निठारी कांड: केस की बिखरी कडिय़ां जोडऩे में नाकाम रही सीबीआई, जांच पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उठाए सवाल
प्रयागराज। नोएडा के निठारी कांड में मौत की सजा पाए सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को दोषमुक्त करार देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के बावजूद निठारी हत्याकांड में अंग व्यापार की संभावित संलिप्तता की जांच करने में अभियोजन पक्ष की विफलता जांच एजेंसियों द्वारा जनता के भरोसे के साथ विश्वासघात से कम नहीं है। पीठ ने कहा कि छोटे बच्चों और महिलाओं की जान जाना गंभीर चिंता का विषय है, खासकर तब जब उनके जीवन को बेहद अमानवीय तरीके से समाप्त कर दिया गया है। लेकिन इसके कारण आरोपियों को निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने कहा, नोएडा के सेक्टर-31 में मकान संख्या डी-5 के भीतर से एकमात्र बरामदगी दो चाकू और एक कुल्हाड़ी की है, जिनका उपयोग बलात्कार, हत्या आदि के अपराध को अंजाम देने के लिए नहीं किया गया था, लेकिन आरोप है कि पीडि़तों की गला दबाकर हत्या करने के बाद शरीर के अंगों को काटने के लिए इनका इस्तेमाल किया गया था। सीबीआई के वकील संजय यादव, मंबई से आए कोली के वकील युग चौधरी व पयोसी राय और मोनिंदर सिंह पंढेर की वकील मनीषा भंडारी ने जुलाई से चली सुनवाई के दौरान हफ्तों अपनी दलीलें पेश कीं।
कोली और पंढेर के वकीलों ने दोनों की गिरफ्तारी से लेकर सीबीआई कोर्ट के फांसी की सजा होने तक के घटनाक्रमों पर गंभीर सवाल उठाए थे। वकीलों ने पुलिस और सीबीआई की जांच, नरकंकालों की बरामदगी, हत्या में प्रयुक्त हथियारों और कोर्ट की विसंगतिपूर्ण कार्यवाही में चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे थे।
वकीलों ने कोली के बयान दर्ज करने के दौरान उसे अमानवीय यातनाएं देना और कोर्ट में उसके इकबालिया बयान की पेश हुई वीडियो रिकॉर्डिंग की सीडी से कोली और मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर गायब होने का मामला भी सामने रखा।