स्पीकर का पद छिनते ही नीतीश के रिएक्शन से हड़कंप, शाह के दुलारे डिप्टी सीएम पर सीधा वार !

दोस्तों, बिहार में एक ओर जहां नीतीश कुमार ऑपरेशन तीर चला खुद को नंबर वन बनाने की कोशिश में लगे थे और दावा किया जा रहा था कि एक दो नहीं बल्कि सीधे 17 एमएलए जदयू के संपर्क में हैं लेकिन अचानक चिराग पासवन के बयान ने पूरा खेल रातों रात पलट दिया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों, बिहार में नीतीश कुमार से गृह मंत्रालय के बाद स्पीकर का पद छिनते ही एनडीए में भयंकर हंगामा शुरु हो गया है।

एक ओर जहां बीजेपी ऑपरेशन लोटस की तैयारी में है और चिराग पासवान चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं कि महागठबंधन के विधायक हमारे संपर्क में हैं तो वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार ने भी अपना खेल शुरु कर दिया हैं। आपको बात दें कि बड़ी खबर सामने आई है कि खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे की तर्ज नीतीश ने स्पीकर की शपथ होते ही अमित शाह के बहुत दुलारे डिप्टी सीएम के साथ बहुत बड़ा खेल कर दिया है और जैसे ही ये खबर सामने आई है, हड़कंप मच गया है। कैसे बीजेपी ने ऑपरेशन लोटस शुरु किया है और क्यों अचानक स्पीकर का पद छिनते ही नीतीश बीजेपी के डिप्टी सीएम के साथ बड़ा खेल शुरु हो गया है, ये सबकुछ हम आपको आगे अपनी इस आठ मिनट की रिपोर्ट में बताने वाले हैं।

दोस्तों, बिहार में एक ओर जहां नीतीश कुमार ऑपरेशन तीर चला खुद को नंबर वन बनाने की कोशिश में लगे थे और दावा किया जा रहा था कि एक दो नहीं बल्कि सीधे 17 एमएलए जदयू के संपर्क में हैं लेकिन अचानक चिराग पासवन के बयान ने पूरा खेल रातों रात पलट दिया है। चिराग पासवान का दावा है कि महागठबंधन के कई एमएलएस उनके संपर्क में हैं और वो मोदी जी की नीतियों से प्रभावित होकर बीजेपी या फिर एनडीए में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में ये बात पूरी तरह से साफ हो गई कि बीजेपी ऑपरेशन लोटस चलाने जा रही है और इसका सीधा सा मतलब है कि बीजेपी को अपना सीएम चाहिए।

आपको बता दें कि ये कोई आज की बात नहीं है पीएम साहब और उनके चाणक्य जी पिछले 11 साल से ये ख्वाब देख रहे हैं लेकिन हर बार नीतीश आड़े हाथ आ जाते हैं। कभी पाला बदलकर तो कभी बीजेपी के साथ रहकर बड़ी या बराबर की पार्टी बनकर, ऐसे में बहुत कुछ चाहकर भी पीएम साहब और उनके चाणक्य जी कुछ नहीं कर पा रहे हैं लेकिन इस बार पीएम साहब के चाणक्य जी को कुछ सफलता हाथ लगी है।

क्योंकि बीजेपी अब छोटे भाई से बड़े भाई के रोल में आ गई है यानि कि बीजेपी की सीटें जदयू से थोडी ज्यादा हैं लेकिन शायद इस बार गेम उल्टा दिख रहा है क्योंकि ब्लैक मैलिंग नीतीश कुमार की नहीं चाणक्य जी की चल रही। दो डिप्टी सीएम का पद, फिर गृह मंत्रालय और अब स्पीकर का पद छिन जाना, ये कहीं न कहीं दिखाता है कि इस बार बीजेपी या फिर ये भी कह सकते हैं कि पीएम साहब के चाणक्य जी का दबदबा बिहार सरकार में साफ दिख रहा है और हर बार अपनी शर्तों पर काम करने वाले नीतीश कुमार अंडर प्रेशर दिख रहे हैं।

आपको बता दें कि पहले खबरें आई थी कि नीतीश कुमार गृह मंत्रालय छिनने के बाद अपने खास मंत्रियों के साथ एक्टिव हुए थे कि उनको हर हाल में स्पीकर का पद चाहिए। इसके लिए दिल्ली तक बात भी हुई थी लेकिन स्पीकर चुनाव से एक दिन पहले चिराग पासवान के बयान कि महागठबंधन के कई विधायक उनके संपर्क में हैं, ने हंगामा मचा दिया। और शायद नीतीश कुमार और उनके साथी इसके बाद बैक पर चले गए। अभी तक जदयू एआईएमआईएम के 5 आईपी गुप्ता के एक, कांग्रेस के छह, बीएसपी के एक और चार अन्य विधायकों के भरोसे खुद को नंबर वन बनाने की कोशिश में थी अचानक बैकफुट पर आ गई।

पार्टी का अधिकारिक बयान आया कि ऐसा कोई भी मामला नहीं है जबकि ये बात पहले सोशल मीडिया और मीडिया में खूब सुर्खियों में रही कि नीतीश कुमार अपने कोटे के मंत्रियों की संख्या बढाने जा रहे हैं और ये मंत्री उनकी अपनी पार्टी से नहीं बल्कि बाहर से नीतीश की पार्टी में अलग से जुड़ने वाले विधायक होंगे लेकिन रातों रात सारा प्लान चिराग के एक बयान से पलट गया। क्योंकि दावा किया जा रहा है कि रातों रात नीतीश कुमार और साथी कैंप को डर हो गया कि कही पूरा गेम ही न पलट जाए तो स्पीकर पर आखिरी समय में जैसे तैसे करके बीजेपी और जदयू की राय एक हो गई लेकिन राजनीति में जैसा सबकुछ दिखता है, सच में ऐसा होता नहीं है।

