EC पर जमकर बरसे उद्धव-आदित्य ठाकरे, जोकर से कर दी तुलना!
राजनीतिक दल आपस में ही भिड़ते हुए नजर आ रहे हैं। शिंदे और फडणवीस अक्सर कई मौकों पर आमने-सामने आ चुके हैं ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर सत्ताधारी गठबंधन आपस में ही इस कदर भिड़ते रहे तो महाराष्ट्र का विकास किस तरह से होगा।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों इन दिनों महाराष्ट्र की सियासत में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। महायुति गठबंधन में आपसी कलह मची हुई है। राजनीतिक दल आपस में ही भिड़ते हुए नजर आ रहे हैं। शिंदे और फडणवीस अक्सर कई मौकों पर आमने-सामने आ चुके हैं ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर सत्ताधारी गठबंधन आपस में ही इस कदर भिड़ते रहे तो महाराष्ट्र का विकास किस तरह से होगा।
खैर एक तरफ जहां महायुति के दल आपस में ही भिड़ते हुए दिख रहे हैं तो दूसरी तरफ विपक्ष न सिर्फ महायुति सरकार पर हमलावर है बल्कि चुनाव आयोग पर भी जमकर हमला बोल रहा है। इसी बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली और शिवसेना (यूबीटी) ने राज्य चुनाव आयोग को जोकर कहकर हमला बोला है। उद्धव ठाकरे की पार्टी चुनाव आयोग पर खूब गर्म हो गई। पार्टी ने राज्य चुनाव आयोग पर तंज कसते हुए एक जोकर बताया है। महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनावों में देरी पर शिवसेना UBT प्रमुख भी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। पार्टी के मुख्यपत्र में कहा गया है कि चुनाव आयोग साबित कर दिया है कि उसका दिमाग सही जगह पर नहीं है। यूबीटी के अनुसार उसके पास चुनाव इतने अचानक टालने का अधिकार नहीं है। महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने 2 दिसंबर को वोटिंग से ठीक दो दिन पहले 24 नगर परिषदों और 76 अन्य नगर परिषदों और नगर पंचायतों के 154 वार्डों के चुनाव को अचानक आगे बढ़ा दिया था।
उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली यूबीटी ने चुनाव 20 दिसंबर तक टालने के लिए आलोचना की। आयोग के फैसले को एक सोचा-समझा राजनीतिक पैंतरा बताया है। पार्टी के मुताबिक इससे महाराष्ट्र में लोकतांत्रिक प्रक्रिया अस्त-व्यस्त हो गई है। उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना ने पार्टी मुखपत्र ‘सामना’ के एडिटोरियल में चुनाव आयोग की कड़ी आलोचना की है। इसमें आयोग को राजनीति खेल का जोकर बताया गया है। उद्धव ठाकरे ने भी मीडिया से कहा कि सरकार और खासकर बीजेपी ने चुनाव आयोग को अपना जोकर बना लिया है। उद्धव ने कहा कि यह एक प्लान्ड गड़बड़ और अफरा-तफरी वाला मामला है जिसका एकमात्र मकसद BJP को फायदा पहुंचाना था।
दोस्तों आपको बता दें कि ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा गया है ‘लक्ष्मीदर्शन’ ड्रामा तब सामने आ गया जब चुनाव आयोग ने कोर्ट के मामलों का हवाला देते हुए चुनाव टाल दिए, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दलों द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए रुपये के इस्तेमाल को नजरअंदाज कर दिया। इसमें बहुत ज़्यादा करप्शन और खर्च हुआ है। ये चुनाव पिछले चार दशकों में देखे गए सबसे महंगे और करप्ट चुनाव हैं। संपादकीय में लिखा है कि कहा जा रहा है कि सत्ता में बैठे दल करोड़ों रुपये खर्च करने और वोटर्स को खरीदने के लिए बेशर्म कॉम्पिटिशन में लगी हुई हैं। पार्टी ने एडिटोरियल में आरोप लगाया कि चुनाव टालने से आर्थिक बोझ बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि उम्मीदवारों को वोटर्स को पोलिंग बूथ तक लाने के लिए नए लक्ष्मीदर्शन देने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।
वहीं चुनाव आयोग द्वारा की जा रही कथित धांधली को लेकर न सिर्फ उद्धव ठाकरे ने बल्कि शिवसेना UBT के अन्य नेताओं ने भी जोरदार हमला बोला है। इसी कड़ी में शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने वोटर लिस्ट और बीएलओ समेत अन्य मसले को लेकर सरकार और चुनाव आयोग को घेरा है. उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि जो वोटर लिस्ट निकली, उसमें देरी हुई. जब डाउनलोड किया तो उसमें भी परेशानी थी. हमने चुनाव आयोग को पत्र दिया. हम इस घोटाले पर काम कर रहे थे. हम अलग अलग ब्रांच में गए. अभी जो चुनाव चल रहा उसमें बैग लेकर उतर रहे हैं. उसमें पैसा है कि नहीं, समझ नहीं आ रहा. चुनाव आयोग एक सर्कस बन गया है. वोटिंग की डेट को क्यों आगे बढ़ाया, यह बताएं.
