जी राम जी बिल लोकसभा में पेश होते ही विपक्ष ने काटा बवाल, प्रियंका ने लगा दी क्लास!

भाजपा राज में नाम बदलने का सिलसिला इस कदर बढ़ गया है जिसकी कोई हद्द नहीं है। आलम ये है कि भाजपा के लोग इसे ही विकास कहने लगे हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: भाजपा राज में नाम बदलने का सिलसिला इस कदर बढ़ गया है जिसकी कोई हद्द नहीं है। आलम ये है कि भाजपा के लोग इसे ही विकास कहने लगे हैं। इन लोगों की सनक इस कदर बढ़ गई है कि ये कभी जगहों का नाम बदल देते हैं तो कभी पुरानी सरकारों द्वारा लाइ गई योजनाओं का नाम बदल देते हैं।

वहीं रोजगार, महंगाई और बेरजगारी जैसे मुद्दों पर ये लोग बात करने से भी कतराते हैं। खैर इसी कड़ी में भाजपा सरकार एक और योजना का नाम बदलने पर आमदा है। जिसे लेकर विपक्ष हमलावर है। दरअसल संसद में आज ‘जी राम जी’ बिल पर हंगामा मचा हुआ है। मनरेगा की जगह आ रहे ‘जी राम जी’ बिल पर विपक्षी पार्टियां हमलावर हैं…

विपक्षी सांसदों ने जी राम जी बिल को लेकर सदन में जमकर नारेबाज़ी की। इस बीच मोदी सरकार जी राम जी बिल को लोकसभा में पेश कर चुकी है। शिवराज सिंह चौहान ने इस बिल को पेश किया। वहीं, विपक्ष इस नए बिल का विरोध कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि सरकार नया कानून बनाने की जगह सिर्फ पुराने कानून का नाम बदल रही है।

इसी कड़ी में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने नियम 72(1) के तहत कड़ी आपत्ति दर्ज कराई. उन्होंने कहा कि मनरेगा पिछले 20 वर्षों से ग्रामीण रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में प्रभावी रहा है. उन्होंने मांग की कि इस बिल को सीधे पारित करने के बजाय संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाए.

इस बिल पेश को लेकर सदन के बाहर भी भारी विरोध देखने को मिला। मनरेगा का नाम बदले जाने के विरोध में कांग्रेस सांसदों ने मकर द्वार पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया। जहां विपक्ष के बड़े-बड़े नेताओं ने हाथों में महात्मा गांधी के पोस्टर को लेकर विरोध करते हुए नजर आये। वहीं आपको बता दें कि सदन में बिल पेश होने से पहले भी विपक्ष के नेता भाजपा सरकार को घेरते हुए नजर आए।

बात की जाए मनरेगा की तो कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में मनरेगा कानून आया था. यूपीए सरकार ने 2005 में ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून को लागू किया था और 2009 में इसके नाम में महात्मा गांधी जोड़ा गया. यह दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना है, जो ग्रामीण गरीबी कम करने, स्थानीय इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण रही है. पिछले 20 सालों से मनरेगा ग्रामीण रोजगार की रीढ़ रही है. इसके जरिए साल में 100 दिन रोजगार देने की गारंटी थी, जिसके चलते गाँव में ही लोगों को काम मिल रहा था.

अब मोदी सरकार मनरेगा का नाम ही नहीं बदलने जा रही है, बल्कि कई अन्य बदलाव भी किए हैं. सरकार का तर्क है कि ग्रामीण भारत बदल गया है, गरीबी घटी है, डिजिटल पहुंच बढ़ी है, इसलिए नई, आधुनिक योजना की जरूरत है. विपक्ष इसे साजिश बता रहा है, क्योंकि कांग्रेस सरकार के दौर में यह कानून आया था और अब उसका नाम बदला जा रहा है।

कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में मनरेगा कानून आया था. यूपीए सरकार ने 2005 में ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून को लागू किया था और 2009 में इसके नाम में महात्मा गांधी जोड़ा गया. यह दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना है, जो ग्रामीण गरीबी कम करने, स्थानीय इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण रही है. पिछले 20 सालों से मनरेगा ग्रामीण रोजगार की रीढ़ रही है. इसके जरिए साल में 100 दिन रोजगार देने की गारंटी थी, जिसके चलते गाँव में ही लोगों को काम मिल रहा था.

अब मोदी सरकार मनरेगा का नाम ही नहीं बदलने जा रही है, बल्कि कई अन्य बदलाव भी किए हैं. सरकार का तर्क है कि ग्रामीण भारत बदल गया है, गरीबी घटी है, डिजिटल पहुंच बढ़ी है, इसलिए नई, आधुनिक योजना की जरूरत है. विपक्ष इसे साजिश बता रहा है, क्योंकि कांग्रेस सरकार के दौर में यह कानून आया था और अब उसका नाम बदला जा रहा है।

वहीं दूसरी तरफ है जो की नाम बदलने को ही विकास मान बैठी है। तभी तो केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से नाम बदलने का एक पैटर्न दिख रहा है. प्रधानमंत्री आवास का नाम बदलकर सेवा तीर्थ और विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राज भवन और राज निवास का नाम बदलकर लोक भवन और लोक निवास कर दिया गया. मोदी सरकार का कानूनों, योजनाओं, प्रोजेक्ट्स और मंत्रालयों के नाम बदलने का सिलसिला जारी है. इसी कड़ी में सरकार ने मनरेगा की जगह ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ बिल सदन में पेश किया गया है।

सरकार का दावा है कि यह नया कानून ‘विकसित भारत 2047’ के सपने को पूरा करने वाला एक आधुनिक ढांचा होगा. इसमें काम के दिन बढ़ाए गए हैं, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल है और खेती के सीजन का विशेष ध्यान रखा गया है. लेकिन लोगों की मौजूरी बढ़ाने का कोई जिक्र नहीं किया गया है। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सत्ताधारी दल भाजपा को जमकर घेर रहा है। यह मामला अब सड़क से लेकर संसद तक चर्चा का विषय बना हुआ है।

 

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