हिजाब खींचना नीतीश को पड़ा भारी, भयंकर विरोध, नीतीश की कुर्सी जाना तय?

जब से नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर बिहार की कमान संभाली है तभी से राज्य की राजनीति स्थिती अस्थिर नजर आ रही है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: जब से नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर बिहार की कमान संभाली है तभी से राज्य की राजनीति स्थिती अस्थिर नजर आ रही है।

सोचिए पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद भी समझ नहीं आ रहा है कि राज्य को सही मायनों में कौन चला रहा है।

कभी कहा जाता है कि डिप्टी सीएम के चेहरों के जरिये मोदी शाह दिल्ली में बैठ कर बिहार सरकार चला रहे हैं तो कभी कहा जाता है कि नीतीश बाबू अपने अफसरों के दम पर ये सरकार चला रहे हैं। लेकिन अब ऐसी खबरें निकलकर सामने आई हैं जो बताती हैं कि बिहार में एक बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है जिससे बिहार की राजनीति में सब कुछ बदलने जाएगा। खबर है कि बिहार की राजनीति में एक ऐसे नए प्लेयर की एंट्री होने वाली है जो नीतीश और भाजपा के हाथ से सारी पावर छीन लेगा। वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार का एक लेटेस्ट वीडियो सामने आया है जिसमें वो एक महिला के साथ ऐसी हरकत कर रहे हैं जिसने सबको हैरान कर दिया है।

इस वीडियो को देखकर समझना मुश्किल हो गया है कि क्या नीतीश कुमार बढ़ती उम्र के चलते ऐसी हरकतें कर रहे हैं या संघी विचारधारा उनपर भी हावी होने लगी है। तो आखिर नीतीश कुमार इस वीडियो में ऐसी कौन सी हरकत करते पकड़े गए हैं जिसको लोग उनकी आलोचना हो रही है और किस नए खिलाड़ी की एंट्री होने वाली है,

नीतीश कुमार जिद करके मुख्यमंत्री बन तो गए हैं लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि उनसे ये कुर्सी अब संभल नहीं रही है। उनकी बढ़ती उम्र उनकी राजनीतिक आकांक्षाओं का साथ नहीं दे रही है। कुछ लोग तो उनको बिहार का जो बाइडेन तक कहने लगे हैं। शायद यही कारण है कि अब बिहार में चर्चा होने लगी है कि नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी कौन होगा। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि हिंदू धर्म में अशुभ माने जाने वाले 14 दिसंबर से 13 जनवरी तक के एक महीने के ‘खरमास’ के बाद राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है, इस दौरान कोई बड़ा काम नहीं किया जाता है।

सूत्रों के अनुसार, हाल ही में दिल्ली में जेडीयू के दो वरिष्ठ पदाधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें जेडीयू प्रमुख और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को देखते हुए उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी के मुद्दे पर चर्चा की गई है। जी हां दोस्तों, खबर है कि जेडीयू नीतीश कुमार के जीवनकाल में ही उनके उत्तराधिकारी के लंबे समय से लंबित प्रश्न का समाधान करने के लिए उत्सुक है ताकि अति पिछड़े वर्गों का वोट उनकी पार्टी से छिटक न जाए।

बिहार की आबादी का 36.01% हिस्सा बनाने वाले ईबीसी समुदाय ने राज्य के सबसे बड़े सामाजिक समूह का गठन किया है और लगातार चुनावों में नीतीश कुमार का समर्थन किया है। जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने बताय कि, ‘हमने भी ऐसी ही चर्चाएं सुनी हैं, लेकिन इस बारे में अभी कुछ भी आधिकारिक नहीं है। लेकिन इस मुद्दे पर पार्टी का रुख बिल्कुल स्पष्ट है कि निशांत जी को खुद इस पर फैसला लेना है, और जब भी वे फैसला लेंगे, हम सभी को बहुत खुशी होगी।’ अब देखिए राजीव रंजन के इस बयान से साफ पता चलता है कि जेडीयू भी नीतीश के बेटे निशांत को ही पार्टी का उत्तराधिकारी बनाने में लगी है। मतलब अब भाजपा को जेडीयू का वंशवाद परिवारवाद नजर नहीं आएगा।

सूत्रों के अनुसार, निशांत को हाल ही में पटना हवाई अड्डे पर जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा के साथ देखा गया था, जिसे उन्होंने एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम बताया। जेडीयू सूत्रों का कहना है कि यहां तक कि मुख्य मतदाता भी निशांत को अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए “सही चेहरा” मानने लगे हैं। पटना भर में लगे पोस्टरों और बैनरों में ऐसी ही मांगें दिखाई गई हैं, जिससे इस चर्चा को और बल मिला है।

हालांकि निशांत ने इन अपीलों पर पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है और कोई जवाब नहीं दिया है, लेकिन पिछले एक साल में उन्हें राज्य की राजनीति में अधिक सक्रिय देखा गया है। कुछ दिन पहले, उन्हें एक सामाजिक समारोह में पार्टी नेताओं के साथ बातचीत करते हुए देखा गया, जिससे नई अटकलें लगने लगीं। लेकिन अब लग रहा है कि पार्टी जल्द ही निशांत को मना लेगी क्योंकि जिस तरीके से नीतीश कुमार पब्लिक में अपना व्यवहार दिखा रहे हैं वो बेहद चिंताजनक हो गया है।

नीतीश कुमार जिद करके मुख्यमंत्री बन तो गए हैं लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि वो अपनी बची कुची इज्जत को भी मिट्टी में मिलाने की तैयारी में हैं। क्योंकि जिस तरह से वो बेकाबू होकर पब्लिक में बतौर सीएम पेश आते हैं और खास करके महिलाओं के साथ उनका जो व्यवहार रहता है, वो उन्हें बड़ी मुश्किल में डाल सकता है।

पहले बिहार में चर्चा हुआ करती थी कि नीतीश कुमार अब महिलाओं के लिए अगला क्या फैसला लेने जा रहे हैं लेकिन अब चर्चा होती है या कहें कि उनकी विडियो वायरल होती रहती हैं जिसमें वो महिलाओं के साथ इतने मिलनसार हो जाते हैं कि वो मर्यादा के दायरे को भी पार कर जाते हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है इस वीडियो को देखिए जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम के दौरान एक मुस्लिम महिला डॉक्टर के चेहरे से हिजाब हटाते दिखाई देते हैं.

