ओवैसी ने सरेआम पुलिस को धमकाया, भाजपा बोली- हम जीते तो ऐसी हरकत करने वालों के यहां चलेगा बुलडोजर

नई दिल्ली। एआईएमआईएम के प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी ही भडक़ाऊ भाषण नहीं देते बल्कि उनके छोटे भाई और तेलंगाना के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी तो कभी-कभी अपने बड़े भाई से भी आगे निकल जाते हैं। तेलंगाना विधानसभा चुनावों के लिए इन दिनों अकबरुद्दीन अपनी पार्टी के लिए खूब प्रचार कर रहे हैं और आक्रामक रुख दिखाते हुए अपने विरोधियों पर जोरदार निशाने साध रहे हैं। इसी क्रम में हैदराबाद के ललिता बाग में एक सार्वजनिक जनसभा को संबोधित करने के दौरान जब रात के दस बज गये तो पुलिस ने उन्हें अपना भाषण बंद करने के लिए कहा क्योंकि दस बजे के बाद माइक का उपयोग नहीं किया जा सकता। लेकिन पुलिस के आग्रह पर अकबरुद्दीन ओवैसी भडक़ गये और पुलिस को ही चेतावनी देते हुए कहा- ”मुझे रोकने वाला अभी तक कोई पैदा नहीं हुआ है।” अकबरुद्दीन ओवैसी ने पुलिस अधिकारी को धमकाते हुए कहा कि अगर वह अपने समर्थकों की तरफ इशारा कर दें, तो उन्हें यहां से दौड़ कर भागना पड़ेगा। अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मैं कमजोर नहीं हुआ हूँ, मेरे भीतर बहुत हिम्मत है। उन्होंने कहा कि अभी पांच मिनट बाकी हैं और पांच मिनट और बोलूंगा।
दूसरी ओर, ओवैसी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा ने कहा है कि यदि तेलंगाना में भाजपा की सरकार बनेगी तो ऐसी हरकतों पर बुलडोजर वाली कार्रवाई की जायेगी। तेलंगाना में सत्ता की प्रबल दावेदार भाजपा ने कहा है कि दशकों से कांग्रेस तथा बीआरएस के सहयोग से एआईएमआईएम एक आपराधिक गिरोह बन चुकी है जिसने हैदराबाद शहर को अपराधग्रस्त कर रखा है। तेलंगाना भाजपा का कहना है कि अब इस गंदगी को साफ करने का मौका आ गया है।
जहां तक अकबरुद्दीन ओवैसी के व्यक्तित्व की बात है तो आपको बता दें कि उनको विवादों में रहने का शौक है जिसके चलते वह लगातार विवादित बयान देते रहते हैं। उन पर एक समुदाय के खिलाफ भडक़ाऊ और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप भी लग चुके हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के साथ अकबरुद्दीन ओवैसी की बदतमीजी की खबरें भी समय-समय पर आती रहती हैं। अकबरुद्दीन ओवैसी मुगल सम्राट औरंगजेब के मकबरे पर जाना अपनी शान समझते हैं और हमेशा धर्म की राजनीति करते हैं। हम आपको यह भी बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी के दादा अब्दुल वहीद ओवैसी ने 1927 में बनी मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को 1957 में ‘ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन’ के नाम से फिर से शुरू किया था। जिसे बाद में उनके बेटे और हैदराबाद से दो दशक तक लोकसभा के सदस्य रहे सलाहुद्दीन ओवैसी ने आगे बढ़ाया। अब एआईएमआईएम की सांप्रदायिक राजनीति को आगे बढ़ाने का जिम्मा असदुद्दीन और अकबरुद्दीन ओवैसी ने उठाया हुआ है। बहरहाल, देखा जाये तो ओवैसी भाइयों की राजनीति विशुद्ध सांप्रदायिक है। कट्टरपंथी ताकतों का उभरना हमारे देश और लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है और इस तरह की राजनीति कभी भी देश का हित नहीं कर सकती।

 

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