कांग्रेस की गोपनीय बैठकों में बनी अल्पसंख्यकों को रिझाने की रणनीति
लखनऊ। यूपी में सपा के सबसे बड़े वोट बैंक मुस्लिमों को पार्टी से जोडऩे के लिए कांग्रेस ने रोडमैप तैयार कर लिया है। पिछले एक महीने में पूर्वी यूपी में ऐसी करीब पचास छोटी बैठकें हुई हैं। मुस्लिम बिरादरी का भरोसा जीतने के लिए कांग्रेस गुप्त बैठकों पर ज्यादा जोर दे रही है। इसे लेकर पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग ने पूरी योजना के तहत कार्यक्रम आयोजित करना शुरू कर दिया है। पिछले ही दिनों पश्चिमी यूपी के इमरान मसूद समेत कई मुस्लिम नेताओं को कांग्रेस ने अपने पाले में भी किया है
यूपी कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने कहा कि 15 अक्टूबर को हमने सभी जिला कार्यालयों में मुगल सम्राट अकबर को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया। 21 अक्टूबर को हम मदरसा शिक्षकों को वेतन नहीं मिलने के मुद्दे पर राज्य भर में प्रदर्शन करेंगे। 24 अक्टूबर को मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को उनकी जयंती पर सम्मान देने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित होगा।
25 अक्टूबर को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री बरकतुल्लाह खान की जयंती पर प्रत्येक जिले में 25 सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों का सम्मान करेंगे। विचार यह है कि देश में मुस्लिम नेतृत्व के इतिहास को याद करके मुस्लिम समुदाय में दोबारा जगह हासिल की जाए।
आलम ने कहा कि हम लोगों को बता रहे हैं कि कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी है जिसने आजादी के बाद देश को मुस्लिम नेता दिए हैं। कोई भी सैयदा अनवर तैमूर (असम), एमओ हसन फारूक (पांडिचेरी) और अन्य कई मुख्यमंत्रियों के बारे में बात नहीं करता है। हम लोगों को इन नामों से अवगत कराना चाहते हैं। राज्य में मुसलमानों की संख्या इतनी अधिक होने के बावजूद यूपी में कोई मुस्लिम सीएम क्यों नहीं बना है। यूपी की आबादी में मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी है। आलम ने कहा कि कांग्रेस मुसलमानों को जो संदेश देना चाहती है, उनमें से एक यह है कि उन्हें नकारात्मक मतदाता बनना बंद कर देना चाहिए। मुसलमानों पर हमेशा यह धारणा या बोझ रहता है कि उन्हें भाजपा को हराने के लिए वोट देना चाहिए। ऐसा क्यों है? यही कारण है कि वे नकारात्मक मतदाता बन गए हैं और हम इसे बदलना चाहते हैं।
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय का दावा है कि राज्य में अल्पसंख्यक कांग्रेस की ओर स्थानांतरित हो रहे हैं। कांग्रेस ने राज्य या कहीं भी अपनी विश्वसनीयता कभी नहीं खोई है। हमने अन्य पार्टियों की तरह कभी भी अल्पसंख्यक समुदाय को धोखा नहीं दिया है। पश्चिमी यूपी में मुसलमान इस समय ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और वे कांग्रेस की ओर जा रहे हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद से मुस्लिमों का रुझान कांग्रेस की तरफ है। उन्होंने कहा कि हमारा अल्पसंख्यक विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है कि मुसलमान कांग्रेस को वोट देने में कोई झिझक महसूस न करें।
सपा ने 2022 के विधानसभा चुनावों में 111 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमे से 32 मुस्लिम चेहरे शामिल हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने जो पांच सीटें जीतीं, उनमें से तीन मुस्लिम उम्मीदवारों आजम खान (रामपुर), एसटी हसन (मुरादाबाद) और शफीकुर रहमान बर्क (संभल) हैं। अन्य दो सीटें पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव (मैनपुरी) और अध्यक्ष अखिलेश यादव (आजमगढ़) ने जीती थी। हालांकि मुस्लिम समुदाय के एक वरिष्ठ सपा नेता ने कहा कि मुसलमान नाखुश हो सकते हैं, लेकिन वे जानते हैं कि केवल अखिलेश ही हैं जो यूपी में भाजपा को हरा सकते हैं।
माना जाता है कि मुसलमानों के एक वर्ग में समुदाय से संबंधित मुद्दों पर अखिलेश की चुपी के कारण नाराजगी भी पैदा हो रही है। एसपी के भीतर कुछ लोगों को यह भी लगता है कि पार्टी मुस्लिम मुद्दों पर पर्याप्त मुखर नहीं है, इस संबंध में यूपी के सबसे बड़े मुस्लिम नेता आजम खान और उनके परिवार के खिलाफ गलत कार्रवाई का हवाला दिया गया है। जबकि अखिलेश ने आजम परिवार के समर्थन में कई बातें की हैं। इसके बाद भी कई लोग मजबूत प्रतिक्रिया की उम्मीद करते हैं।