुनाव की पवित्रता के लिए है लेकिन सियासी चौपालों में इसका मतलब कुछ और ही निकाला जा रहा है। महागठबंधन का कहना है कि हवा महागठबंधन की ओर बह रही है और चुनाव आयोग पंखा बंद करने का काम कर रहा है। तेजस्वी यादव ने कहा है कि एनडीए अब डर गया है क्योंकि जनता इस बार नौकरी की उम्मीद में ईवीएम का बटन महागठबंधन के पक्ष में दबाने जा रही है। जबकि चुनाव आयोग का दावा है कि यह फैसला अफवाहों और भ्रामक प्रचार को रोकने के लिए लिया गया है।

हो सकती है जेल और सजा

चुनाव आयोग ने निर्वाचन प्रक्रिया अधिनियम, 1951 की धारा 126 अ के तहत नोटिफिकेशन जारी कर एग्जिट पोल आयोजित करना और उनके परिणामों का प्रचार करने पर 7 नवंबर 2025 सुबह 7 बजे से लेकर 11 नवंबर 2025 शाम साढ़े छह बजे तक प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनो पर पाबंदी लगा दी है। चुनाव आयोग ने चेतावनी दी है कि धारा 126 का उल्लंघन करने पर दो वर्ष तक की जेल जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।

अफवाहों पर न दें ध्यान

आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि यह कदम निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। सभी मीडिया संस्थानों, एजेंसियों और सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स से अनुरोध किया गया है कि वे इस अवधि में एग्जिट पोल के परिणाम साझा न करें। चुनाव आयोग ने मतदाताओं से भी अपील की है कि वे इस दौरान अफवाहों और अटकलों पर ध्यान न दें और केवल आधिकारिक सूचनाओं पर ही भरोसा करें।

टीवी मीडिया को हो गया नुकसान

एग्जिट पोल बैन का सबसे सीधा असर मीडिया पर पड़ा है। टीवी चैनलों ने पहले से तय सर्वे स्लॉट रोक दिए हैं और राजनीतिक चैनलों पर अब अनुमान की जगह अनुमानबाजी शुरू हो गयी है। लेकिन वहीं सोशल मीडिया पर इसका उल्टा असर दिखा। एक्स, व्हाट्सएप ग्रुप्स और इंस्टाग्राम पेजों पर बिहार एक्जिटपोल और तेजस्वीवेव जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग कह रहे हैं चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल बंद किया है, लेकिन जनता ने एंट्री पोल शुरू कर दिया है। यानी तकनीकी बैन के बावजूद सियासी चर्चा रुकी नहीं बल्कि अब वह अंडरग्राउंड मूवमेंट की तरह फैल रही है।

बैन को हथियार बना दिया

महागठबंधन ने अब इस बैन को अपने प्रचार हथियार में बदल दिया है। तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि जब जनता बोलने लगती है तो सत्ता कान बंद कर लेती है। लेकिन बिहार में कान नहीं दीवारें बोलेंगी। कांग्रेस ने भी इसे जनमत की सेंसरशिप बताया है। आरजेडी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए हैं कि गांव-गांव जाकर बताएं कि देखो जब हमारे पक्ष में माहौल बना तो उन्होंने सर्वे बंद करा दिया। यानी आयोग का आदेश विपक्ष के लिए सियासी ऑक्सीजन बन गया है।

243 सीटों पर चुनाव

बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों पर कुल दो चरणों में चुनाव होना है। पहले चरण के लिए 6 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को वोटिंग होगी। जबकि वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी। पहले फेज में कुल 121 सीटों पर वोटिंग होगी। जिसमें नामांकन की आखिरी डेट 10 अक्टूबर और नामांकन वापस लेने की लास्ट डेट 20 अक्टूबर थी। जबकि पहले फेज के लिए 6 नवंबर को मतदान होगा। वहीं दूसरे के लिए नामांकन की आखिरी तारीफ 20 अक्टूबर और नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख 23 अक्टूबर तय की गई है। जबकि मतदातन 11 नवंबर होगा। दोनों फेज का चुनाव परिणाम 14 नवंबर को घोषित किया जाएगा।

एनडीए की कॉन्फिडेंस लीड खत्म

बिहार में एनडीए के भीतर तनाव की दरारें पहले से दिखायी दे रही हैं। जेडीयू और बीजेपी के बीच सीट बंटवारे पर नाखुशी, लोजपा (पासवान) की बगावत, और सहयोगी दलों की ठंडी सक्रियता इन सबने सत्ता पक्ष की कॉन्फिडेंस लीड को खत्म कर दिया है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डीके त्रिपाठी का कहना है कि बिहार में अभी जो साइलेंस वोटर है वो एनडीए के लिए सबसे बड़ा खतरा है। वह कुछ बोल नहीं रहा लेकिन बटन दबाने जा रहा है तेजस्वी के नाम पर।

जनता बोलेगी सर्वे नहीं

तेजस्वी यादव ने चुनावी रैली को संबोधित करते हुए एनडीए को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि बिहार में इस बार जनता का मूड साफ है। लोग नौकरी और सम्मान चाहते हैं। अब सर्वे छुपाने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी। उनका कहना है कि जब युवा किसान और मजदूर परिवर्तन के मूड में हैं तो सत्ता चाहती है कि वो लहर स्क्रीन पर दिखाई न दे।

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