राजौरी मुठभेड़ पर सेना का बड़ा खुलासा, कुछ आतंकवादी रिटायर पाकिस्तानी सैनिक निकले

नई दिल्ली। उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि राजौरी जिले में मुठभेड़ में शामिल कुछ आतंकवादी सेवानिवृत्त पाकिस्तानी सैनिक थे। जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए पांच जवानों को केंद्र शासित प्रदेश के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, सेना के अधिकारियों और पुलिस ने शुक्रवार को श्रद्धांजलि अर्पित की। पांचों जवानों के पार्थिव शरीर राजौरी से जम्मू के आर्मी जनरल अस्पताल लाये गये, जहां पुष्पांजलि समारोह आयोजित किया गया। दरमसाल के बाजीमल इलाके में बुधवार और बृहस्पतिवार को सुरक्षा बलों के साथ 36 घंटे तक चली मुठभेड़ में अफगानिस्तान में प्रशिक्षित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक शीर्ष कमांडर सहित दो आतंकवादी मारे गये।
उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हमने पाया कि कुछ आतंकवादी सेवानिवृत्त (पाकिस्तानी) सैनिक थे। चूंकि यहां कोई स्थानीय भर्ती नहीं है, इसलिए पाकिस्तान विदेशी आतंकवादियों को यहां लाने की कोशिश कर रहा है। हम सभी विदेशी आतंकियों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने अपने सेना के जवानों को खोया है लेकिन हमने आतंकवादियों का सफाया कर दिया है।’ हमारे वीर जवानों ने अपनी जान की परवाह किये बिना प्रशिक्षित विदेशी आतंकवादियों को खत्म करने का काम किया। यह आतंकवादियों के इको-सिस्टम और पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है। इलाके में 20-25 आतंकी सक्रिय हो सकते हैं। हमें एक वर्ष के समय में स्थिति को नियंत्रित करने में सक्षम होना चाहिए
आतंकियों से मुकाबला करते हुए अपनी जान न्योछावर करने वाले ये जवान कर्नाटक के मंगलोर के निवासी कैप्टन एम वी प्रांजल (63 राष्ट्रीय राइफल्स), उत्तर प्रदेश के आगरा के निवासी कैप्टन शुभम गुप्ता (9 पैरा), जम्मू-कश्मीर के पुंछ के निवासी हवलदार अब्दुल माजिद, उत्तराखंड के नैनीताल रहने वाले लांस नायक संजय बिष्ट और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पैराट्रूपर सचिन लौर हैं। अधिकारियों ने कहा कि तिरंगे में लिपटे, सेना के शहीद जवानों के पार्थिव शरीरों को अंतिम संस्कार के लिए जम्मू से उनके पैतृक स्थानों पर हवाई मार्ग से ले जाया जाएगा। मुठभेड़ में दो कैप्टन सहित पांच सैनिक भी शहीद हो गये।

 

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