अखिलेश यादव ने की BLO के परिजनों को 2 लाख रुपये देने की घोषणा
SIR को लेकर सियासी गलियारों में जमकर चर्चा हो रही है। बिहार में SIR प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब देश के 12 राज्यों में ये प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसे में एक तरफ जहाँ लोगों को अपने डॉक्युमेंट को लेकर अच्छी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं SIR प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा रहे BLOs पर भी मानों गाज गिर चुकी है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: SIR को लेकर सियासी गलियारों में जमकर चर्चा हो रही है। बिहार में SIR प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब देश के 12 राज्यों में ये प्रक्रिया शुरू हो गई है।
ऐसे में एक तरफ जहाँ लोगों को अपने डॉक्युमेंट को लेकर अच्छी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं SIR प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा रहे BLOs पर भी मानों गाज गिर चुकी है। आलम ये है कि BLOs पर प्रेशर इतना बढ़ गया है कि बात उनकी जान पर बन आई है। कई BLO की अब तक जान जा चुकी है। जिसे लेकर सियासी पारा हाई है। वहीं यूपी में जान गवांने वाले BLO को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बड़ा ऐलान कर दिया है। साथ ही उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए चुनाव आयोग से बड़ी मांग कर दी है।
दरअसल ये मामला तब उठा जब ज्यादा गंभीर हो गया जब फतेहपुर में शादी से ठीक पहले लेखपाल सुधीर कुमार कोरी की आत्महत्या कर ली। घटना ने शासन-प्रशासन के कामकाज के तौर-तरीकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस आत्महत्या को चुनावी कार्यभार से जुड़ा दुखद परिणाम बताते हुए चुनाव आयोग से मृतक परिवार को 1 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी में SIR के दौरान मानसिक-शारीरिक रूप से आहत होने के कारण जिन लोगों की जान जा रही है, उनके लिए चुनाव आयोग से ये सीधी अपील है कि वो 1 करोड़ का मुआवजा दे। हम भी प्रत्येक मृतक के आश्रित को 2 लाख रुपए की सहायता राशि देने का संकल्प लेते हैं।
अखिलेश यादव ने सरकार और चुनाव आयोग पर कई तरीके के आरोप भी लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि BLOs को एसआईआर का इम्प्रैक्टिकल टारगेट पूरा करने के लिए दिया गया है जो अमानवीय है. उनपर मानसिक दबाव बनाया जा रहा है. यह बेहद निंदनीय और घोर आपत्तिजनक है. बीजेपी राज ने तरह-तरह की प्रताड़ना और अशांति के सिवा किसी को कुछ नहीं दिया. अखिलेश यादव ने आगे कहा कि बीजेपी ने नई नौकरियां तो दी नहीं, जो चली आ रही हैं उन्हें भी इतना कठिन बना दिया है कि लोग हताश होकर नौकरी छोड़ दें.
जो पूरे नहीं हो सकते ऐसे असंभव लक्ष्य देकर, बीएलओ से अपना घर-परिवार भूलकर मशीन की तरह काम करने की उम्मीद करना अमानवीय है. सपा अध्यक्ष का कहना है कि बीजेपी ये सब काम अपने चुनावी महा घोटाले के लिए कर रही है लेकिन सवाल ये है कि जो बीएलओ हताश होकर नौकरी छोड़ रहे हैं या जो अपनी जान तक दांव पर लगा दे रहे हैं, वो इस सियासी घपलेबाजी का खामियाजा क्यों भुगतें? अखिलेश यादव ने लोगों से अपील की है कि देश भर के कर्मचारी इसके खिलाफ एकजुट होकर अपनी आवाज उठाएं. सपा हर बीएलओ के साथ है. अखिलेश यादव ने कहा, “हमारी हर बीएलओ से अपील है कि इन हालात में ऐसा कोई भी कदम न उठाएं जिससे आपका परिवार प्रभावित हो.”
