एसआईआर पर नहीं थम रहा सियासी सिरदर्द
बंगाल से लेकर तमिलनाडु तक बवाल

- पूरे देश में चुनाव आयोग का विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू
- टीमएमसी, डीएमके ने ठोंकी ईसी के खिलाफ ताल
- बीएलओ के लिए पुख्ता सुरक्षा की मांग
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के फैसले को लेकर पूरे देश में सियासत गरमा गई है। सबसे ज्यादा इसको लेकर बयान बाजी गैर एनडीए शासित राज्यों में है। तमिलनाडु से लेकर पश्चिम बंगाल में भाजपा व चुनाव आयोग परवार-पलटवार आरंभ हो गया है। बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एसआईआर प्रक्रिया का खुलकर विरोध किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने के घोषणा के मद्देनजर उसने आपत्ति दर्ज कराने के लिए मंगलवार (4 नवंबर) को कोलकाता में एक विशाल विरोध मार्च का आयोजन किया। इसमें टीएमसी के लााखों लोगों ने भाग लिया।
उधर तमिलनाडु के डीएमके सरकार ने इसे खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है। चुनाव आयोग ने हाल ही में घोषणा की है कि विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया का दूसरा चरण पश्चिम बंगाल सहित उन 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया जाएगा, जहां अगले साल चुनाव होने हैं। एसआईआर प्रक्रिया 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक चलेगी। मतदाता सूची का मसौदा 9 दिसंबर को प्रकाशित किया जाएगा और अंतिम सूची 7 फरवरी को जारी की जाएगी। बीएलओ और अन्य अधिकारियों को बिना किसी डर के मंगलवार से घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने और इस प्रक्रिया को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सीईओ ने सभी जिलाधिकारियों के साथवर्चुअल बैठक की और कल एसआईआर की औपचारिक शुरुआत होने से पहले ज़रूरी निर्देश एक अधिकारी ने कहा, ‘‘घर-घर जाकर विवरण जुटाने का कार्य चार नवंबर से चार दिसंबर तक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 2002 में किये गए एसआईआर के आधार पर लोगों के विवरण का सत्यापन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मतदाता इसके लिए फॉर्म ऑनलाइन भी भर सकते हैं।
एसआईआर मताधिकार पर सीधा हमला: स्टालिन
चेन्नई। डीएमके नेता एमके स्टालिन की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दूसरे चरण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का प्रस्ताव पारित किया गया। स्टालिन ने इस प्रक्रिया को लोगों के मताधिकार को छीनने और लोकतंत्र की हत्या करने का प्रयास बताया, विशेषत: जब चुनाव आयोग ने उनकी पर्याप्त समय वाली मांगों को स्वीकार नहीं किया। यह निर्णय तमिलनाडु सहित 12 राज्यों को प्रभावित करेगा, जिसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया में मनमानी पर अंकुश लगाना है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके नेता एमके स्टालिन द्वारा रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में तमिलनाडु सहित 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के दूसरे चरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया गया। एक पोस्ट साझा करते हुए, एमके स्टालिन ने इस प्रस्ताव की घोषणा की और आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया के पीछे का उद्देश्य लोगों के मताधिकार को छीनना है। उन्होंने लिखा कि तमिलनाडु के लोगों के मताधिकार को छीनने और लोकतंत्र की हत्या करने के इरादे से जल्दबाजी में लागू किए जा रहे एसआईआर के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाना सभी दलों का कर्तव्य है। डीएमके प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने कहा, अदालत को अपना अंतिम आदेश जारी करने दीजिए। उसके बाद, वे एसआईआर पर आगे बढ़ सकते हैं। हम यही चाहते थे, और यही प्रस्ताव है। प्रस्ताव का उद्देश्य यह है कि चुनाव आयुक्त एसआईआर में अपनी मनमानी न करें।
