Court ने खारिज किए BJP के सभी दावे, बदले की राजनीति पर लगा करारा तमाचा!
मोदी सरकार की बदले की राजनीति पर करारा तमाचा लगा है....दरअसल, दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट का फैसला सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी को मिली कानूनी राहत भर नहीं है...

4पीएम न्यूज नेटवर्क: मोदी सरकार की बदले की राजनीति पर करारा तमाचा लगा है….दरअसल, दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट का फैसला सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी को मिली कानूनी राहत भर नहीं है…
बल्कि ये केंद्र की मोदी सरकार की उस पूरी राजनीति पर करारा तमाचा है…जो बीते दस सालों से बदले की भावना में देश की जांच एजेंसियों को विपक्ष के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल करती रही है…कोर्ट द्वारा ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार करना इस बात की पुष्टि करता है कि नेशनल हेराल्ड केस एक कानूनी मामला कम और राजनीतिक साजिश ज़्यादा था.
जिसे बीजेपी ने महाघोटाले का नाम देकर देश भर में उछाला, मीडिया ट्रायल कराया, चुनावी भाषणों में बार-बार दोहराया और जनता के मन में ये बैठाने की कोशिश की कि गांधी परिवार ने कोई बहुत बड़ा अपराध किया है…लेकिन जब मामला अदालत के कठोर कानूनी दायरे में पहुंचा…तो सच्चाई सामने आ गई और पता चला कि इस केस में तो कोई ठोस सबूत ही नहीं हैं….कोई आपराधिक मंशा नहीं और कोई ऐसा तथ्य नहीं…जिस पर अदालत सुनवाई तक को तैयार हो…
राउज एवेन्यू कोर्ट का ये कहना कि ईडी की चार्जशीट संज्ञान के योग्य नहीं है…अपने आप में बेहद ही गंभीर टिप्पणी है…इसका सीधा मतलब है कि जांच एजेंसी वो कानूनी सबूत ही पेश नहीं कर पाई…जो किसी आपराधिक मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी होती है…सालों की जांच, दर्जनों समन, पूछताछ और छापों के बाद भी अगर एजेंसी अदालत को संतुष्ट नहीं कर पाई…तो सवाल सिर्फ ईडी पर नहीं…बल्कि उस सरकार पर भी उठता है…
जिसके इशारों पर ये पूरी कवायद चली…साथ ही कोर्ट का ये फैसला इस बात को भी उजागर करता है कि कैसे राजनीतिक दबाव में जांच एजेंसियों से ऐसे मामलों में चार्जशीट दाखिल करवाई जाती है…जिनका मकसद सजा दिलाना नहीं…बल्कि विपक्ष को बदनाम करना होता है…
कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने इसे सत्य की जीत बताया और तीखी प्रतिक्रिया दी…कांग्रेस की ओर से पार्टी के ऑफीशियल एक्स अकाउंट पर एक लैटेर शेयर किया गया…जिसमें लिखा है…सत्य की जीत हुई है…मोदी सरकार की बदनीयत और गैरकानूनी तरीके से की गई कार्रवाई पूरी तरह से बेनकाब हो गई है…माननीय अदालत ने यंग इंडियन मामले में कांग्रेस नेतृत्व…श्रीमती सोनिया गांधी जी और श्री राहुल गांधी जी के खिलाफ ED की कार्रवाई को अवैध और दुर्भावना से ग्रसित पाया है…अदालत ने फैसला दिया है कि ED का मामला क्षेत्राधिकार से बाहर है…उसके पास कोई FIR नहीं है…जिसके बिना कोई मामला ही नहीं बनता…मोदी सरकार द्वारा पिछले एक दशक से मुख्य विपक्षी दल के खिलाफ, राजनीतिक प्रतिशोध और बदले की भावना से की जा रही ये कार्रवाई आज पूरे देश के सामने बेनकाब हो गई है…
मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं…अपराध की कोई आय नहीं और संपत्ति का कोई हस्तांतरण नहीं….ये सभी निराधार आरोप जो निम्नस्तरीय राजनीति, द्वेष की भावना और सम्मान पर हमला करने की भावना से प्रेरित हैं….आज सब धराशायी हो गए…कांग्रेस पार्टी और हमारा नेतृत्व सत्य के लिए और हर भारतीय के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है…हमें कोई भी डरा नहीं सकता…क्योंकि हम सत्य के लिए लड़ते हैं….सत्यमेव जयते….
वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर लिखा कि…जब नेशनल हेराल्ड, कांग्रेस पार्टी और हमारे नेताओं को बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगाए गए, तब भी मैंने यही कहा था कि हम अंग्रेज़ों से नहीं डरे तो BJP-RSS या मोदी-शाह क्या चीज़ हैं। आज कोर्ट ने भी मोदी सरकार की कार्रवाई को अवैध ठहराकर राजनीतिक बदले की दुर्भावना से रची ये साज़िश को नाकाम किया है। ये “वोट चोर सरकार” लोकतंत्र को कुचलने की जितनी भी ज़ोर-ज़बरदस्ती कर ले, हम 140 करोड़ भारतीयों के लिए और इस संविधान को बचाने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। सत्य की जीत निश्चित है।
यही नहीं कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि…हमने बार-बार कहा है कि सत्य की जीत होगी….नेशनल हेराल्ड के केस में कुछ नहीं है- यही सच है….
