हालात का जायजा लेने पहुंचे हिमाचल के सीएम, खुद हादसे का शिकार होने से बचे
नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के चलते पिछले 48 घंटों में तबाही का भीषण मंजर देखने को मिला है। लैंडस्लाइड और बारिश से जुड़ी आपदाओं के कारण अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है। राजधानी शिमला में भी एक शिव मंदिर सोमवार सुबह भूस्खलन की चपेट में आ गया। इस मंदिर में अब तक 9 लोगों के शवों को निकाला जा चुका है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी इस घटना के बाद घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि स्ष्ठक्रस्न की टीमें घटनास्थल पर बचाव कार्य कर रही हैं और जल्द ही बाकी लोगों को भी निकाल लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री सुक्खू घटनास्थल पर पहुंच जायजा लेने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने इस दौरान बताया कि शिमला में सुबह 8 बजे के करीब शिव मंदिर में बड़ा हादसा हुआ। सावन महीने का सोमवार होने के चलते कई लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाने आए थे। तभी ये हादसा हुआ और इसमें कई लोग दब गए।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अभी भी कई लोग दबे हुए हैं हमारा प्रयास है कि दबे हुए लोगों में ज्यादा से ज्यादा को बचाया जा सके। सुक्खू ने कहा कि पिछली बार जो आपदा आई थी, उसने हमारी संपत्ति को ज्यादा नुकसान पहुंचाया, लेकिन जिंदगियों को कम नुकसान हुआ था, लेकिन अभी ये जो 24 घंटे में आपदा आई उसने ज्यादा जिंदगियों को नुकसान पहुंचाया है। मुख्यमंत्री ने सभी प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वो 15 अगस्त की तैयारी की जगह जिंदगियों को बचाने का काम करें।
हालात क्या हैं इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब मुख्यमंत्री घटनास्थल पर जायजा लेने गए, तब भी एक पेड़ उनपर गिरते-गिरते बचा। मुख्यमंत्री मीडिया से रू-ब-रू होते हुए बात कर रहे थे तभी उन्हें ऊपर से एक पेड़ गिरते हुए दिखाई दिया। तभी उन्होंने अधिकारी से कैमरे के सामने ही कहा कि कोई एक पुलिस वाला पेड़ को देखता रहे, पेड़ नीचे आ सकता है। मुख्यमंत्री खुद भी चंद कदम पीछे हो गए। उन्होंने इस दौरान जनता से निवेदन किया कि सभी लोग घर में रहें और लेंडस्लाइड वाली जगहों पर न जाएं।
अधिकारियों का कहना है कि सावन का सोमवार होने के कारण कई लोग मंदिर में जल चढ़ाने के लिए गए थे। अधिकारियों का दावा है कि जब हादसा हुआ तब लगबग 50 लोग मंदिर के अंदर ही थे। स्ष्ठक्रस्न की टीमें स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर मलवा हटाने की कोशिश में लगे हुए हैं, ताकि और भी जानें बचाई जा सकें। हालांकि मौसम खराब होने और लगातार ऊपर से पत्थर-पेड़ गिरने के कारण बचाव कार्य में मुश्किलें आ रही हैं।