ऑल इज वेल पूरा प्रदेश एक दम टनाटन’ ब्राह्मण विधायकों की बैठक पर राजभर का बड़ा बयान!
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले राज्य का सियासी पारा हाई हो गया है। चुनाव से पहले अपने अपने दलों के मजबूती दिलाने और वोटरों को साधने के लिए राजनेता तरह-तरह रणनीति बनाना शुरू कर चुके हैं

4पीएम न्यूज नेटवर्क: यूपी विधानसभा चुनाव से पहले राज्य का सियासी पारा हाई हो गया है। चुनाव से पहले अपने अपने दलों के मजबूती दिलाने और वोटरों को साधने के लिए राजनेता तरह-तरह रणनीति बनाना शुरू कर चुके हैं ऐसे में नेताओं ने वोटरों को साधने के लिए मीटिंगों का सिलसिला भी शुरू कर दिया है।
वहीं इसी बीच प्रदेश में ऐसा कुछ हुआ जिसे लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। दरअसल हम बात कर रहे है सूबे चल रही जाति राजनीति की। पहले ठाकुर विधायकों की बैठक। उसके बाद कुर्मी नेताओं की जुटान और फिर ब्राह्मण विधायकों की बैठक। यूपी बीजेपी के अंदर इस ‘पावर शो’ के बाद सियासी पारा इतना चढ़ा कि प्रदेश अध्यक्ष को चेतावनी जारी करनी पड़ी। विरोधियों को भी मौका मिला तो वे भी इस सियासत में कूद गए और भाजपा पर हमलावर हो गए। इसके बावजूद भाजपा में ‘पावर शो’ रुकने का नाम नहीं ले रहा।
पार्टी के अंदर ही जाति और क्षेत्र के नाम पर अपनी-अपनी ताकत दिखाने का दौर जारी है। अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर भाजपा के अंदर इस ‘पावर शो’ की वजह क्या है? इन जातीय बैठकों पर भाजपा और विपक्ष के बीच इतनी जंग क्यों छिड़ी है? पार्टी के अंदर ‘पावर शो’ तब चर्चा में आया जब विधानमंडल के मॉनसून सत्र के दौरान कुंदरकी विधायक राम वीर सिंह की अगुआई में लखनऊ में ठाकुर विधायकों की बैठक हुई। उसके बाद कल्याण सिंह और अवंतीबाई लोधी के नाम पर लोध नेताओं की और फिर जन्मदिन आयोजन के नाम पर कुर्मी नेताओं की जुटान हुआ।
हाल ही में विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान लखनऊ में कुशीनगर विधायक के सरकारी आवास पर ब्राह्मण विधायकों की बैठक और भोज हुआ। इस आयोजन पर विपक्ष को मौका मिला तो बयानबाजी तेज हो गई।
दरअसल अब आलम ये है कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के 40 से अधिक विधायक और एमएलसी सदस्यों के एक सामुदायिक बैठक ने तूल पकड़ लिया. इसका धुंआ इस कदर फैसले लगा कि बीजेपी को ‘कुछ खास नहीं’ वाला स्पष्टीकरण देने के बाद यू टर्न लेना पड़ा. विपक्ष ने भी इसे ब्राह्मण विधायकों में नाराजगी को लेकर सत्ताधारी योगी सरकार को घेरना शुरू कर दिया था. अब यूपी के बीजेपी नेतृत्व ने यूपी के उक्त विधायकों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि वे अपनी अपनी जाति के आधार पर कोई बैठक न करें.
भाजपा की इन बैठकों के बहाने विपक्ष ने चुटकी लेना शुरू कर दिया है। सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने ब्राह्मणों को अपनी पार्टी में आने का न्योता दे दिया। कहा कि हमारे यहां समाजवाद है। वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा में मचे आपसी घमासान का कारण ऊपरी तौर पर भले कोई विद्रोही बैठक हो, पर असल कारण यह है कि भाजपा विधायकों के बीच यह खबर पहले ही आ चुकी है कि SIR में 2.89 करोड़ नाम कट गए हैं।
हालांकि वहीं दूसरी तरफ जब इसे लेकर NDA नेताओं से सवाल किया गया तो उन्होंने अलग ही प्रतिक्रिया दे डाली। दरअसल कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर यूपी के बलिया में कार्यक्रम में पहुंचे थे. यहां उन्होंने बीजेपी के ब्राह्मण विधायकों की बैठक पर कहा कि इसमें कोई साजिश नहीं, सबकुछ ठीक है. अपने अंदाज में बोले- “ऑल इज वेल पूरा प्रदेश एक दम टनाटन है, कहीं कोई दिक्कत नहीं.” झांसी के बीजेपी के विधायक रवि शर्मा की नाराजगी के सवाल पर राजभर ने कहा कि जहां 403 लोग हैं अगर एक-आध लोग नाराज हैं, तो उनको मना लिया जाएगा.
ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी के ब्राह्मण विधायकों का सपा द्वारा सम्मान दिए जाने के सवाल पर सपा और उसके मुखिया अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि पांच साल अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे तो वो कितना ब्राम्हणों का सम्मान किए खुद ही बता दें ? कितने ब्राम्हणों को नौकरी दिए ? खुद यादवों को पुलिस, लेखपाल , ग्राम सेवक में भर्ती किए और 86 में से जो 56 यादव एसडीएम बना दिया ? यही ब्राम्हण का सम्मान किया है. साथ ही उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए क्या कुछ कहा आप इस वीडियो में देखिये-
वहीँ बात की जाए बीजेपी द्वारा विशेष जाति के नेताओं की बैठक की तो आपको बता दें कि दरअसल, भाजपा में लंबे इंतजार के बाद प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो गया है। अब प्रदेश कार्यकारिणी चुनी जानी है। इसमें अपनी जगह बनाने की भी जोर-आजमाइश अभी से शुरू हो चुकी है। नई कार्यकारिणी के साथ ही मंत्रिमंडल में बदलाव की चर्चाएं भी लंबे समय से हैं।
संगठन के कुछ लोग मंत्रिमंडल में जाएंगे और मंत्रिमंडल से कुछ लोग संगठन में आ सकते हैं। ऐसे में हर कोई अपनी जगह सुरक्षित करना चाहता है। यही वजह है कि नेता इस ‘पावर शो’ के जरिए अपना कद दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव 2027 में है। इससे पहले 2024 में भाजपा को यूपी में बड़ा झटका लगा था।
यह बात सामने आई कि विपक्ष के PDA कार्ड के कारण भाजपा से ओबीसी और खासकर कुर्मी वोटर खिसक गए। यही वजह है कि भाजपा में इन जातियों को तवज्जो दी जा रही है। ऐसे में सवर्णों को लग रहा है कि उनको अहमियत नहीं मिल रही, इसलिए वे अपनी अहमियत दर्ज करवाना चाहते हैं। उधर, विपक्ष को यह एक मौका दिख रहा है।
हाल के बिहार चुनाव के नतीजे भी सबके सामने हैं। विपक्षी नेताओं ने दलित और ओबीसी पर फोकस किया और सवर्णों के खिलाफ बयानबाजी की थी। विपक्ष बिहार से सबक लेते हुए सवर्णो को अपनी ओर आकर्षित करना चाहता है। भाजपा के अंदर का घमासान उसे मौका नजर आ रहा है। अब ऐसे में देखना ये होगा की विपक्ष इसे लेकर कितना फायदा उठाना है।



