111% उत्पादकता के दावे के साथ शीतकालीन सत्र समाप्त, कई अहम मुद्दे अनसुलझे
18वीं लोकसभा का शीतकालीन सत्र 111% उत्पादकता के दावे के साथ खत्म हुआ, लेकिन कई अहम सवाल अनसुलझे रह गए.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: 18वीं लोकसभा का शीतकालीन सत्र 111% उत्पादकता के दावे के साथ खत्म हुआ, लेकिन कई अहम सवाल अनसुलझे रह गए.
इस छोटे सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए, जिस पर विपक्ष ने पर्याप्त चर्चा न होने का आरोप लगाया. ‘वंदे मातरम’ और ‘चुनावी सुधारों’ पर लंबी बहस हुई.
18वीं लोकसभा का छठा सत्र शुक्रवार को खत्म हो गया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सत्र की कार्य-उत्पादकता 111 प्रतिशत रहने का दावा किया. 1 दिसंबर से शुरू हुए इस सत्र में लोकसभा की कुल 15 बैठकें हुईं. इनकी अवधि 92 घंटे 25 मिनट रही. सत्र अपेक्षाकृत छोटा रहा और कई अहम विधेयक देर रात पारित किए गए.
विधेयकों की रफ्तार तेज, चर्चा सीमित
सत्र के दौरान 10 विधेयक पेश किए गए, जिनमें से 8 पास हुए. मणिपुर माल एवं सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025
केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025
स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025
विनियोग (संख्यांक 4) विधेयक, 2025
निरसन और संशोधन विधेयक, 2025
सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा विधि का संशोधन) विधेयक, 2025
भारत के रूपांतरण के लिए नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्धन विधेयक, 2025
विकसित भारत – रोज़गार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण) ‘वी बी -जी राम जी (विकसित भारत-जी राम जी) विधेयक, 2025 को पास किया गया. विपक्ष का आरोप रहा कि विधेयकों को पर्याप्त चर्चा के बिना जल्दबाज़ी में पारित किया गया.
इस बीच सत्र में दो विषयों पर अपेक्षाकृत लंबी चर्चा हुई. राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर 11 घंटे 32 मिनट तक चर्चा हुई, जिसमें 65 सदस्यों ने भाग लिया. इसके अलावा 9 और 10 दिसंबर को चुनावी सुधार पर करीब 13 घंटे बहस चली, जिसमें 63 सांसद शामिल हुए. शून्यकाल के दौरान लोक महत्व के 408 मामले उठाए गए, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि कई गंभीर मुद्दों पर चर्चा सीमित समय में सिमट गई.
11 दिसंबर को अकेले शून्यकाल में 150 सदस्यों ने अपने मामले उठाए, जिससे कार्यवाही अक्सर अव्यवस्थित रही. सत्र में 137 प्राइवेट मेम्बर बिल पेश किए गए लेकिन किसी पर भी आगे की ठोस कार्यवाही नहीं हो सकी. 12 दिसंबर को पेश किए गए एयरलाइंस समस्या से जुड़े एक प्राइवेट मेम्बर बिल पर गंभीर चर्चा हुई लेकिन उसके बाद बिल को वापस ले लिया गया. इस सत्र के दौरान सरकार द्वारा एक बिल को संसद की जेपीसी में भी चर्चा के लिए भेजा गया है, जो कि विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान बिल 2025 है.



