संसदीय समितियों को आपराधिक मामलों के जांच का अधिकार नहीं
- हीरानंदानी की बेहतर तरीके से हो जांच: मोइत्रा
- कैश फॉर क्वैरी पर कल होगी सुनवाई
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा की एथिक्स कमेटी से एक खास मांग की है। साथ ही महुआ मोइत्रा ने ये भी दावा किया है कि संसदीय समितियों को आपराधिक मामलों में जांच का कोई अधिकार नहीं है। ये केवल जांच एजेंसियां ही कर सकती हैं। खास बात ये है कि महुआ मोइत्रा ने ये मांग उस समय की है जब उन्हें कल यानी दो नवंबर को एथिक्स कमेटी के सामने इस मामले में पेश होना था। उन्होंने कहा है कि वो चाहती हैं इस पूरे मामले में कारोबारी दर्शन हीरानंदानी की बेहतर तरीके से जांच की जाए।
जरूरत हो उन्हें क्रॉस एक्जामिन भी किया जाए। महुआ मोइत्रा ने एथिक्स कमेटी को पत्र लिखकर यह मांग की है, महुआ मोइत्रा पर आरोप है कि उन्होंने कारोबारी से पैसे लेकर संसद में सवाल पूछे और संसद का अपना लॉग इन पासवर्ड भी उनसे साझा किया। गौरतलब है कि इस मामले में बीजेपी नेता निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राई पहले ही एथिक्स कमेटी के सामने पेश हो चुके हैं। दोनों ने कुछ दिन पहले ही एथिक्स कमेटी के सामने पेश होने के साथ-साथ अपना पक्ष भी रखा था। इन दोनों को सुनने के बाद ही एथिक्स कमेटी ने महुआ मोइत्रा को 31 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा था।
मनरेगा पर बनेगी बंगाल व केंद्र सरकार में बात
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के हस्तक्षेप के बाद केंद्र सरकार के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) से जुड़े बकाये को लेकर राज्य के साथ अपने विवाद को हल करने की संभावना है। राजभवन के सूत्रों ने यह जानकारी दी। राज्यपाल ने अभिषेक बनर्जी सहित तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं के साथ बैठक के बाद, उन्होंने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह से इस मुद्दे पर बात की। सिंह ने इसके बाद बकाए के भुगतान पर चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए कार्रवाई करने का वादा किया। सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों ने संकेत दिया कि बकाया राशि के जल्द ही जारी होने की संभावना है लेकिन इसे लेकर कोई समयसीमा नहीं दी गई।