चाइल्ड वेलफेयर समिति के चेयरपर्सन होंगे बर्खास्त, मुख्यमंत्री केजरीवाल का बड़ा फैसला
नई दिल्ली। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के चेयरपर्सन को बर्खास्त करने का फैसला किया है. महिला एवं बाल विकास मंत्री आतिशी ने सीडब्ल्यूसी चेयरपर्सन की बर्खास्तगी का प्रस्ताव रखा था, जिसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंजूरी दे दी है. सीएम ने लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए ये कार्रवाई की.
सीएम केजरीवाल का कहना है कि बच्चों की देखभाल, सुरक्षा और बेहतरी की दिशा में हमारी सरकार कोई समझौता नहीं करेगी, ऐसे लापरवाही बरतने वाले अफसरों को बख्शा नहीं जाएगा, सीएम ने कहा कि बच्चों की देखभाल और सुरक्षा में सीडब्ल्यूसी चेयरपर्सन की अहम भूमिका होती है, ऐसे में अगर संबंधित व्यक्ति गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाता है तो उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
इसके अलावा सीएम ने कहा कि दिल्ली सरकार में प्रशासन के भीतर अधिकारियों के लापरवाह व्यवहार के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति है. उन्होंने कहा कि हमारी चाइल्ड वेलफेयर कमिटी देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों से जुड़े बेहद संवेदनशील मामलों पर काम करती है. जिसमें सीडब्ल्यूसी चेयरपर्सन की अहम भूमिका होती है, ऐसे में संबंधित व्यक्ति अगर बच्चों की जरूरतों के प्रति किसी भी देरी या गैर-जिम्मेदाराना रवैया अख्तियार करता है तो ये ठीक नहीं होगा. वहीं इस मामले में महिला एवं बाल विकास मंत्री आतिशी का कहना है कि कुछ समय से सीडब्ल्यूसी-9 के चेयरपर्सन के खिलाफ कई शिकायतें मिल रही थी. जिनमें बच्चों से जुड़े गंभीर मामलों में निर्णय लेने में देरी, कर्मचारियों और समिति के सदस्यों के प्रति दुव्र्यवहार, अपने अधिकार का दुरुपयोग और समिति के सदस्यों की सहमति के बिना आदेश जारी करना जैसी शिकायतें शामिल हैं. जिसके बाद सीडब्ल्यूसी चेयरपर्सन को लेकर जांच की गई. जांच रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन को पद से हटाने का फैसला किया.
इसके साथ ही मंत्री आतिशी ने कहा बच्चों की बेहतरी से जुड़े मामलों में किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं किया जाएगा. इसीलिए ऐसे मामलों में कार्रवाई होना बेहद जरूरी है. ता कि दूसरे लोगों को भी इससे सबक मिल सके और वो पूरी ईमानदारी के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाएं. आपको बता दें कि चाइल्ड वेलफेयर कमिटी(सीडब्ल्यूसी)-9 के चेयरपर्सन के खिलाफ आई शिकायतों में साथी कर्मचारियों, कमेटी के सदस्यों के साथ दुव्र्यवहार, देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों की जरूरतों को पूरा करने में लापरवाही बरतने की शिकायतें शामिल हैं.