कितना झूठ बोलती है सरकार! वैक्सीनेशन में देश में सबसे खराब हालत यूपी की
- एमपी, गुजरात, महाराष्टï्र और बिहार में आबादी के हिसाब से टीकाकरण का प्रतिशत बेहतर
- आबादी के हिसाब से टीकाकरण करने में अन्य राज्यों से काफी पीछे है उत्तर प्रदेश
एनके सिंह, लखनऊ। कोरोना चूंकि एक संक्रामक बीमारी है और टीकाकरण ही अब तक का ज्ञात एकमात्र निदान है लिहाजा केवल यह बताने से कि भारत में कितने लोगों को पहला या दूसरा टीका लगा, हम आश्वस्त नहीं हो सकते कि बीमारी के प्रसार के खतरे की स्थिति क्या है। संक्रामकता आबादी में होती है लिहाजा कितने प्रतिशत लोग बाकि कितने प्रतिशत को संक्रमित कर सकते हैं यह इससे तय होगा कि टीकाकरण का प्रतिशत क्या है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 24 घंटे पहले देशवासियों को ताकीद की है कि कोरोना की दूसरी लहर खत्म नहीं हुई है और अगले तीन माह भारी पड़ सकते हैं अगर टीकाकरण में सुस्ती या सामाजिक नियमों के पालन में ढिलाई हुई। संख्या के हिसाब से यूपी सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है कि उसने देश में सबसे ज्यादा टीके लगाये हैं लेकिन प्रतिशत के पैमाने पर यह देश में सबसे नीचे है। विगत अगस्त माह का उदाहरण लें। आईसीएमआर के अनुसार इस राज्य में प्रतिदिन औसत 7.06 लाख टीके लगे जबकि एमपी में 4.6 लाख, महाराष्ट्र में 4.33 लाख, गुजरात में 4.17 लाख , राजस्थान में 3.78 और बिहार में 3.75 लाख। जाहिर है एमपी के मुकाबले यूपी की आबादी तीन गुनी (लगभग 24 करोड़) है लिहाजा टीकाकरण भी उसी अनुपात में होना चाहिए। ऐसे में अगर यूपी ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में टीकाकरण में अव्वल इस आधार पर कहता है कि कुल 11.21 करोड़ लोगों को कम से कम एक टीका लगा है तो आबादी के प्रतिशत के अनुसार यह आधे से कम है जबकि एमपी या अन्य सभी राज्यों में यह प्रतिशत काफी बेहतर है। एमपी में 6.46 करोड़, गुजरात 6.28 करोड़, महाराष्ट्र 8.51 करोड़, बिहार 5.92 करोड़ लोगों को कम से कम एक टीका लग चुका है जो बेहतर प्रतिशत कहा जा सकता है। केवल आंकड़े के आधार पर अपने को सबसे आगे बताने का नतीजा यह होगा कि स्वास्थ्यकर्मी सुस्त होने लगेंगें और आम जनता भी आश्वस्त हो कर सामाजिक नियमों की ही नहीं टीकाकरण के प्रति भी उदासीन हो जायेगी। उधर देश का सबसे बड़ा यह राज्य राष्ट्रीय औसत से भी पीछे चल रहा है।
यहां भी हो रहा खेल
इन आंकड़ों को दो तरह से देखा जा सकता है। राज्य की सरकार ही नहीं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी अपनी पीठ थपथपाने के लिए प्रतिशत का आंकड़ा भी कई बार वयस्कों की आबादी के अनुपात के रूप में दे रहा है लेकिन चूंकि यह संक्रामक बीमारी बच्चों को भी प्रभावित करने लगी है इसलिए टीकाकरण का प्रतिशत इसके आधार पर दिया जाना चाहिए। हाल में इस पैमाने पर नीचे रहने के बाद सरकारों ने प्रतिशत में आंकड़े देना बंद कर दिया है। चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश की सरकार लगातार अपने को देश में अव्वल बता रही है जबकि प्रतिशत के आधार पर यह देश में सबसे नीचे है। दूसरी लहर के पलटवार से बचना है तो जनता को गुमराह करने की जगह वस्तुस्थिति बताते हुए टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाना होगा और जनता को भी सचेत करना होगा ताकि वह मुतमईन न हो और सामाजिक नियमों का पालन करते हुए टीका लगवाए।
प्रति व्यक्ति आय में काफी पीछे
किसी देश का केवल जीडीपी का आयतन बताने से उसके नागरिकों की आर्थिक स्थिति का पता नहीं चलता जब तक प्रति-व्यक्ति आय न बतायी जाये और साथ ही आर्थिक असमानता का सूचकांक यह न बताये कि गरीब-अमीर की खाई कितनी कम या ज्यादा है। भारत जीडीपी में दुनिया में छठें स्थान पर है लेकिन प्रति-व्यक्ति आय (नोमिनल) में आईएमएफ के अनुसार 145 वें स्थान पर और परचेजिंग पॉवर पैरिटी (पीपीपी) के पैमाने पर महंगाई के कारण 122 वें स्थान पर है। देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश (यूपी) 20 लाख करोड़ रुपये के जीडीपी आयतन के साथ दूसरे स्थान पर लेकिन प्रति-व्यक्ति आय में 28 वें स्थान पर है। सरकारें इसमें असत्य या अर्ध-सत्य का सहारा लेती हैं जब देश के प्रधानमंत्री भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने और पांचवें स्थान पर पहुंचाने को सरकार की एकमात्र मंशा बताते हैं। भारत का जीडीपी बढ़ रहा है पर अम्बानी/अदानी की आय बढ़ा कर।
किसानों की आय घटी
होरी और जुम्मन पहले से बुरी हालत में हैं। जिसका खुलासा सरकार की ही 77 वीं एनएसएसओ चक्र पर आधारित कृषि व पशुपालन पर स्थिति विश्लेषण रिपोर्ट सांख्यिकी मंत्रालय ने किया है। किसान की आय दूनी करने का वादा 2017 के राज्य चुनाव के पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बरेली की जनसभा में किया था लेकिन इन चार वर्षों में किसानों का आय 8931 रुपये (बकौल नाबार्ड) से बढ़ कर मात्र 10218 रुपये हुई। इसमें महंगाई को अगर घटा दिया जाये तो वास्तविक आय 8100 रुपये हो गयी है यानी घट गयी है लेकिन अब केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारी कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने नोमिनल आय दूनी करने की बात कही थी अगर वे पीएम द्वारा नियुक्त दलवाई समिति की रिपोर्ट के पहले अध्याय का तीसरा बिंदु पढ़ते तो उसमें साफ लिखा है वास्तविक आय।