बुरा फंसे बाबा रामदेव, पतंजलि का घी सैंपल टेस्ट में फेल, नेहा ने जमकर घेरा!
बाबा रामदेव यूँ तो बड़े-बड़े बयानों और अपने धार्मिक प्रवचन को लेकर सियासी गलियारों में छाए रहते हैं। लेकिन ये बात लोगों को बखूबी पता है कि वो अपनी छवि ऐसी अपने व्यापार को लेकर रखते हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बाबा रामदेव यूँ तो बड़े-बड़े बयानों और अपने धार्मिक प्रवचन को लेकर सियासी गलियारों में छाए रहते हैं। लेकिन ये बात लोगों को बखूबी पता है कि वो अपनी छवि ऐसी अपने व्यापार को लेकर रखते हैं।
कट्टर हिंदुत्व का चेहरा लेकर घूमने वाले बाबा रामदेव अक्सर सवालों के घेरे में रहते हैं। न सिर्फ अपने बयानों को लेकर बल्कि पतंजलि के प्रोडक्ट पर भी घिरे रहते हैं। कई बार ऐसा हुआ है उन्हें द्वारा बेंचे जा रहे प्रोडक्ट टेस्टिंग में फेल पाए गए हैं। उसके बावजूद भी वो मार्केट में अपने प्रोडक्ट खुलेआम बेंच रहे हैं और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। इधर बाबा मार्केट में खराब प्रोडक्ट बेंच रहा और उधर सरकार उसे सह दे रही है। अगर बाबा पर नकेल पहले ही लग गई होती तो बार बार यह गलती दोहराने की हिम्मत न होती। लेकिन वो कहते हैं न।
जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का” . खैर आपको बता दें कि बाबा रामदेव एक बार फिर चर्चा में हैं। वो भी पतंजलि के एक प्रोडक्ट को लेकर जो टेस्टिंग में फेल हो गया है। जी हाँ सही सुना आपने दरअसल उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के गाय के घी के सैंपल जांच में फेल पाए गए हैं। जिसके बाद कंपनी समेत 3 कारोबारियों पर 1 लाख 40 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही खाद्य विभाग का कहना है कि पतंजलि का ये घी खाने लायक भी नहीं है।
आपको बता दें कि पतंजलि के घी का ये सैंपल साल 2020 में लिया गया था। मामले में फैसला 27 नवंबर को आया है। खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन पिथौरागढ़ के असिस्टेंट कमिश्नर आरके शर्मा ने बताया कि पिथौरागढ़ में घी का सैंपल लिया गया था। इसकी जांच प्रदेश स्तर पर रुद्रपुर और राष्ट्रीय स्तर पर गाजियाबाद की लैब में कराई गई थी। जांच में घी मानक पर खरा नहीं उतरा। अगर किसी ने भी यह घी खाया तो उसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
साथ ही लोग बीमार हो सकते हैं। ऐसे में अब जब यह सैंपल रूटीन जांच फेल गया है तो इसपर लगातार लोगों की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। इसी बीच अब इस मामले में लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने चुटकी लेते हुए तंज कसा है। नेहा सिंह ने एक्स पर इस खबर को शेयर करते हुए लिखा है, “रामदेव की कंपनी पतंजलि का घी लैब टेस्ट में फेल हो गया। कोर्ट ने रामदेव की कंपनी पर 1 लाख का जुर्माना लगाया है। इस देशद्रोही लैब का संचालक कौन है? सरकार लैब संचालक के घर ED की रेड कब डलवाएगी?”