यह घटना सोमवार को पटना के बापू सभागार में हुई, जहां 1000 से अधिक चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र दिए जा रहे थे. वीडियो में दिख रहा है कि जैसे ही डॉक्टर नुसरत परवीन मंच पर पहुंचीं, नीतीश कुमार ने उनसे पूछते हुए उनका हिजाब हटाने की कोशिश की. यह पूरा दृश्य कैमरे में कैद हो गया और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया शुरू हो गई है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इसके लेकर पोस्ट किया है- “बिहार में एक समारोह में पत्र वितरण के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक लड़की का जबरन हिजाब खींच लिया। सुरक्षाकर्मी को उस लड़की को पीछे खींचना पड़ा। इतनी घटिया हरकत पर इतना सुई टपक सन्नाटा क्यों? एक CM ने यह किया पर कोई आक्रोश नहीं? TV पर कोई डिबेट नहीं? हद है।”

वहीं सपा सांसद इकरा हसन जो खुद भी हिजाब पहनती हैं उन्होंने पोस्ट करते हुए लिखा है- ” शर्मनाक! एक महिला डॉक्टर का हिजाब खींचना उसकी गरिमा और धार्मिक पहचान पर सीधा हमला है। जब राज्य का मुख्यमंत्री ऐसा करे, तो महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठना लाज़मी है।” वहीं PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इसको लेकर पोस्ट किया कि- “मैं व्यक्तिगत रूप से नीतीश जी को जानता और उनका सम्मान करता रहा हूँ, इसलिए उन्हें एक युवा मुस्लिम महिला का नक़ाब खींचते हुए देखकर मुझे गहरा सदमा लगा। समझ नहीं आता कि इसे उम्र का असर कहा जाए या फिर मुसलमानों को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने की बढ़ती हुई आदत। इससे भी ज़्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि उनके आसपास मौजूद लोग इस भयावह घटना को तमाशे की तरह देखते रहे। नीतीश साहब, शायद अब आपके लिए पद छोड़ने का समय आ गया है।”

वहीं RJD ने अपने अकाउंट पर इस वीडियो को शेयर करते हुए पोस्ट किया है- “यह क्या हो गया है नीतीश जी को? मानसिक स्थिति बिल्कुल ही अब दयनीय स्थिति में पहुंच चुकी है या नीतीश बाबू अब 100% संघी हो चुके हैं?” अब देखिए जहां विपक्ष इसको नारी का अपमान कहकर नीतीश कुमार को घेर रहा है तो भाजपा के नफरती चिंटुओं ने इसमें भी हिंदू मुस्लिम करने का मौका ढूंढ लिया है। भाजपा आईटी सेल नीतीश की इस गिरी हुई हरकत को भी पूरा सपोर्ट कर रहा है।

अब देखिए बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ जेडीयू को ज़बरदस्त बहुमत मिला। नीतीश कुमार की इस जीत में महिलाओं की भूमिका काफी अहम रही लेकिन अब हर चीज उम्र के हिसाब से अच्छी लगती है। क्योंकि जिस उम्र में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हैं उनकी उम्र के दादा जी को सभी कामों से बिलकुल मुक्त करके घर बिठा दिया जाता है। वैसे तो नीतीश कुमार बिहार की महिलाओं के चहेते हैं लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि उनके इसी लाड और दुलार के चलते नीतीश बाबू बिगड़ गए हैं। यह कोई मामूली चूक नहीं है। यह अपमान, अहंकार और पद की गरिमा का पतन है, जिसे कैमरे में कैद किया गया है।

एक मौजूदा मुख्यमंत्री एक आधिकारिक समारोह के दौरान सार्वजनिक रूप से एक महिला का हिजाब खींचते हैं, जबकि उनके सहयोगी उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं। यह महज़ असहजता नहीं है, बल्कि गरिमा, सहमति और बुनियादी मानवीय सम्मान का पूर्ण उल्लंघन है। उपमुख्यमंत्री द्वारा हस्तक्षेप करने का स्पष्ट प्रयास इसे और भी बदतर बना देता है। अगर कोई आम आदमी ऐसा करता, तो उसे घसीटकर बाहर निकाला जाता, गिरफ्तार किया जाता और सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा किया जाता।

कुल मिलाकर बिहार की राजनीति आज ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहाँ सत्ता से ज़्यादा सवाल हावी हैं। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री तो हैं, लेकिन उनका आचरण, उनकी उम्र और उनके फैसले अब सरकार के लिए बोझ बनते जा रहे हैं। जिस नेता को कभी सुशासन और महिला सम्मान का प्रतीक माना गया, वही आज कैमरे में कैद ऐसी हरकतों के कारण कठघरे में है। उधर उत्तराधिकारी की चर्चाएँ बताती हैं कि जेडीयू को भी अंदेशा हो गया है कि अब नीतीश नाम की गाड़ी ज्यादा दूर नहीं चलने वाली। बिहार में बदलाव अब अटकल नहीं, संकेत बन चुका है।

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