झल्लाहट छुपाने को गलत करवाए गए एग्जिट पोल के नतीजे
- पीएम-सीएम के बीच के रिश्ते ठीक नहीं
- कार्यकर्ताओं में आपसी समन्वय का घोर अभाव
आनंद सिंह
लखनऊ। दो दिन पहले दर्जन भर से ज्यादा एग्जिट पोल आए। एक-दो को छोड़ कर सभी ने यही उम्मीद जताई कि उत्तर प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार बनेगी। एग्जिट पोल को लेकर देश में कई लोग नाराजगी जताते रहे हैं लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो इसे अपनी प्रसन्नता से जोड़ कर देखते हैं। आप जब इस खबर को पढ़ेंगे, उसके चंद घंटे बाद ही उत्तर प्रदेश समेत पांचों राज्यों के चुनाव परिणाम देने की तैयारियां जोरों पर होंगी। कल यानी गुरुवार को यह परिणाम आ जाएगा। वैसे, इन एग्जिट पोल्स को लेकर देश भर में अलग-अलग धारणाएं हैं। ज्यादातर लोग इसे गलत मान रहे हैं। कुछेक सवालात हैं। इनका जवाब आप खोज लेंगे तो आपको समझ में आ जाएगा कि प्रदेश में भाजपा की क्या स्थिति है। इससे आपको यह भी समझ में आ जाएगा कि उत्तर प्रदेश में सरकार किसकी बननी है। याद करें, प्रधानमंत्री मोदी आखिरी चरण के चुनाव के वक्त चार दिनों तक बनारस में थे।
बनारस में उन्होंने रुद्राभिषेक किया, भाषण दिया, डमरू बजाया, रोड शो किया। लेकिन, इन चार दिनों में योगी आदित्यनाथ कहां थे, ये आपने कभी जानने की कोशिश की। देश का प्रधानमंत्री चार दिनों तक अपने संसदीय क्षेत्र में रहता है और जिस संसदीय क्षेत्र में रहता है, उस सूबे का मुख्यमंत्री उसके पास नहीं होता। ये आपको कहीं से खटकता है या नहीं। अगर नहीं खटकता तो आप राजनीति को और गंभीरता से समझना शुरू कर दें। बनारस के पहले, बस्ती का उदाहरण देता हूं। बस्ती में प्रधानमंत्री थे। प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्री थे। केंद्रीय मंत्री थी। नहीं थे तो योगी आदित्यनाथ। बताया गया कि वह देवरिया में हैं। प्रधानमंत्री देवरिया में उनके साथ मंच शेयर करेंगे। सवाल यह है कि बस्ती में प्रधानमंत्री थे तो मुख्यमंत्री को उनके साथ मंच शेयर करने में क्या दिक्कत थी। वह भी तब, जब प्रधानमंत्री सभा कर रहे हों। वह भी चुनावी सभा। पूरे गोरखपुर में प्रधानमंत्री की तस्वीर वाली पोस्टर लगती है।
उसमें पहले प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री, दोनों थे। फिर एकाएक ऐसा क्या हो गया कि मुख्यमंत्री की तस्वीर को हटा दिया गया और अकेले प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाई गई। वह भी पूरे गोरखपुर में। गोरखपुर सदर के प्रत्याशी का प्रधानमंत्री के साथ गोरखपुर में ही फोटो न हो तो यह सामान्य बात नहीं कही जा सकती। यह हकीकत है कि गोरखपुर के ही 9 विधानसभा सीटों में एक भी सीट ऐसी नहीं है जो भाजपा बिना किसी मुकाबले के जीत ले। यहां तक कि जिस गोरखपुर शहर सीट से मुख्यमंत्री स्वयं चुनाव लड़ रहे हैं, उस सीट को भी बहुत आसानी से नहीं जीता जा सकता। उन्हें सपा प्रत्याशी सुभावती शुक्ला कड़ी टक्कर दे रही हैं। हार-जीत का जो भी अंतर होगा, वह कल पता चल ही जाएगा। दरअसल, पिपराईच, खजनी, बांसगांव, चिल्लूपार, गोरखपुर ग्रामीण के नतीजे लोगों को चौंकाएंगे। यहां की जनता ने बहुत ही करीने से मतदान किया है। इसका फीडबैक मुख्यमंत्री को है। कहते हैं, प्रधानमंत्री को भी है। न सिर्फ इन चार-पांच सीटों का वरन पूरे 403 सीटों का। सातवें चरण में जो वोटिंग हुई है, वह भी चिंता का एक कारण है। आने वाले दिनों में आपको पता चल जाएगा कि बनारस में क्या गुल खिला है, बीते सात तारीख को।
पहले तीन चरणों में गठबंधन को मिलेगी 100 सीटें
अब फिर से आते हैं एग्जिट पोल पर। एक्जिट पोल में बताया गया है कि पहले, दूसरे और तीसरे चरण में जिन क्षेत्रों में मतदान हुआ, वहां भाजपा कोई डेढ़ सौ के करीब सीटें पा रही हैं। आपको अगर प्रदेश की राजनीति की थोड़ी भी समझ है, जानकारी है तो पता होगा कि इन तीन चरणों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जो वोटिंग हुई, उनमें जाटों, मुसलमानों और यादवों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। मूलत: जाट और मुसलमान भाजपा को वोट नहीं देने का मूड बना चुके थे और हमारी जानकारी भी यही कहती है कि उन इलाकों में समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोकदल को जम कर वोट पड़े हैं। माना जा रहा था कि इस गठबंधन को पहले तीन चरणों में ही 100 के करीब सीटें मिल जाएंगी लेकिन एग्जिट पोल में तो इस गठबंधन को सीधे-सीधे हाशिए पर ही डाल दिया।
एग्जिट पोल में हो सकता है खेल
