ऊॅ दुर्गाय नम: इस बार मां का हाथी पर होगा आगमन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि पर्व के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां दुर्गा की आराधना करने से जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस बार मां दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है, जो हम सबके लिए शुभ फलदायी होगा। इस साल की शारदीय नवरात्रि को आप अपने लिए और भी शुभ बना सकते है। शरद नवरात्रि त्योहार पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र समेत कई क्षेत्रों में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। बंगाल, बिहार और उड़ीसा के पूर्वी हिस्सों में, दुर्गा पूजा को सेलीब्रेट किया जाता है। इस त्योहार के दौरान, जिसे शारदीय नवरात्रि या महा नवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है, भक्त देवी दुर्गा और उनके नौ अवतारों को पूजा-अर्चना करते हैं। दसवें दिन को दशमी के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि साल में चार नवरात्रि होती हैं, लेकिन चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाई जाती है।
शारदीय नवरात्रि का महत्व
सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। आश्विन मास में शरद ऋ तु का प्रारंभ हो जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। यह पर्व मां दुर्गा के 9 रूपों को समर्पित है। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा-अर्चना व व्रत करने से साधक के सभी दुख-संताप दूर होते हैं। साथ ही मां दुर्गा की कृपा से साधक की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। नौ दिनों के दौरान, देवी दुर्गा अपने भक्तों के साथ रहने के लिए पृथ्वी पर आती हैं। कई भक्तजन इस दौरान मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन करने से बचते हैं। कुछ भक्त इन नौ दिनों में व्रत भी रखते हैं जिसमें सात्विक भोजन खाया जाता है।
घट स्थापना विधि
शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना या घट स्थापना का विशेष महत्व माना जाता है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन या कलश स्थापना के बाद ही मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कलश स्थापना करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही मां दुर्गा के आशीर्वाद से धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती। कलश स्थापना के दौरान इसमें नारियल भी रखा जाता है। इससे घर के सदस्यों को आरोग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही इससे पूजा बिना किसी बाधा के पूरी होती है।
नवरात्रि में क्यों नहीं खाते लहसुन-प्याज
हिंदू धर्म में नवरात्रि ही नहीं बल्कि किसी भी व्रत में लहसुन-प्याज का सेवन वर्जित माना जाता है। शुरुआत से ही लहसुन-प्याज को तामसिक प्रकृति का भोज्य पदार्थ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसके सेवन से अज्ञानता और वासना में बढ़ोतरी होती है। वहीं इसका दूसरा कारण है कि लहसुन-प्याज जमीन के नीचे उगते हैं। इनकी सफाई के दौरान कई सूक्ष्मजीवों की मृत्यु भी होती है। इसलिए भी इन्हें व्रत के दौरान खाना अशुभ माना जाता है। ये अशुद्ध श्रेणी में आते हैं। इसके पीछे पौराणिक कथा है जिसके अनुसार, समुद्र मंथन में अमृत कलश निकला था। जिसे प्राप्त करने के लिए देवताओं और असुरों की बीच युद्ध छिड़ गया था। उस दौरान भगवान विष्णु ने असुरों और देवताओं में अमृत को समान रूप से बांटने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। लेकिन देवताओं की पंक्ति में राहु-केतु ने बैठकर अमृत पान कर लिया। जब भगवान विष्णु को इस बात का पता चला तो उन्होंने सुदर्शन चक्र से राहु-केतु का सिर धड़ से अलग कर दिया। कहा जाता है इससे निकली खून की बूंदें पृथ्वी पर पड़ीं और इन्हीं बूंदों से लहसुन-प्याज की उत्पत्ति हुई। इसलिए किसी भी पूजा पाठ में लहसुन-प्याज का सेवन करने से परहेज किया जाता है।
शुभ मुहूर्त
इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत रविवार 15 अक्टूबर 2023 से हो रही है। 24 अक्तूबर को विजयदशमी का त्योहार मनाया जाएगा। शारदीय नवरात्रि की कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर, 2023 सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।