वहीं नेहा सिंह राठौर के पोस्ट पर तमाम यूजर्स ने कमेंट किए है। एक यूजर ने लिखा, “स्वदेशी के नाम पर जनता को लूट रहे हैं।” अन्य यूजर ने लिखा, “कोई अब्दुल ऐसा घी या खाने का सामान बेचता तो अभी तक उसके घर पर बुलडोजर चल जाता। मगर ये तो राष्ट्रभक्त लोग हैं और पूरी राष्ट्रभक्ति से देशवासियों को पेल रहे हैं। और इन पर कार्यवाही कितनी मामूली सा जुर्माना जबकि जान से मारने की कोशिश की धारा लगनी चाहिए। मोदी योगी कहां सो रहे हैं।” गौरतलब है कि जिस तरह से बाबा रामदेव की आलोचना हो रही है ऐसे में एक बात तो साफ़ है कि अगर बाबा पर सत्ताधारी दल का हाथ न होता तो अबतक बाबा का सारा व्यापार बंद हो चुका होता। ‘
खैर बात करें इस मामले की तो इस मामले की पर पिथौरागढ़ असिस्टेंट कमिश्नर आरके शर्मा के मुताबिक, 20 अक्टूबर 2020 को पिथौरागढ़ के कासनी से खाद्य सुरक्षा अधिकारी दिलीप जैन ने रूटीन चेकिंग के दौरान करन जनरल स्टोर से पतंजलि गाय के घी का नमूना लिया था। इसके बाद नमूने को राज्य सरकार की राजकीय प्रयोगशाला रुद्रपुर में भेजा गया, जहां ये घी मानकों से नीचे पाया गया। पतंजलि के अधिकारियों को 2021 में इसकी जानकारी दी गई, लेकिन काफी समय तक कंपनी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। बाद में कंपनी के अधिकारियों की तरफ से 15 अक्टूबर 2021 को दोबारा जांच की अपील की।
कंपनी ने नमूनों की जांच सेंट्रल लैब से कराने की बात कही। इसके लिए पतंजलि की तरफ से 5 हजार रुपए की निर्धारित फीस भी ली गई थी। इसके बाद अधिकारियों की एक टीम 16 अक्टूबर 2021 को नमूनों की जांच के लिए राष्ट्रीय खाद्य प्रयोगशाला गाजियाबाद पहुंची, जहां फिर से घी की जांच कराई गई। राष्ट्रीय खाद्य प्रयोगशाला ने 26 नंवबर 2021 को अपनी रिपोर्ट दी। वहां भी पतंजलि गाय के घी के नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे थे। इसके बाद दो महीने तक रिपोर्ट का अध्ययन किया गया। फिर 17 फरवरी 2022 को कोर्ट के सामने मामला रखा गया। इसके बाद पतंजलि को नोटिस जारी किया गया।
इसके बाद खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी दिलीप जैन ने मामले में अपर जिलाधिकारी पिथौरागढ़ योगेंद्र सिंह के न्यायालय को सबूत पेश किए। कोर्ट ने करीब चार साल बाद गुरुवार को अपना फैसला सुनाया और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड (निर्माता) पर एक लाख रुपए, ब्रह्म एजेंसी (डिस्ट्रीब्यूटर) पर 25,000 रुपए और करन जनरल स्टोर (विक्रेता) पर 15,000 रुपए का जुर्माना लगाया। इसके साथ ही कोर्ट ने पतंजलि को चेतावनी दी है कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम- 2006 के प्रावधानों का पालन किया जाए।
वहीं इस मामले को बढ़ता देख अब पतंजलि की सफाई भी आ गई है। पतंजलि का कहना है कि अदालत ने जो फैसला दिया है, वह त्रुटीपूर्ण है। पतंजलि ने दावा किया कि जिस लैब में टेस्ट किया गया, उसके पास मान्यता नहीं थी, इसलिए यह आपत्तिजनक और हास्यास्पद है। पतंजलि ने यह भी दावा किया कि पुन: परीक्षण नमूने की एक्सपायरी तिथि बीत जाने के बाद किया गया, जो कानून के अनुसार अमान्य है।