आपको बता दें कि एक ओर नीतीश कुमार ने प्रेम कुमार को स्पीकर बनने के बाद खुद जाकर कुर्सी पर बैठाया है तो वहीं दूसरी ओर अंदरखाने में इतने नाराज हैं नीतीश कुमार कि आते ही बीजेपी के डिप्टी सीएम के अफसर को तुरंत ही हटा दिया है। खबर देखिए….एनबीटी ने अपने हेडलाइन में साफ साफ लिखा है…

यानि कि बात शीशे की तरह साफ है कि एक ओर नीतीश कुमार की पार्टी से स्पीकर का पद गया है तो दूसरी ओर नकेल कसने की तैयारी शुरु हो गई और अचानक बीजेपी के डिप्टी सीएम के विभाग पर एक ऐसे अफसर को बैठा दिया गया है जो बहुत ही सख्त है और ये भी तय है कि नीतीश कुमार के हिसाब से ही काम करेगा। ऐसे में ये बात साफतौर तौर पर जाहिर होती दिख रही है कि नीतीश कुमार स्पीकर पद छिनने के बाद एक्शन में है और उनके पास जो सिर्फ एक ताकत ट्रॉसफर और पोस्टिंग की है उसी के सहारे खेल कर रहे हैं।

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार में बीजेपी की तरफ से ये आरोप बराबर लगता रहा है कि उनके सचिव उन्हें काम नहीं करने देते। लेकिन अपरोक्ष रूप से वे मंत्री यही कहते रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने साथी दल के विभाग पर सचिव के द्वारा नियंत्रण रखते हैं। इस बात को एक बार फिर तूल तब मिल गया जब आईएएस के हुए तबादले में राजस्व विभाग का प्रधान सचिव सीके अनिल को बनाया गया। राजनीतिक गलियारों में इस बदलाव के बाद ये चर्चा तेज हो गई कि नीतीश कुमार स्पीकर पद जाने के बाद झुंझलाए हुए हैं और पहले से विजय सिन्हा से खुन्नस का असर दिखाई दिया। आपको बता दें कि सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा की टकराहट की जंग होती रही है।

राज्य ने पहली बार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तीखी बहस देखी थी। ये उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ही थे, जिन्होंने कुछ आगे बढ़ कर कह डाला कि बिहार में जब अपनी सरकार बनेगी, अटल बिहारी वाजपेयी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। बाद में अपने इस बयान की गलती को सुधारते कहा कि बिहार में अटल बिहारी वाजपेयी के सोच के अनुकूल सरकार बनेगी और नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार आगे भी रहेगी। राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ कहते हैं कि अचानक स्पीकर चुनाव के बाद राजस्व विभाग पर प्रधान सचिव सीके अनिल की पोस्टिंग को नीतीश के तेवर के रुप में देखा जा रहा है।

हालांकि दावा यह है कि नियमों के अनुरुप ही ट्रॉसफर की प्रक्रिया अपनाई गई है लेकिन, सीके अनिल का प्रधान सचिव बनना राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा पर एक तरह से नकेल कसने की तैयारी है। वैसे भी विजय कुमार सिन्हा तुनकमिजाजी हैं। वे प्रधान सचिव सीके अनिल का प्रेशर झेल नहीं पाएंगे। ऐसे में कहा जा रहा है कि स्पीकर चुनाव के बाद नीतीश कुमार को मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। वैसे भी नीतीश कुमार पहले ही आधिकारियों की पोस्टिंग को लेकर काफी अलर्ट है। बीजेपी गृह विभाग समेत कुछ विभागों में केंद्र सरकार के नए आईपीएस और आईएएस चाहती थी लेकिन इस पर शायद नीतीश कुमार और बीजेपी में सबकुछ फाइलन नहीं हो पाया है, क्योंकि कोई लिस्ट सामने नहीं आई है।

ऐसे में साफ है कि नीतीश कुमार के तेवर न सिर्फ बिगड़े हैं बल्कि विभागों मंें नए बीजेपी के डिप्टी सीएम पर नकेल कसने की तैयारी है। आपको बता दें कि खबर तो यहां तक है कि आगे भी कुछ विभागों का नंबर है, जो बीजेपी के है। वैसे भी नीतीश कुमार के पास गृह मंत्रालय छिनने के बाद सिर्फ लोक प्रशासन विभाग ही बचा हुआ है , और सीएम साहब अब इसी विभाग के सहारे अपनी नैया पार लगाने में जुट गए हैं लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ये सबकुछ कितने दिन चलेगा। जिस तरह सिर्फ 15 दिन की सरकार में सांप सीढ़ी का खेल शुरु हो गया है, ये सरकार के लिए शुभ संकेत नहीं है।

और सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि क्या इस हालत में नीतीश कुमार पांच साल सीएम रह पाएंगे क्योंकि अभी तक 20 साल में नीतीश कुमार हमेशा से सरकार को अपने ढंग से अपने हिसाब से चलाते आएं है लेकिन इस बार 20 दिन में ही उनको जिस तरह से हर एक मामले पर मोर्चेबंदी करनी पड़ रही है। ऐसे में नीतीश कुमार जल्द ही घबरा सकते हैं यानि कि एक बार फिर से पलटी गेम खेल सकते है लेकिन आपको बता दें कि ये इस बार इतना आसान नहीं है, अगर इस बार नीतीश कुमार कुछ ऐसा करते हैं तो ऑपरेशन लोटस तय है और बिहार में भी महाराष्ट्र मॉडल आना तय है।

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