जिम कॉर्बेट के अवैध गतिविधियों पर SC सख्त, पूर्व वन मंत्री हरक रावत समेत अधिकारियों को फटकार
निर्देश जारी करते हुए बीआर गवई ने कहा, “हमने अपने परिवारों से दूर कोर क्षेत्र में काम करने वालों के साथ विशेष व्यवहार करने का निर्देश दिया है.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: शीर्ष अदालत ने बफर जोन और जलग्रहण क्षेत्रों में प्रतिबंधित की जाने वाली गतिविधियों की सूची बनाई और पार्क को हुए नुकसान के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक रावत और डीएफओ किशन चंद की आलोचना की है.
दुनिया भर में बदलते पर्यावरण और सिकुड़ते वनों को लेकर चिंता बढ़ रही है. भारत में भी बदलते पर्यावरण का असर दिख रहा है और वनों की कटाई को लेकर सख्त कानून लागू किए जाए रहे हैं, इन सब के बावजूद वनों की कटाई नहीं रुक पाई है. ऐसे ही एक मामले में उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में संरक्षण उपायों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने खास निर्देश जारी किए हैं.
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, “संक्षेप में, हमने माना है कि अगर पर्यटन को बढ़ावा देना है, तो उसे इको-टूरिज्म ही होना चाहिए. हमने अपने परिवारों से दूर कोर एरिया में काम करने वालों के लिए विशेष व्यवस्था का निर्देश दिया है.” पीठ के अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया थे. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी गतिविधियों की सूची बनाई है, जिन पर बफर जोन और जलग्रहण क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाया जाएगा.
CJI बीआर गवई ने अपने आदेश में कहा
निर्देश जारी करते हुए बीआर गवई ने कहा, “हमने अपने परिवारों से दूर कोर क्षेत्र में काम करने वालों के साथ विशेष व्यवहार करने का निर्देश दिया है. वन शिविर के बुनियादी ढांचे को स्वच्छ पानी आदि जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए.” इसके अलावा न्यायालय ने न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल को उत्तराखंड सरकार की ओर से तैयार की गई पारिस्थितिकी बहाली योजना की निगरानी करने को कहा है.
कोर्ट ने पार्क को हुए नुकसान के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और प्रभागीय वनाधिकारी किशन चंद की भी आलोचना की है. न्यायालय ने आगे दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि किसी भी बाघ सफारी गतिविधि को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के 2019 के नियमों का पालन करना होगा. इसने बचाव केंद्रों की स्थापना और वाहनों की संख्या को विनियमित करने का आदेश दिए हैं.