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ”कोई जाकर बता रहा है कि चुनाव में वोटिंग किसको करना है. पता नहीं क्या चल रहा है? हमने दोहरे मतदाताओं की लिस्ट बनाई. चुनाव आयोग ने जो 14 लाख डबल वोटर दिखाए, उम्मीद है कि नाम हटाए जाएंगे. हमारे लोगों के ही नाम संभाव्य मतदारों के नाम में डाले हैं. इससे चुनाव प्रक्रिया धीमी होगी. इसे ठीक करना चुनाव आयोग का काम है, BLO का काम है.” इसके साथ ही आदित्य ठाकरे ने ये भी कहा, ”BMC के BLO बनकर वे लोग आते हैं, जिन्हें पढ़ना लिखना नहीं आता. कोई बुरी बात नहीं लेकिन यह एक महत्वपूर्ण काम है. इसमें केंद्रीय और राज्य स्तरीय चुनाव आयोग से सवाल है कि आप पेमेंट किस बात की ले रहे हैं. सर्कस बना कर रखा है. 14 लाख लोगों के नाम डबल वोटरों में लिखा है. लोकसभा और विधान सभा चुनाव में हमने कहा कि जिनकी मृत्यु हुई है. उनके डेथ सर्टिफिकेट देने के बाद भी चुनाव आयोग ने कदम नहीं उठाया. जिनकी मृत्यु हुई उनके नाम पर क्या कोई वोटिंग कर रहा है?
साथ ही उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ‘यह लोकतंत्र को मार डालने का काम चल रहा है. यह विषय यहां खत्म नहीं हो रहा है. एक गंभीर बात सामने आई है कि वोटर लिस्ट जो बीएमसी चुनाव में आएगी उसमें 1 जुलाई 2025 के बाद कोई नया नाम शामिल नहीं होगा. लेकिन आदित्य की रिसर्च टीम के सदस्य बोल रहे हैं कि 1 जुलाई के बाद भी कुछ नए वोटर जुड़े हैं. BMC ने जो लिस्ट दी वह साफ होनी चाहिए. एक व्यक्ति के कई बार नाम हैं. हमारे लोगों के नाम डबल वोटरों के नाम लिखे हुए हैं.शिवसेना (यूबीटी) के नेता ने कहा, ”हमारी अपेक्षा है कि अन्य पक्ष भी इसपर काम करेंगे. हम एक तरह से चुनाव आयोग की मदद कर रहे हैं. ऑब्जेक्शन के लिए और 7 दिन दें. राज्य के मुख्यमंत्री खुद चुनाव आयोग की आलोचना कर रहे हैं? वो बोलते हैं ना ‘मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊं’. चुनाव आयोग उनके ही दफ्तर में काम कर रहा है. अब या तो वोटर लिस्ट निर्दोष होगी या चुनाव आयोग दोषी. BLO से काम नहीं हो रहा है.
उन्होंने ये भी कहा, ”चुनाव आयोग एक सर्कस बन गया है. वोटिंग की डेट को क्यों आगे बढ़ाया, यह बताएं. चुनाव के नतीजे 21 तारीख को आएंगे, अब इसपर पर खुद सीएम नाराज हैं. कोर्ट को अगर इस मामले में आना पड़ जाए तो क्या मतलब. अपना पक्ष रखा है और वोटर लिस्ट को समझाया और पूछा कि 1 जुलाई के पहले के लोगों के नाम क्यों आए? उन्होंने कहा, ”मालवण में जो बैग नजर आया क्या उसमें वहीं था जो सूरत और गुवाहाटी में जाते समय था. हम नहीं बीजेपी यह सवाल पूछ रही है.” गौरतलब है कि चुनाव आयोग पर इन दिनों विपक्ष के लगभग सभी नेता फायर नजर आ रहे हैं। चुनाव आयोग जिस तरह से सत्ताधारी दलों की हुक्मरानी कर रहा है इससे एक बात तो तय है कि विपक्ष अब किसी भी तरह से चुनाव आयोग को बिना बेनकाब किये छोड़ने के मूड में नहीं है। खैर चुनाव कोई भी हो लेकिन चुनाव आयोग विपक्ष को जिताने के लिए लगातार साजिशें करता हुआ नजर आ रहा है। अब देखना ये होगा कि विपक्ष किस तरह से चुनाव आयोग से निपटता है।



