SIR के सहारे बड़ा षड्यंत्र कर रही EC-बीजेपी, अखिलेश यादव ने खोल दी पोल!

राजनेता इसे लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं। विपक्षी नेता SIR के सहारे साजिश करने का आरोप लगाते हुए नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी में सपा मुखिया अखिलेश यादव में भी SIR का मुद्दा उठाते हुए चुनाव आयोग और भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के सामने आने के बाद देश की राजनीति में एक अलग ही क्रांति माहौल बन गया है।

दरअसल एक तरफ जहां NDA गठबंधन चुनाव में मिली जीत का जश्न का और सत्ता का सुख भोग रहा है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष अपनी हार को लेकर समीक्षा कर रहा है लेकिन इन सबके बीच एक चीज है जो सबकी आँखों में खटक रही है और वो है SIR . जी हाँ सही सुना आपने SIR ही एक ऐसा मुद्दा है जिसपर विपक्ष से लेकर आम जनता तक सवाल उठा रही है। अब लोगों को डर सता रहा है कि कहीं भाजपा और चुनाव आयोग की चल रही मिलीभगत के बीच जैसे SIR का सहारा लेकर बिहार में खेला हुआ वैसे अन्य राज्यों में भी न हो जाए। क्योंकि आपको बता दें कि बिहार के बाद अब SIR प्रक्रिया देश के कई अन्य राज्यों में भी हो रही है। ऐसे में अब SIR को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है।

राजनेता इसे लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं। विपक्षी नेता SIR के सहारे साजिश करने का आरोप लगाते हुए नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी में सपा मुखिया अखिलेश यादव में भी SIR का मुद्दा उठाते हुए चुनाव आयोग और भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अखिलेश यादव ने भारत निर्वाचन आयोग और भाजपा पर वोट काटने की साजिश रचने के आरोप लगाए, उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव देखने के बाद पता चलता है कि भाजपा, चुनाव आयोग से मिल कर यूपी और पश्चिम बंगाल में बड़ी तैयारी कर रही है। साल 2024 लोकसभा चुनाव में जिन विधानसभा सीटों पर सपा और इंडी गठबंधन जीता है, वहां पर भाजपा और उसके अधिकारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के बहाने हर विधानसभा क्षेत्र में पचास हजार वोट काटने की साजिश कर रहे है।

यही बंगाल में भी हो रहा है। सपा प्रमुख ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा और चुनाव आयोग, सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल पर फोकस कर रहे हैं। यही दोनों राज्य सबसे जाता टार्गेट पर हैं। विधानसभा उपचुनाव और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सभी ने चुनाव आयोग की भूमिका को देखा है। सपा की शिकायतों पर कुछ नहीं किया गया। सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बिना किसी तैयारी के एसआइआर करा रहा है। बीएलओ को ट्रेनिंग नहीं दी गई। गणना फार्म भरने में तमाम समस्याएं आ रहीं हैं। बीएलओ सत्ताधारी नेताओं के यहां बैठकर काम कर रहे हैं, लोगों के घर नहीं जा रहे।

अखिलेश ने उम्मीद जताई कि जिस तरह से तमिलनाडु, बंगाल और उत्तर प्रदेश में या और जगहों पर विपक्षी दलों या कांग्रेस पार्टी की मिलकर एक ही कोशिश है कि वोटर लिस्ट अच्छी बने और बीजेपी जो खेल करना चाहती है, जो खेल बिहार में देखने को मिला है वो यहां न हो. अखिलेश ने कहा कि बिहार में बीजेपी के खेल की वजह से ही पॉपलर पार्टी होने के बाद भी आरजेडी बिहार में हार गई. सबसे पॉपुलर चेहरा होने के बाद भी तेजस्वी उन जगहों पर हार गए,जहां पर एसआईआर में सबसे ज्यादा वोट कटे थे.

गौरतलब है कि भाजपा पर पहले से ही आरोप लगते रहे हैं कि भाजपा धर्म की राजनीति करती है। ऐसे में अब चुनाव आने के बाद जब धर्म की राजनीति भी काम आती नहीं दिखाई दे रही है तो चुनाव आयोग की मदद से SIR जैसी प्रक्रिया करवाकर लोगों के वोट काटने के काम कीजिये जा रहे हैं। SIR को सीरियस ना लेने वाले पार्टी नेताओं को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कड़ी चेतावनी दी है.

उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जो नेता इस प्रक्रिया को गंभीरता से नहीं ले रहे, उनका टिकट कटना तय है. अखिलेश यादव ने यह भी निर्देश दिया कि जब तक SIR की प्रक्रिया चल रही है, किसी भी अन्य जिले का नेता लखनऊ में घूमता हुआ नहीं दिखना चाहिए, अन्यथा पार्टी उसके टिकट पर विचार ही नहीं करेगी. अखिलेश यादव ने आखिर क्यों यह आक्रामक रुख अपना? इसका जवाब पार्टी की हालिया रणनीति और बिहार चुनाव के नतीजों से जुड़ा है.

दरअसल, बिहार चुनाव परिणामों ने समाजवादी पार्टी को सतर्क कर दिया है. भीतर की बैठकों में अखिलेश यादव ने नेताओं को SIR पर ध्यान न देने के लिए खरी-खोटी भी सुनाई, जिससे साफ संकेत मिल रहे है कि वे SIR के मुद्दे पर किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त करने के मुड में नहीं है. दरअसल दोस्तों बिहार चुनाव के जो नतीजे सामने आए है, उसके बाद सपा यूपी में पूरी तरह से सर्तक हो चुकी है. बिहार में SIR प्रक्रिया के दौरान कई सारे आरोप-प्रत्यारोप चुनाव आयोग पर लगे थे. इस बीच, समाजवादी पार्टी भी लगातार यही कह रही है कि SIR प्रक्रिया में समय सीमा को 3 महीने और बढ़ा दिया जाए.

समाजवादी पार्टी चाहती है कि इस समय सीमा में उनके लोग लगातार लोगों से संपर्क करके इस प्रक्रिया को और सरल बना लेंगे. पार्टी लगातार यह भी कह रही है कि SIR के लिए तय समय बहुत कम है और कई क्षेत्रों में अभी तक फॉर्म भी नहीं पहुंचे हैं. इसलिए सपा ने चुनाव आयोग से समय सीमा को तीन महीने बढ़ाने की मांग की है ताकि कार्यकर्ता अधिक प्रभावी रूप से लोगों तक पहुंच सकें.

आपको बता दें कि प्रदेश की 403 विधानसभाओं के कुल मिलाकर 1,62,486 पोलिंग स्टेशनों पर मतदाताओं की संख्या 15 करोड़ 44 लाख 30 हजार 92 है। सपा ने पत्र में उल्लेख किया कि घोसी लोकसभा क्षेत्र और मऊ जिले की कई विधानसभाओं में बीएलओ घर-घर जाकर गणना पत्र वितरित नहीं कर रहे। कई बीएलओ के पास फॉर्म ही उपलब्ध नहीं हैं, जबकि कुछ बीएलओ वोटरों से ऑनलाइन फॉर्म भरने का दबाव बना रहे हैं।

सपा ने बताया कि रुदौली विधानसभा के एक दर्जन से अधिक पोलिंग स्टेशनों पर 2003 की वोटर लिस्ट उपलब्ध नहीं है। इससे मतदाता सही विवरण के साथ फॉर्म नहीं भर पा रहे। आरोप है कि बीएलओ गणना प्रपत्र का केवल पहला कॉलम भरते हैं, जिसके कारण 2003 का विवरण अधूरा रह जाता है। 9 दिसंबर के बाद ERO द्वारा वोटरों को दस्तावेज़ मांगने के नोटिस जारी किए जा सकते हैं।

यही वजह है कि सपा ने मांग की है कि SIR प्रक्रिया की समय सीमा 3 महीने बढ़ाई जाए ताकि सभी मतदाताओं की सही जानकारी दर्ज हो सके। आपको बता दें कि मौजूदा समय में, 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रव्यापी SIR चल रही है, जिसकी अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी, 2026 को प्रकाशित की जाएगी। इसमें राज्यों की अगर बात की जाये तो ये राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।

और लेकर सिर्फ यूपी में ही नहीं कई अन्य राज्यों में भी सियासी घमासान मचा हुआ है इस बीच, तृणमूल कांग्रेस 24 नवंबर को पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी की अध्यक्षता में एक आंतरिक बैठक करेगी। इस बैठक का उद्देश्य एसआईआर से संबंधित समीक्षा, कई स्थानों और जिलों में सुधार और यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी नाम छूट न जाए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 25 नवंबर को उत्तर 24 परगना के बोनगांव में मतुआ समुदाय से मुलाकात करेंगी। गौरतलब है कि SIR को लेकर सियासी गलियारों में हलचल बढ़ती जा रही है। बिहार में जो हुआ सो हुआ लेकिन अन्य राज्यों में विपक्ष लगातार एक्टिव हैं। इसको लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है। खैर अब देखना ये होगा कि विपक्ष इस षड्यंत का शिकार होने में कितना बच पाता है।

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