दरअसल मूल रूप से खजुहा कस्बा निवासी 25 वर्षीय सुधीर कुमार कोरी बिंदकी तहसील में लेखपाल के पद पर तैनात थे। इन दिनों जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र में एसाईआर ड्यूटी पर लगाए गए थे। बीते बुधवार को सुशील कुमार की शादी थी, लेकिन उससे ठीक एक दिन पहले सुबह उन्होंने घर में फांसी लगा ली है। मृतक की बहन अमृता की माने तो 22 नवंबर को तहसील सभागार में मतदाता पुनरीक्षण कार्य की बैठक थी, जिसमें शादी की तैयारियों के चलते सुधीर शामिल नहीं हो सके थे। बताया गया कि बैठक में अनुपस्थिति को लेकर सहायक समीक्षा अधिकारी संजय कुमार सक्सेना ने निलंबन की कार्रवाई के निर्देश दिए थे, जिसकी वजह से सुधीर मानसिक तनाव में आ गए थे। और आख़िरकार ये अफसरसाही और चुनाव आयोग का प्रेसर इस कदर बढ़ गया कि उन्होंने अपनी जान ही दे दी। वहीं इस आत्महत्या को लेकर न सिर्फ सपा मुखिया बल्कि अन्य दलों के नेताओं भी लगातार सवाल उठा रहे हैं। भाजपा के साथ-साथ चुनाव आयोग को भी जमकर घेर रहे हैं।
दोस्तों आपको बता दें कि चुनाव आयोग द्वारा देश के 12 राज्यों और तीन केन्द्र शासित प्रदेशों में करीब एक माह से कराए जा रहे मतदाताओं के एसआईआर का मुद्दा अब राजनीति से ज्यादा मानवीय होता जा रहा है। एसआईआर के सियासी विरोध को अलग रखें तो भी इस समूची प्रक्रिया में पूरे देश में अब तक 25 बीएलओ की मौतें सचमुच चिंता पैदा करने वाली हैं और यह एसआईआर की प्रक्रियागत खामी की ओर इशारा करती है। दुख की बात तो यह है कि एसआईआर में लगे जितने बीएलओ की मौतें हुई हैं, उनमें सबसे ज्यादा 9 उस मध्यप्रदेश के हैं, जहां सत्तारूढ़ दल भाजपा पूरी तरह एसआईआर के पक्ष में है।
BJP 'वोट चोरी' करती हुई बुरी तरह से धरी गई है
हड़बड़ी में हो रहे SIR में 20 दिनों में 26 BLO की मौत हो चुकी है- ये दिनदहाड़े हत्या है
मृत BLO विपिन यादव पर वोटरों के नाम काटने का दबाव था
'कनपटी पर कट्टा' रखकर SIR क्यों करवाया जा रहा है?
महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव से… pic.twitter.com/Iw0vQPQ6am
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) November 27, 2025
इस बीच एसआईआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने एसआईआर जारी रखने को हरी झंडी दे दी है, लेकिन चुनाव आयोग को इस बात पर संवेदनशीलता के साथ विचार करना चाहिए कि इस प्रक्रिया में शामिल बीएलओ एक के बाद एक जानें क्यों गंवा रहे हैं? इनमें भी उन बीएलओ के बारे में समझा जा सकता है कि जो पहले से बीमार हैं, लेकिन जो काम के दबाव को सहन न करने के कारण खुदकुशी कर रहे हैं, वह तो बहुत ही दर्दनाक और अमानवीय है। आखिर एक वैधानिक प्रक्रिया को समय पर पूरा न कर पाने के अवसाद के कारण कोई कैसे फांसी लगाकर अपने परिवार को अनाथ होने दे सकता है? क्योंकि काम समय पर पूरा न करने पाने की अधिकतम सजा सस्पेंशन ही है। जाहिर है कि यह कदम उसने गहरे डिप्रेशन और हताशा में ही उठाया होगा।
इस बीच चुनाव आयोग ने बीएलओ का मानदेय बढ़ाकर दो गुना कर दिया है, लेकिन इसका भी कोई सकारात्मक असर होता नहीं दिख रहा है। जानकारों का मानना है कि बीएलओ पर काम समय पर निपटाने का अत्यधिक दबाव है और समय अवधि कम है। आयोग समयावधि बढ़ाने के लिए तैयार नहीं है। इसके पीछे कौन-सी ज़िद है, यह समझना मुश्किल है। जबकि इसके पूर्व 2003 में जो देशव्यापी एसआईआर हुआ था, वह प्रक्रिया 6 माह में पूरी हुई थी। तब न तो कहीं विरोध हुआ था और और न ही कोई खुदकुशी सामने आई थी। हालांकि अब ये BLOs की हो रही मौतों पर सियासत गर्म है विपक्ष लगातार घेर रही है। अब देखना ये होगा कि ये मामला चर्चाओं में बना हुआ है।