2022 का यह पहला चुनाव है, जब एग्जिट पोल के पहले कुछ दमदार अखबारों ने इस आशय की खबर छापी थी कि एग्जिट पोल में खेल हो सकता है, इसे भाजपा मैनेज कर सकते हैं। दो रोज पहले जो एग्जिट पोल के परिणाम आए हैं, वह यह बताने के लिए काफी हैं कि दर्शकों के साथ एग्जिट पोल के परिणाम ने क्या किया है। पीएम-सीएम के बीच की दूरियां, कार्यकर्ताओं के बीच सहयोग की कमी आदि ऐसे कारण रहे जिसके कारण भाजपा की रणनीति कमजोर साबित हुई। उसे छुपाने के लिए ही एग्जिट पोल के परिणाम ऐसे दिलाए गए हैं।
गठबंधन से घबरा गई भाजपा : राजभर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 की मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब ईवीएम को लेकर हंगामा मचा हुआ है। सपा और उसके सहयोगी दलों ने ईवीएम की हैंडलिंग को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसे लेकर सपा प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं ने वाराणसी समेत प्रदेश के कई जिलों हंगामा और धरना प्रदर्शन किया। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने कहा है कि हमारे गठबंधन से भाजपा घबरा गई है। भाजपा ईवीएम में हेरफेर कर रही है। हमारे लोग सतर्क हैं, मतगणना स्थल की किलेबंदी कर दी है। ओपी राजभर ने कहा कि वाराणसी में तीन गाड़ियां ईवीएम लेकर निकली हैं और ये बिना किसी को सूचित किए किया गया है। चुनाव आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक उम्मीदवार को बिना बताए और बिना फोर्स के ईवीएम को कहीं नहीं ले जाया जा सकता है, लेकिन उसे ढककर ले जाया गया है। ये घटना दर्शा रही है कि भाजपा हताश होकर फर्जी तरीके से गड़बड़ी कर रही है। हमने इसकी शिकायत आयोग को दी है।
यूपी में अखिलेश की सरकार ही बनेगी : तेजस्वी
पटना। बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा यूपी में भाजपा सरकार की विदाई तय है। वहां योगीजी जाने वाले हैं और अखिलेश आने वाले हैं। गोवा और उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनेगी। हां, पंजाब में कड़ा मुकाबला हो सकता है लेकिन भाजपा कहीं मुकाबले में नहीं दिख रही। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता ने रिजल्ट दे दिया है। अब बस औपचारिकता बाकी है। लोगों में सरकार के प्रति जो आक्रोश दिखा उससे स्पष्ट है कि योगी जी की सरकार जाने वाली है। नेता प्रतिपक्ष ने ट्वीट कर भी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि बिहार में चोर दरवाजे की सरकार है। यहां 11-12 ऐसे जगह हैं, जहां बीते विधानसभा चुनाव में घोषणा के बावजूद किसी और को सर्टिफिकेट दे दिया गया। इस कारण प्रत्याशियों ने सबूत के साथ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इसलिए यूपी में आखिरी वोट तक नजर बनाए रखने की जरूरत है। निश्चिंत नहीं हो जाना है। हालांकि वहां की जनता में भाजपा सरकार के प्रति जो आक्रोश दिखा, उससे स्पष्ट है कि योगीजी की सरकार का जाना तय है। यूपी में भाजपा के जश्न मनाने की बात पर तेजस्वी ने कहा कि जनता से बीजेपी का कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें बस किसी न किसी तरह से सेलीब्रेशन करना है। इधर ट्वीट कर तेजस्वी ने कहा बिहार में जनमत को लूट चोर दरवाजे से बनी सरकार अब जनता का दमन कर रही है। बिहार वाली गलती नहीं दोहराना है और अंतिम समय तक मजबूती से मोर्चा संभाले रखना है। लोकतंत्र में लूट नहीं चलेगी। समाजवादी लोग अंतिम समय तक तानाशाहों और बेइमानों से लड़ते रहे हैं और लड़ते रहेंगे।
संसद का बजट सत्र का दूसरा चरण 14 से
नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण सामान्य रूप से चलेगा। कोरोना संकट से निकलने के बाद यह पहला मौका है, जब बैठकें सामान्य रूप से चलेंगी। आगामी 14 मार्च से शुरू होने वाले बजट सत्र के दोनों सदनों की सभी दीर्घाओं का उपयोग पहले की तरह से किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की संयुक्त बैठक में दोनों सदनों की बैठकों के बंदोबस्त पर विशेष चर्चा हुई। इस बैठक में दोनों सदनों के महासचिवों ने देश में कोविड की तीसरी लहर के लगभग समाप्ति की ओर बढ़ने और टीकाकरण के व्यापक कवरेज के संदर्भ में विशेष तौर पर विचार-विमर्श किया गया। संसद के दोनों सदनों के पिछले कई सत्रों में कोविड के चलते कई बार कटौती करनी पड़ी थी। इस दौरान कोविड प्रोटोकाल के चलते संसद के दोनों सदनों को अलग-अलग पालियों में बैठाया गया। इन बैठकों में सदस्यों को दोनों सदनों का संचालन विशेष तौर पर वीडियो के मार्फत भी किया गया। कुछ सदस्यों को अलग-अलग जगहों पर सीट दी गई था। इस बार संसद के दोनों सदन कोविड पूर्व की हालत में चलाए जाएंगे।