नेशनल हेराल्ड कोई प्राइवेट कंपनी नहीं, बल्कि आज़ादी की लड़ाई से जुड़ा एक ऐतिहासिक नाम है…इसकी स्थापना 1938 में जवाहरलाल नेहरू ने की थी…ये अखबार स्वतंत्रता आंदोलन की आवाज़ रहा और आज़ादी के बाद भी लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक माना गया…आर्थिक कारणों से AJL यानी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड संकट में आई और अखबार का प्रकाशन बंद हुआ…
जिसे लेकर कांग्रेस का कहना है कि यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का गठन इसी विरासत को बचाने के लिए किया गया था…न कि किसी निजी लाभ के लिए…यंग इंडिया एक नॉन-प्रॉफिट कंपनी है…लेकिन, इस तथ्य को बार-बार नजरअंदाज किया गया और बीजेपी ने जानबूझकर इसे संपत्ति हड़पने की कहानी में बदल दिया………..इस केस की शुरुआत एक निजी शिकायत से हुई…लेकिन 2014 के बाद इसने पूरी तरह राजनीतिक रंग ले लिया…
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद ईडी और अन्य एजेंसियों की एंट्री हुई…बार-बार समन भेजे गए…घंटों पूछताछ हुई…छापे पड़े और हर कार्रवाई को मीडिया में इस तरह पेश किया गया…जैसे कोई बहुत बड़ा घोटाला सामने आने वाला हो…यहां तक कि हर चुनाव से पहले इस केस को गर्माया गया…संसद से लेकर चुनावी रैलियों तक…बीजेपी नेताओं ने इसे कांग्रेस पर हमला करने का मुख्य हथियार बनाया…जिसका साफ मकसद कानूनी सजा नहीं बल्कि, कांग्रेस की राजनीतिक बदनामी था…
नेशनल हेराल्ड केस उन कई मामलों में से एक है….जो ये दिखाता है कि कैसे मोदी सरकार ने ED, CBI और अन्य संस्थाओं को अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए इस्तेमाल किया…विपक्षी नेताओं के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाइयां…लेकिन सत्तारूढ़ दल से जुड़े मामलों में एजेंसियों की चुप्पी और ये पैटर्न अब किसी से छिपा नहीं है…कांग्रेस का आरोप है कि ईडी को राजनीतिक शाखा की तरह चलाया गया…
जांच का उद्देश्य सच्चाई तलाशना नहीं, बल्कि डर पैदा करना था…ताकि विपक्ष चुप रहे और सरकार से सवाल न पूछे……….जब-जब देश में महंगाई बढ़ी, बेरोजगारी चरम पर पहुंची, किसान आंदोलन तेज हुआ या अर्थव्यवस्था पर सवाल उठे…तब-तब नेशनल हेराल्ड जैसे मामलों को उछाल दिया गया…..जोकि एक सोची-समझी रणनीति थी…ताकि जनता का ध्यान असली समस्याओं से हटाकर विपक्ष पर केंद्रित किया जा सके….
वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये डाइवर्जन पॉलिटिक्स लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है…जब सरकार जवाबदेही से बचने के लिए एजेंसियों का सहारा लेने लगे…तो संस्थाओं की साख कमजोर होती है…इस पूरे मामले ने जांच एजेंसियों की विश्वसनीयता को गंभीर नुकसान पहुंचाया है….जब अदालत ये कहती है कि चार्जशीट सुनवाई योग्य ही नहीं है…तो सवाल उठता है कि सालों तक जांच के नाम पर आखिर क्या किया गया?….क्या ये सब सिर्फ राजनीतिक निर्देशों पर हुआ?…सवाल कई हैं…लेकिन ये फैसला न्यायपालिका की स्वतंत्रता का उदाहरण है….लेकिन साथ ही ये चेतावनी भी है कि अगर संस्थाओं का दुरुपयोग इसी तरह होता रहा, तो लोकतांत्रिक ढांचा खोखला हो सकता है…….
वहीं कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी की तरफ से कोई आक्रामक प्रतिक्रिया नहीं आई…जिन नेताओं ने सालों तक इस केस को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला….वो अचानक खामोश हैं….लेकिन, ये चुप्पी खुद बहुत कुछ कहती है….राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि ये फैसला बीजेपी की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस वाली छवि को झटका देता है….नेशनल हेराल्ड केस पर राउज एवेन्यू कोर्ट का फैसला इस बात का सबूत है कि बदले की भावना से चलाई गई राजनीति आखिरकार अदालत में टिक नहीं पाती…..सालों तक झूठे नैरेटिव गढ़े गए, एजेंसियों का दुरुपयोग हुआ और लोकतांत्रिक संस्थाओं को नुकसान पहुंचाया गया….लेकिन अंत में सच सामने आ गया…..
ये सिर्फ कांग्रेस या गांधी परिवार की जीत नहीं है….बल्कि उन सभी के लिए संदेश है…जो सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ खड़े हैं…..ऐसे में सवाल अब ये है कि क्या मोदी सरकार इस फैसले से सबक लेगी….या फिर बदले की राजनीति का ये सिलसिला यूं ही लोकतंत्र को कमजोर करता रहेगा?…….



