कुलदीप सेंगर की बेल पर मचा बवाल, धरने पर बैठी पीड़िता तो पुलिस ने जबरन उठाया

आज कल न्याय व्यवस्था का क्या हाल है ये बात किसी से छुपी नहीं है। जहां एक तरफ बेगुनाहों को सजा दी जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ बलात्कारियों की सजा रद्द की जा रही है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: आज कल न्याय व्यवस्था का क्या हाल है ये बात किसी से छुपी नहीं है। जहां एक तरफ बेगुनाहों को सजा दी जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ बलात्कारियों की सजा रद्द की जा रही है।

दिल्ली हाईकोर्ट के वर्ष 2017 के उन्नाव दुष्कर्म केस के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबित कर दी है। जिसे लेकर लोगों में भारी रोष दिखाई पड़ रहा है। इस फैसले को लेकर न्याय व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं हाईकोर्ट के फैसले के बाद रेप पीड़िता अपनी माँ और एक अन्य महिला के साथ दिल्ली के इंडिया गेट पर धरने पर बैठ गई। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महिलाएं धरना दे रही थी लेकिन पुलिस ने तीनों को डिटेन कर लिया। इस घटना के बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है।

उन्नाव रेप केस वर्ष 2017 का है। जिसमें आरोप है कि कुलदीप सिंह सेंगर और उसके साथियों ने 17 वर्षीय नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया था। मामले की जांच सीबीआई ने की थी। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 20 दिसंबर 2019 को सेंगर को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी और मृत्यु तक जेल में रखने का आदेश दिया था। साथ ही उस पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।

गौरतलब है कि उन्नाव रेप मामले में पीड़िता और उसके परिवार को लगातार धमकियों और हमलों का सामना करना पड़ा था। इस केस में पीड़िता के परिवार के कई सदस्यों की एक-एक कर संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। न्याय की गुहार लगाते-लगाते पीड़िता ने एक बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सामने आत्मदाह की कोशिश भी की थी, जिसके बाद यह मामला देशभर में सुर्खियों में आया। मामले की सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में इस केस को दिल्ली की अदालत में ट्रांसफर किया गया था। वहीं अब आए फैसले में अदालत ने सेंगर की उम्रकैद की सजा को सस्पेंड कर दिया।

वहीं कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबित करने के खिलाफ धरने पर बैठीं पीड़िता की मां ने कहा कि मेरा परिवार अब खतरे में है। हम देश की बहनों और बेटियों के लिए लड़ते रहेंगे और पीछे नहीं हटेंगे। उन्नाव दुष्कर्म केस के दोषी की सजा निलंबित करने पर महिला एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने कहा कि उन्हें शुरू से ही बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। आज ऐसा क्या हो गया कि आरोपी को बेल मिल गई। दुष्कर्म के दोषी को बेल मिल रही है और बेगुनाह जेल में रखे जा रहे हैं। आज कोई उनके साथ नहीं खड़ा है।

वहीं इसे लेकर पीड़िता की बहन ने कहा कि उसने मेरे चाचा को मारा और फिर मेरे पिता को फिर मेरी बहन के साथ यह घटना हुई और अब वह रिहा हो गया है। अगर उन्होंने उसे रिहा कर दिया है तो हमें जेल में डाल देना चाहिए। कम से कम हमारी जान वहां सुरक्षित रहेगी। मेरा एक भाई है, कौन जानता है कि वे उसके साथ क्या कर सकते हैं? उनके कई आदमी बाहर घूम रहे हैं, धमकियां दे रहे हैं, कह रहे हैं कि अब जब वह वापस आ रहा है तो तुम मेरा क्या कर सकते हो? मैं तुम में से हर एक को मार डालूंगा।

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा कि सेंगर की सजा निलंबित की जा रही है लेकिन उस पर कई कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे। अदालत ने सेंगर को 15 लाख रुपये के निजी मुचलके और समान राशि की तीन जमानतों पर रिहा करने का निर्देश दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि कुलदीप सिंह सेंगर पीड़िता के निवास स्थान से पांच किलोमीटर के दायरे में प्रवेश नहीं करेंगे और अपील के निस्तारण तक उन्हें दिल्ली में ही रहना होगा।

इसके साथ ही उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि यदि अपील खारिज होती है तो वह शेष सजा भुगतने के लिए उपलब्ध रहेंगे। हाईकोर्ट ने सेंगर को पीड़िता या उसकी मां को किसी भी प्रकार से धमकाने या संपर्क करने से भी सख्त रूप से प्रतिबंधित किया है। इसके अलावा, उन्हें अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा कराने और हर सप्ताह सोमवार को सुबह 10 बजे स्थानीय पुलिस थाने में हाजिरी लगाने का निर्देश दिया गया।

भले ही कोर्ट की तरफ से इतनी कथित सख्ती दिखाई हो लेकिन पीड़ित परिवार को अब अपनी जान का खतरा सता रहा है। इसे लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। इसी बीच सजा निलंबित होने पर निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि यह एक नया नियम बनाया जा रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। आप 500 किमी दूर हों या घर पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

गौरतलब है कि इस फैसले के सामने आने के बाद लोगों में भारी रोष दिखाई दे रहा है। वहीं दूसरी तरफ धरने पर बैठे पीड़ित परिवार के लोगों को पुलिस द्वारा धक्का देकर भगाया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कब तक पीड़ितों को न्याय के लिए दर बा दर की ठोकरें खानी पड़ेंगी और आरोपों नेताओं की सजा यूँ ही माफ़ होती रहेगी।

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