सोशल मीडिया पर बाकायदा पोस्ट करते हुए पतंजलि की ओर से लिखा गया कि यह स्पष्टीकरण मीडिया रिपोर्ट से हमारे संज्ञान में आए खाद्य सुरक्षा विभाग, पिथौरागढ़ द्वारा 20 अक्टूबर 2020 को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत लिए गये पतंजलि गाय का घी के नमूने के संदर्भ में मुकदमा और न्यायालय द्वारा संबंधित आदेश के विषय में है।
यह आदेश निम्नलिखित कारणों से त्रुटिपूर्ण तथा विधि-विरुद्ध है:
1.रेफरल प्रयोगशाला NABL से गाय के घी के परीक्षण के लिए मान्यता प्राप्त नहीं थी, इसलिए वहाँ किया गया परीक्षण विधि की दृष्टि से स्वीकार्य नहीं है। यह हास्यास्पद और घोर आपत्तिजनक है कि एक सब-स्टैंडर्ड लैब ने पतंजलि के सर्वश्रेष्ठ गाय के घी को सब-स्टैंडर्ड बताया है।
2.जिन पैरामीटरों के आधार पर नमूना असफल घोषित किया गया, वे उस समय लागू ही नहीं थे, इसलिए उनका प्रयोग करना विधिक रूप से गलत है।
3.पुन: परीक्षण नमूने की एक्सपायरी तिथि बीत जाने के बाद किया गया, जो कानून के अनुसार अमान्य है।
न्यायालय ने इन सभी प्रमुख तर्कों पर विचार किए बिना प्रतिकूल आदेश पारित किया है, जो विधि की दृष्टि से सही नहीं है। इस आदेश के विरुद्ध फूड सेफ्टी ट्राइब्यूनल में अपील दायर की जा रही है, और हमें पूर्ण विश्वास है कि ट्राइब्यूनल के समक्ष हमारे पक्ष के ठोस आधारों पर यह मामला हमारे पक्ष में निर्णयित होगा। वैसे भी इस फैसले में कहीं भी पतंजलि गाय का घी उपयोग के लिए हानिकारक नहीं बताया गया है। सिर्फ घी में RM Value के मानक से नाम-मात्र का अंतर पाया जाना ही स्पष्ट किया गया है। यह RM Value घी में volatile fatty acid का लेवल बताता है। यह प्राकृतिक प्रक्रिया है। इससे घी की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं होता। जैसे शरीर में नाम-मात्र का हीमोग्लोबिन के अंतर प्राकृतिक होता है।
यह RM Value का मानक पशुओं के आहार और जलवायु आदि के आधार पर क्षेत्रीय स्तर पर भिन्न-भिन्न होता है। यहां तक कि सरकारी नियामक संस्था FSSAI भी इस RM Value को बदलती रहती है। कभी क्षेत्रीय आधार पर अलग-अलग RM Value का प्रावधान तो कभी राष्ट्रीय स्तर पर एक RM Value निश्चित किया जाता रहा है। पतंजलि पूरे देश से कड़े मानदंडों और जांच के आधार पर दूध एवं गाय का घी एकत्र करके राष्ट्रीय स्तर पर विक्रय करती है।
साथ ही पतंजलि ने कहा कि न्यायालय ने इन सभी प्रमुख तर्कों पर विचार किए बिना प्रतिकूल आदेश पारित किया है, जो विधि की दृष्टि से सही नहीं है। इस आदेश के विरुद्ध फूड सेफ्टी ट्राइब्यूनल में अपील दायर की जा रही है, और हमें पूर्ण विश्वास है कि ट्राइब्यूनल के समक्ष हमारे पक्ष के ठोस आधारों पर यह मामला हमारे पक्ष में निर्णयित होगा। गौरतलब है कि साफ़-साफ़ अपनी गलती मानने के बजाय अदालत के फैसले को ही गलत ठहराया जा रहा है। अब देखना ये होगा कि बाबा के सपोर्ट में कौनसा दल आगे आता है क्योंकि इससे पहले कई ऐसे मौके देखे गए हैं जब बाबा के सपोर्ट में भाजपा नेताओं के चार चांद लगाए हों।