एनआरसी लागू करने की कवायद : आरएस भारती
डीएमके नेता आरएस भारती ने एसआईआर को अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने की कवायद बताया। उन्होंने कहा, हम इसका विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इसे किसी छिपे हुए इरादे से लागू किया जा रहा है। यह एसआईआर नहीं है। यह अप्रत्यक्ष रूप से एनआरसी में शामिल होने जैसा है। हम सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं। बैठक में शामिल न होने वाले दलों पर निशाना साधते हुए भारती ने उन्हें भाजपा का गठबंधन बताया। उन्होंने कहा,हमें उनकी परवाह नहीं है। वे सभी भाजपा गठबंधन में हैं। इसलिए वे नहीं आए।

वंशवादी राजनीति पर थरूर के बयान पर हंगामा
- कांग्रेस ने किया प्रहार, भाजपा ने भी किया वार
- भाजपा ने कसा तंज, थरूर का किया समर्थन
- देश में किस अन्य परिवार ने ऐसा बलिदान दिया : प्रमोद तिवारी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद शशि थरूर द्वारा वंशवादी राजनीति को लेकर की गई टिप्पणी पर हंगामा हो गया है। कांग्रेस पार्टी जहां बचाव की मुद्रा में है, वहीं भाजपा को बैठे बिठाए एक मुद्दा मिल गया है और राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधने का मौका मिल गया है। दरअसल एक लेख में शशि थरूर ने भारत की वंशवादी राजनीति की आलोचना की। इस लेख का शीर्षक इंडियन पॉलिटिक्स आर ए फैमिली बिजनेस (भारत राजनीति एक पारिवारिक व्यापार है)। थरूर ने नेहरू-गांधी परिवार का नाम लेकर वंशवादी राजनीति का आरोप लगाया। अब इस पर कांग्रेस के नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं।
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने शशि थरूर द्वारा गांधी परिवार पर लगाए गए आरोपों पर कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू इस देश के सबसे सक्षम प्रधानमंत्री थे। इंदिरा गांधी ने अपना जीवन बलिदान करके खुद को साबित किया। राजीव गांधी ने भी बलिदान देकर देश सेवा की। ऐसे में अगर कोई गांधी परिवार के वंशवाद की बात करता है तो फिर देश में किस अन्य परिवार ने ऐसा बलिदान, समर्पण और क्षमता दिखाई है। क्या वो भाजपा है?
शाह भी वंशवादी राजनीति को बढ़ा रहे : उदितरज
कांग्रेस नेता उदित राज ने गांधी परिवार की वंशवादी राजनीति का बचाव करते हुए कहा कि एक डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है और बिजनेसमैन का बेटा बिजनेसमैन। राजनीति भी अपवाद नहीं है। अगर एक राजनेता का आपराधिक इतिहास है तो ये हमारे समाज की सच्चाई को दिखाता है। चुनाव टिकट जाति और परिवार के आधार पर बांटे जाते हैं। उदित राज ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पर भी वंशवादी राजनीति को बढ़ाने का आरोप लगाया।
फस्र्ट फैमिली बदला जरूर लेती है : शहजाद
केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने थरूर के बयान को लेकर कांग्रेस पर तंज कसा है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद जयहिंद ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि शशि थरूर ने भारत के नेपो किड राहुल गांधी और छोटे नेपो किड तेजस्वी यादव पर सीधा हमला बोला है। शहजाद ने लिखा कि डॉ. थरूर खतरों के खिलाड़ी बन गए हैं। उन्होंने नेपो किड या वंशवाद के नवाब पर सीधा हमला बोला है। जब मैंने नेपो नामदार राहुल गांधी के खिलाफ 2017 में बोला तो आप जानते हैं कि मेरे साथ क्या हुआ। सर आपके लिए प्रार्थना कर रहा हूं। फस्ट फैमिली बदला जरूर लेती है।
केंद्र सरकार को लगी सुप्रीम फटकार
- ट्रिब्यूनल सुधार अधिनियम की याचिका की खारिज
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए उसकी उस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें सरकार ने ट्रिब्यूनल सुधार अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को सौंपने की मांग की थी। हम बता दें कि केंद्र की ओर से यह मांग सुनवाई के दौरान अचानक रखी गई थी जब याचिकाकर्ताओं की बहस पूरी हो चुकी थी। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने तीखा रुख अपनाते हुए कहा, हमें भारत सरकार से ऐसी चालबाज़ी की उम्मीद नहीं थी।
