नीतीश के नेहा ने फिर भाजपा के वोट चोरी की खोली पोल, कर दिया एक्सपोज!

बिहार विधानसभा चुनाव में NDA को मिली जीत के बाद एक तरफ जहां NDA खेमे में जश्न का माहौल है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष लगातार वोट चोरी और चुनाव में हुई गड़बड़ी के आरोप लगा रहा है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार विधानसभा चुनाव में NDA को मिली जीत के बाद एक तरफ जहां NDA खेमे में जश्न का माहौल है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष लगातार वोट चोरी और चुनाव में हुई गड़बड़ी के आरोप लगा रहा है। आलम ये है कि चुनाव आयोग विपक्ष के सवालों से लगातार घिर चुका है।

वहीं इन सबके बीच लोक गायिका नेहा सिंह राठौर भी लगातार वोट चोरी का मुद्दा उठा रही हैं। वो ट्विटर के माध्यम से बिहार में फिरसे बनी NDA सरकार और चुनाव आयोग को घेरती हुई नजर आ रही है। जैसा की आप लगातार सुनते चले आ रहे हैं किस तरह से चुनाव आयोग की मदद से बिहार में एक बार फिर NDA की सरकार बन चुकी है। नीतीश कुमार 10 वीं बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं। लेकिन NDA के पास भी विपक्ष के सवाल का जवाब नहीं है।

वहीं इस बीच एक बार फिर अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाली लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने बिहार में हुए वोट चोरी के मुद्दे को उठाते हुए ट्विटर के माध्यम से कहा कि चोरी कितनी भी मेहनत से की जाए वो चोरी ही कही जाएगी परिश्रम नहीं. चोर ने कितनी भी ऊँची दीवार फाँदी हो या कितनी भी गहरी सेंध काटी हो या कितने भी मन से रेकी की हो…रहेगा वो चोर ही…और सज़ा उसे चोरी की ही मिलेगी. इसके साथ ही उन्होने कहा कि वोटेचोरी करने के लिए इंसान ने कितनी भी मेहनत क्यों न की हो लेकिन वो कहलाएगी वोट चोरी ही, फिर चाहे उन्होंने मेहनत करके लिस्ट से नाम कटवाये हों या बेईमानी करके फ़र्ज़ी नाम जुड़वाये हों…की उन्होंने चोरी ही है.

गौरतलब है कि नेहा सिंह राठौर ने न केवल वोटचोरी का मुद्दा उठाया बल्कि इससे पहले भी नेहा एक के बाद एक ट्वीट करते हुए भाजपा और नीतीश कुमार की सरकार पर सवाल खड़े करती हुई नजर आती रही हैं। इस बयान से पहले उन्होंने अपने गीत के जरिए बिहार के लोगों का जिक्र करते हुए एक बार फिर सरकार को घेरा है। उन्होंने इस गाने को एक्स पर पोस्ट किया है, जिसके कैप्शन में इसके बोल लिखे हैं, जो हैं- हमरे बिहरियन के कौनो ना ठिकाना, कहि के मजदूर ताना मारेला जमाना…”

वो इस गाने में बिहार के उन लोगों के बारे में बात कर रही हैं जो नौकरी के लिए दूसरे शहर या राज्य में जाकर बसते हैं और घर में उनकी पत्नियां इंतजार करती हैं। जो की सच भी है, बिहार के लोग दूर शहरों में रहकर नौकरी करते हैं लेकिन वोट देने हर बार आते हैं मगर अफ़सोस की उनके वोट हर बार बेकार जा रहे हैं। बिहार में बदलाव की उम्मीद लेकर वोटर देने वाले लोगों के हाथ हर बार निराशा ही लग रही है। बिहार में NDA से साथ मिलकर नीतीश कुमार की सरकार तो बनती है लेकिन कोई खास बदलाव होता नहीं है। वही पलायन वही महंगाई वही बेरोजगारी लगातार जनता झेल रही है। और सत्ता में बैठे NDA के नेता मजे मार रहे हैं।

विपक्ष के सवालों का भी इनपर कोई खास प्रभाव पड़ता दिखाई नहीं देता। खैर बात करें नेहा की तो नेता लगातार इन मुद्दों को उठा रही हैं। इसी कड़ी में उन्होंने एक और वीडियो ट्विटर पर शेयर किया था जिसके कैप्शन में लिखा है- “बिहार कब तक देश का लेबर चौराहा बना रहेगा? नीतीश कुमार कब तक मजदूरों के सप्लायर और ठेकेदार बने रहेंगे?” साथ ही वीडियो में वो कह रही हैं, “बिहार चुनाव निपट गया, चुनाव आयोग का प्लान सफल रहा। मन मुताबिक वोट जोड़े और घटाये गए। आदेशानुसार प्रत्याशी हराये और जिताये गए। सारा तमाशा हुआ, लेकिन सबसे जरूरी सवाल जस का तस है। बिहार आखिर कब तक भारत का लेबर चौराहा बना रहेगा।”

गौरतलब है कि विपक्ष और आम लोगों के सवालों और वोट चोरी के आरोपों के बीच चुनाव आयोग को आख़िरकार इस मामले पर जवाब देना ही पड़ा। वोट कटने के मुद्दे पर चुनाव आयोग ने मजबूरन अपनी सफाई पेश की। विपक्ष की ओर से बड़े पैमाने पर “वोट चोरी” और “मतदाता सूची में हेरफेर” के आरोपों के बाद चुनाव आयोग का यह स्पष्टीकरण बेहद अहम माना जा रहा है। सफाई में चुनाव आयोग की तरफ से यह कहा गया कि 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची जारी होने के बाद, चुनाव की तारीखों की औपचारिक घोषणा होते ही बड़ी संख्या में नए पात्र नागरिकों ने अपने नाम जुड़वाने के लिए आवेदन दिया। नियमों के मुताबिक, नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख से 10 दिन पहले तक कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची में नाम जोड़ने का अधिकार रखता है।

इसके साथ ही चुनाव आयोग की तरफ से यह बताया गया कि SIR के बाद 30 सितंबर को जारी सूची में कुल 7.42 करोड़ मतदाता दर्ज थे। लेकिन 1 अक्टूबर से नियम अनुसार मिले आवेदनों की जांच–पड़ताल के बाद सभी पात्र मतदाताओं के नाम शामिल कर दिए गए। इसी प्रक्रिया के कारण मतदाताओं की संख्या में लगभग 3 लाख की वृद्धि हुई। आयोग ने कहा कि मतदान के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति में इसी संशोधित आंकड़े का ज़िक्र किया गया है। यह सफ़ाई ऐसे वक्त में आई है जब कांग्रेस और राजद लगातार आरोप लगा रहे थे कि एनडीए की भारी जीत के पीछे “वोटर लिस्ट में गड़बड़ी और बड़े पैमाने पर वोट चोरी” की साज़िश थी। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर जमकर बवाल मचा हुआ था।

गौरतलब है कि भले ही बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार की सरकार बन गई हो लेकिन सरकार बनने के बावजूद भी लोगों की समस्या जस की तस बनी हुई है। और तो और विपक्ष और नेहा सिंह जैसे लोग बिहार के लोगों को समस्या को उठा रहे हैं लेकिन सवाल वही है कि क्या इस बार बिहार से पलायन रुक पाएगा? लोगों को बाहर में ही रोजगार मिल पाएगा खैर ऐसे ही कई सवाल हैं जो आज भी लोगों के जहन में चल रहे हैं। अब देखना ये होगा कि बिहार के पिछड़े लोगों की नैया कौन पार लगाएगा।

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