इंफाल में हिंसक प्रदर्शन जारी, उपायुक्त कार्यालय में तोडफ़ोड़, दो वाहन फूंके गए
नई दिल्ली। मणिपुर में दो छात्रों की मौत के बाद यहां तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। छात्रों की मौत के बाद बृहस्पतिवार को भी हिंसक प्रदर्शनों का दौर जारी रहा है। इंफाल में भी कई प्रदर्शन हो रहे है। इसी कड़ी में इंफाल वेस्ट में उग्र भीड़ ने उपायुक्त यानी डीसी ऑफिस में तोडफ़ोड़ की घटना को अंजाम दिया है। प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान दो वाहनों में आग लगा दी।
ये जानकारी अधिकारियों ने दी है। राज्य की राजधानी में छात्रों की अगुवाई में यह हिंसा मंगलवार को तब शुरू हुई जब जुलाई में लापता हुए एक लडक़े और लडक़ी के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। अधिकारियों ने बताया कि गत रात उरीपोक, यैसकुल, सगोलबंद और टेरा इलाकों में प्रदर्शनकारियों की सुरक्षाबलों से झड़प हुई जिसके कारण सुरक्षा बल को स्थिति पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के कई गोले छोडऩे पड़े। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों को रिहायशी इलाकों में प्रवेश करने से रोकने के लिए टायर जलाकर सडक़ों को अवरुद्ध कर दिया। उन्होंने बताया कि भीड़ ने उपायुक्त कार्यालय में तोडफ़ोड़ की और दो चार पहिया वाहनों को फूंक दिया। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों ने स्थिति को काबू में किया। इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट जिलों में सुरक्षाबलों के हिंसक प्रदर्शनों से निपटने के बीच कफ्र्यू फिर से लगा दिया गया है। इन प्रदर्शनों में मंगलवार से लेकर अब तक 65 प्रदर्शनकारी घायल हो गए हैं। इस बीच, पुलिस ने बताया कि थौबल जिले के खोंगजाम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यालय में आग लगा दी गयी। मणिपुर पुलिस ने एक बयान में कहा कि भीड़ ने एक पुलिस वाहन को निशाना बनाया तथा उसमें आग लगा दी जबकि एक पुलिसकर्मी से मारपीट की और उसका हथियार छीन लिया। उसने कहा कि ऐसे अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। छीने गए हथियारों को बरामद करने और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए तलाश अभियान चलाया गया है। मणिपुर के बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुरक्षाबलों से किशोरों पर ‘‘मनमाने ढंग से’’ लाठीचार्ज न करने, आंसू गैस के गोले न छोडऩे और रबड़ की गोलियां न चलाने का अनुरोध किया है। अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भडक़ गई थी। हिंसा की घटनाओं में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।