अदालत के साथ इस तरह का खेल अस्वीकार्य है। गवई, जो बीस दिनों में सेवानिवृत्त होने वाले हैं, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह रवैया यह दर्शाता है कि वह मेरी पीठ के समक्ष सुनवाई से बचना चाहती है। पीठ ने कहा, हमने याचिकाकर्ताओं की ओर से सभी तर्कों को विस्तार से सुना। अटॉर्नी जनरल ने एक बार भी यह नहीं बताया कि केंद्र सरकार इस मामले को पांच न्यायाधीशों की पीठ को सौंपना चाहती है। अब, जब बहस पूरी हो चुकी है, तो यह याचिका केवल देरी की रणनीति प्रतीत होती है वहीं, केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने सफाई दी कि सरकार का कोई अनुचित इरादा नहीं था।
आधी रात को दाखिल यह आवेदन न्यायिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ : गवई
न्यायमूर्ति गवई ने कठोर टिप्पणी की कि आधी रात को दाखिल यह आवेदन न्यायिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ है। हमने याचिकाकर्ताओं की बहस पूरी सुन ली है, अब सरकार इस आधार पर सुनवाई को टाल नहीं सकती। हालांकि पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि उसे लगता है कि मामला संविधान की गंभीर व्याख्या से जुड़ा है, तो वह स्वयं इसे पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास भेज सकती है। फिलहाल, अदालत ने आगे की सुनवाई 7 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी है।
टला बड़ा हादसा, एयर इंडिया में सवार 172 यात्री बाल-बाल बचे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
भोपाल। दिल्ली से बेंगलुरु जा रहे एअर इंडिया के एक विमान को तकनीकी खराबी के कारण आपात स्थिति में भोपाल के राजा भोज हवाई अड्डे पर उतारा गया। हवाई अड्डे के अधिकारी ने बताया कि विमान के ‘कार्गो होल्ड’ में खतरे की चेतावनी मिलने के बाद उड़ान (एआईसी 2487, ए320 नियो, वीटी-ईएक्सओ) को भोपाल हवाई अड्डे की ओर मोड़ दिया गया।
उमानक सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन करते हुए भारतीय समयानुसार रात सात बजकर 33 मिनट पर बजे पूर्ण आपात स्थिति घोषित कर दी गई। कुछ ही मिनटों बाद, चालक दल ने पुष्टि की कि खतरा टल गया है और सभी विमान प्रणालियां सामान्य हैं। विमान में 172 यात्री सवार थे और यह विमान रात आठ बजे सुरक्षित उतर गया।
नगर आयुक्त के बदलते तेवरों से नगर निगम में मचा हड़कंप
- स्मार्ट सिटी दफ्तर में हुई एक विशेष बैठक, बंद कमरे में हुए तबादले
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। नगर निगम में मंगलवार को अचानक माहौल तब गर्म हो गया जब नगर आयुक्त गौरव कुमार ने स्मार्ट सिटी दफ्तर में एक विशेष बैठक बुलाई। मीटिंग में मौजूद किसी अधिकारी को अंदाज़ा भी नहीं था कि यह बैठक तबादलों की सूची लेकर आने वाली है। सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान ही नगर आयुक्त ने सभी राजस्व निरीक्षकों, जोनल अधिकारियों और जोनल सैनेट्री ऑफिसरों के तबादले कर दिए। बंद दरवाजों के अंदर ही ट्रांसफर ऑर्डर सौंपे गए और तत्काल प्रभाव से उसी कमरे में ज्वाइनिंग भी करा ली गई।
मीटिंग खत्म होते ही निर्देश दिया गया कि स्मार्ट सिटी से निकलते ही सीधे अपने नए जोन पर पहुंचो। इतना ही नहीं, नगर आयुक्त ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि किसी ने सिफारिश कराने की कोशिश की तो परिणाम अच्छे नहीं होंगे। इस अल्टिमेटम के बाद किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं हुई कि वह जाकर अपना दर्द बयां करे। बताया जा रहा है कि कुछ टैक्स सुपरिटेंडेंट, जो अब तक जोनल पद पर कार्यरत थे, उन्हें भी हटा दिया गया और उनकी जगह पीसीएस अधिकारियों को नियुक्त किया गया।



