केंद्र की वजह से किसान कर रहे आंदोलन: सिद्धारमैया

  • सीएम बोले- आज गन्ना किसानों से करेंगे बातचीत
  • सीएम ने किसानों से किया अनुरोध, बोले- वे इस तरह की हड़ताल न करें

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
बेंगलुरू। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) तय करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। उत्तरी कर्नाटक के गन्ना किसान 3,500 रुपये प्रति टन की मांग को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। उन्होंने किसानों से अपना आंदोलन तेज़ न करने का आग्रह किया और उन्हें आज बेंगलुरु में बातचीत के लिए बुलाया। सिद्धारमैया ने कहा कि उन्होंने चल रहे आंदोलन पर चर्चा के लिए हावेरी, बेलगावी, विजयपुरा और बागलकोट के चीनी मिल मालिकों और किसान प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक बुलाई है। उन्होंने कहा इस साल, कटाई और परिवहन सहित एफआरपी वसूली 10.25 प्रति टन तय की गई है। मुख्यमंत्री ने किसानों से बैठक में शामिल होने और राजमार्गों को अवरुद्ध करने से बचने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा कि मैं किसानों से अनुरोध करता हूं कि वे इस तरह की हड़ताल न करें और जनता को असुविधा न पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि वह तुरंत प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगेंगे। सिद्धारमैया ने चीनी विनियमन और इथेनॉल आवंटन को लेकर भी केंद्र की आलोचना की। उन्होंने कहा कि केंद्र ने न केवल गन्ने की कीमतें तय कीं, बल्कि चीनी का विनियमन भी किया, निर्यात रोक दिया और कर्नाटक को केवल 47 करोड़ लीटर इथेनॉल आवंटित किया, जबकि राज्य 270 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन करता है। उन्होंने विपक्ष पर किसानों की मासूमियत का फायदा उठाने का आरोप लगाया, जबकि राज्य ने डिजिटल तौल मशीनों के लिए निविदा जारी करने और कटाई व उपज की निगरानी के लिए समितियां गठित करने जैसे कदम उठाए हैं।

मैं कांग्रेस का अनुशासित सिपाही हूं : शिवकुमार

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने एक बार फिर राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को खारिज कर दिया है। उन्होंने खुद को कांग्रेस का अनुशासित सिपाही बताया और दोहराया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। पार्टी के भीतर एकता पर ज़ोर देते हुए, शिवकुमार ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान जो भी फैसला लेगा, वह उसका पालन करेंगे। शिवकुमार ने कहा कि मंत्रिमंडल में फेरबदल या नेतृत्व परिवर्तन पर कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि ऐसे फ़ैसले पूरी तरह से पार्टी नेतृत्व पर निर्भर करते हैं। मैं किसी से मिलने नहीं जा रहा हूं। मैंने मंत्रिमंडल में फेरबदल के बारे में कोई चर्चा नहीं की है। बाकी सब मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, उन्हें जो करना है करने दीजिए। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया की अटकलें ही इस कहानी को आगे बढ़ा रही हैं। पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा दोहराते हुए शिवकुमार ने कहा कि अगर पार्टी कहती है कि सिद्धारमैया पांच साल तक पद पर बने रहेंगे, तो वह पांच साल तक पद पर बने रहेंगे। अगर वे पंद्रह साल भी कहते हैं, तो भी वह पंद्रह साल तक पद पर बने रहेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनका ध्यान संगठनात्मक कार्य और पार्टी एकता पर बना हुआ है।

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