जाति प्रथा एक दिन में नहीं खत्म हो सकती!
परिचर्चा में प्रबुद्घजनों ने रखे अपने विचार कहा ऐसी घटनाएं रुकनी चाहिए
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। यूपी में एक बार फिर दबंगों ने एक दलित दूल्हे को घोड़ी नहीं चढऩे दिया। दलित दूल्हा पुलिस में आरक्षक हैं। दबंगों से बचने के लिए खुद पुलिस के जवान को अपनी ही फोर्स बुलानी पड़ी। ऐसे में सवाल उठता हैं कि दलित सिर्फ वोट के लिए है क्या? इस मुद्ïदे पर वरिष्ठï पत्रकार अजय शुक्ला, उमाशंकर दुबे, देव शामली, समीरात्मज मिश्रा, प्रो. रविकांत, प्रो. जितेंद्र मीना और 4पीएम के संपादक संजय शर्मा ने एक लंबी परिचर्चा की।
प्रो. रविकांत ने कहा आजादी के बाद हर व्यक्ति को वोटिंग राइट का अधिकार है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से देश का नवनिर्माण हो रहा था। मगर इन दिनों अचानक बाधित हो रहा है और फिर से कुछ ताकतें और वर्चुस्वशाली तबके फिर से अपना एजेंडा खड़ा करने में लगे हैं। देव श्रीमाली ने कहा जो सामाजिक बदलाव होने चाहिए वो नहीं हो पाए है। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के इलाके में इस तरह की घटनाएं आम है। अभी भी जाति विशेष के मोहल्ले गांव से अलग होते हंै। घोड़ी से आपत्ति ये है कि एक सामंतवादी प्रवत्ति का प्रतीक है घोड़ी। अब जागीरदार प्रथा खत्म हो गई, जमीदारी प्रथा खत्म हो गई। वो अभी भी इसका प्रतीक बना कर बैठे है जो दुखद और दुर्भाग्यशाली बात है कि सामंतवाद नए-नए रूप में जिंदा हो रहा है। समीरात्मज मिश्र ने कहा कि सीआरपीएफ के जवान को इस तरह से प्रशासन की मदद लेने पड़ रही है। राजस्थान में एक आईपीएस को भी मदद लेनी पड़ी थी। संविधान में ऐसे बहुत से प्रावधान है, जिनमें इस तरह की चीजों को बहुत कठोरता के साथ रोका गया है। उमाशंकर दुबे ने कहा कि इस समय चुनाव नहीं है अगर चुनाव होता राजनीतिक दल इस मुद्दे को भी कैच करने की कोशिश करते। बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, लगता नहीं है किस समाज और किस दुनिया में हम रह रहे है। सरकार को इस पर सोचना चाहिए। अजय शुक्ला ने कहा कि जब जातिवाद होगा जाति के नाम पर वोट होगा सब वहीं देखेगे जहां से उनको ज्यादा फायदा होगा। जब तक जाति की बात आप सोचने लगेंगे, ये चीजे करने लगेंगे तो ऐसी स्थिति आएगी। जाति प्रथा एक दिन में नहीं खत्म हो सकती क्योंकि भारतीय संरचना ही पूरी-पूरी जाति पर आधारित है। लेकिन इसे खत्म करना चाहिए था। प्रो. जितेंद्र मीना ने कहा कि यह पहली घटना नहीं है। सिर्फ घोड़ी का ही मसला नहीं है। बहुत सारी चीजें इससे जुड़ी हुई है अभी जालौर में भी दलित दंपत्ति को मंदिर में घुसने से रोक दिया गया।