40 की उम्र के बाद जरूर करानी चाहिए ये चार मेडिकल चेकअप

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
40 की उम्र को अक्सर जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है, जहां शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में कई बदलाव आने लगते हैं। इस उम्र के बाद पुरुषों में कई पुरानी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। हालांकि नियमित स्वास्थ्य जांच और समय पर सावधानी बरतकर इन बीमारियों से बचा जा सकता है या उन्हें शुरुआती चरण में ही नियंत्रित किया जा सकता है। अक्सर पुरुष अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे आगे चलकर गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में गंभीर शारीरिक समस्याओं से निपटने के लिए समय रहते बीमारी का पता चल जाना बहुत जरूरी है। इसलिए विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि इन लोगों को कुछ जांच करा लेने चाहिए। इससे आप न सिर्फ अपनी सेहत की निगरानी कर सकते हैं, बल्कि भविष्य की कई गंभीर बीमारियों से भी खुद को बचा सकते हैं।

ब्लड शुगर की जांच

डायबिटीज भारत में तेजी से बढ़ती एक गंभीर बीमारी है। 40 की उम्र के बाद इसका खतरा और बढ़ जाता है। नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करवाना बहुत जरूरी है। यह जांच न केवल डायबिटीज का पता लगाने में मदद करती है, बल्कि यह भी बताती है कि आपका ब्लड शुगर पिछले तीन महीनों में कितना नियंत्रित रहा है।

लिवर और किडनी की जांच

40 की उम्र के बाद लिवर और किडनी का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। इन अंगों की कार्यप्रणाली को जांचने के लिए लिवर फंक्शन टेस्ट और किडनी फंक्शन टेस्ट करवाना चाहिए। ये टेस्ट लिवर एंजाइम के स्तर और क्रिएटिनिन जैसी चीजों को मापते हैं, जिससे यह पता चलता है कि ये अंग ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। नियमित जांच से फैटी लिवर या किडनी की शुरुआती समस्याओं का पता लगाया जा सकता है, जिससे समय रहते उनका इलाज किया जा सके। डॉक्टर इन रक्त परीक्षणों के अलावा मूत्र विश्लेषण और इमेजिंग (जैसे अल्ट्रासाउंड) की भी सलाह दे सकते हैं।

रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की जाँच

40 के बाद उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या काफी आम हो जाती है। ये दोनों ही हृदय रोग और स्ट्रोक के प्रमुख जोखिम कारक हैं। नियमित रूप से रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाना बहुत जरूरी है। रक्तचाप की जांच हर साल और कोलेस्ट्रॉल की जांच हर 3-5 साल में करवानी चाहिए। यदि मान सामान्य से अधिक आता है, तो डॉक्टर से सलाह लें।

प्रोस्टेट की जांच

प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों में एक महत्वपूर्ण अंग है, और 40 की उम्र के बाद इसमें समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन टेस्ट और डिजिटल रेक्टल एग्जाम प्रोस्टेट कैंसर और प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया जैसी स्थितियों का पता लगाने में मदद करते हैं। शुरुआती चरण में पता चलने पर इन बीमारियों का इलाज आसान हो जाता है। प्रोस्टेट की जांच के लिए मुख्य तरीके प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन रक्त परीक्षण और डिजिटल रेक्टल परीक्षा हैं। रक्त में मौजूद एक प्रोटीन का स्तर मापता है, यदि इन परीक्षणों में कोई असामान्य निष्कर्ष मिलता है, तो कैंसर के निदान के लिए और टेस्ट किए जाते हैं, जैसे एमआरआई स्कैन या प्रोस्टेट बायोप्सी।

Related Articles

Back to top button