सुप्रीम कोर्ट के परामर्श पर बोले CM स्टालिन- राज्य के हक की लड़ाई जारी रहेगी

तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल एन रवि के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद के बीच मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्यों के अधिकार को लेकर बड़ा बयान दिया है। दरअसल, अप्रैल माह में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा था कि ‘विधानसभा से पारित विधेयकों पर राष्ट्रपति और राज्यपालों को समयसीमा के भीतर फैसला करना होगा।’ इस मुद्दे पर राष्ट्रपति ने 14 सवाल भेजकर सुप्रीम कोर्ट से राय मांगी थी। अपने परामर्श में चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए अदालतें समयसीमा तय नहीं कर सकतीं। सुप्रीम कोर्ट की पीठ के परामर्श के बाद अब इस मामले में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, संविधान में संशोधन होने तक वे चुप नहीं बैठेंगे।
इसी साल अप्रैल में पारित ‘सुप्रीम आदेश’ पर कितना असर?
डीएमके प्रमुख स्टालिन ने सख्त तेवर दिखाते हुए शुक्रवार को कहा, ‘राज्यपालों के लिए बिल मंजूरी की समयसीमा तय करने को लेकर संविधान में संशोधन होने तक वे पीछे नहीं हटेंगे।’ स्टालिन ने यह बयान सुप्रीम कोर्ट की राष्ट्रपति संदर्भ पर दी गई सलाहकार राय के बाद दिया। उन्होंने कहा कि हमारा संघर्ष राज्य के अधिकारों और सच्चे संघीय ढांचे के लिए जारी रहेगा।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल, 2025 को ‘तमिलनाडु सरकार बनाम राज्यपाल’ मामले में जो आदेश पारित किया है, उस पर 20 नवंबर को दिए गए परामर्श का कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘न्यायालय ने यह साफ किया है कि चुनाव में जनता के वोट से चुनी गई सरकार को ही राज्य में निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए। इसलिए राज्य में कार्यकारी फैसलों के दो अलग केंद्र नहीं हो सकते।’
राज्यपाल बिना वजह बिल रोक नहीं सकते: सीएम स्टालिन
स्टालिन ने इस बात पर भी जोर दिया कि गवर्नर के पास बिल को रोकने या पॉकेट वीटो करने का कोई विकल्प नहीं है। वह बिल को बिना वजह रोक नहीं सकता। उन्होंने यह भी कहा कि गवर्नर के पास इस बात का ‘चौथा विकल्प’ नहीं होता कि वह बिल को लटका कर रखे।

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