अधीर रंजन चौधरी के निलंबन पर संसद में हंगामा, कांग्रेस का सरकार पर निशाना
नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने शुक्रवार को पार्टी के सहयोगी लोकसभा सचेतक अधीर रंजन चौधरी का बचाव किया। अधीर रंजन को संसद के निचले सदन से निलंबित कर दिया गया था। खडग़े ने दावा किया कि अधीर रंजन ने केवल नीरव मोदी और नीरव का मतलब शांत कहा था। उन्होंने कहा कि अधिर रंजन को मामूली आधार पर निलंबित कर दिया गया है। मैं उपराष्ट्रपति और सदन के सभापति से विनती कर रहा हूं कि आपको लोकतंत्र की रक्षा करनी है क्योंकि वह (अधीर) लोक लेखा समिति, व्यापार सलाहकार समिति और सीबीसी चयन में भी हैं। उन्हें इन सभी संस्थानों से वंचित कर दिया गया है और अगर उन्हें निलंबित किया जाता है, तो यह अच्छा नहीं है।
लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी के निलंबन के बारे में पूछे जाने पर, रक्षा और पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि पीएम को गाली देना और उनके बारे में गलत बातें कहना सही नहीं है। इस निलंबन के लिए विपक्ष को दोषी ठहराया जाना चाहिए। वे गलतियाँ कर रहे हैं और फिर दिखाने के लिए वे खुद अच्छे हैं, वे संसद को चलने नहीं दे रहे हैं। अधीर रंजन चौधरी के निलंबन पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि मैंने उन्हें(अधीर रंजन चौधरी) उसी समय कहा कि माफी मांगें और खेद व्यक्त करें। लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया…यह फैसला करना स्पीकर पर निर्भर करता है। रमेश बिधूड़ी ने कहा कि संसद में उच्च पद पर बैठे नेताओं पर अशोभनीय टिप्पणी करना और चेतावनी के बाद भी बिना माफी मांगे माने लगातार ऐसा करना ठीक नहीं है। सरकारें आएंगी और जाएंगी, लेकिन भारत का संविधान रहेगा। देश में गरिमा और दूसरे नागरिक के प्रति प्रेम और सम्मान ही लोकतांत्रिक देश की पहचान है।
लोकसभा में शुक्रवार को विपक्षी दलों के सदस्यों ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के निलंबन और मणिपुर के मुद्दे को लेकर हंगामा किया। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से यह कहते सुना गया कि चौधरी ने आसन के साथ हमेशा सहयोग किया है। शोर-शराबे के बीच लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने प्रश्नकाल शुरू करने के लिए कहा। लेकिन विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा।लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर की गई कुछ टिप्पणियों और उनके आचरण के कारण बृहस्पतिवार को उन्हें सदन से निलंबित कर दिया गया और उनके खिलाफ इस मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने इससे जुड़ा एक प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी।