नौकरशाही ने बढ़ाया अकबर नगर का दर्द, दशकों तक दिखाते रहे भूमि आवंटन का ख्वाब

लखनऊ। मिटाने वाले हमारा ही घर मिटाना था, चमन में एक से एक अच्छा आशियाना था…शुक्रवार से मंजऱ लखनवी के इस शेर को फैजाबाद रोड के उस अकबरनगर इलाके में अमलीजामा पहनाये जाने की प्रशासनिक मुहिम शुरू होने जा रही है। जिसे कभी यूपी के पूर्व राज्यपाल अकबर अली खां की पहल पर 1960 की भीषण बाढ़ के बाद बसाया गया था।
छह दशक से ज्यादा वक्त जिन आशियानों को सहेजने और बनाने में लगा, उन्हें अफसरों का बुलडोजर एक झटके में गिराने के लिए कुकरैल नदी के सौंदर्यीकरण के नाम पर आ धमका है। भीखमपुर के 58 मकानों को जमींदोज करने के बाद बारी अब उस अकबरनगर की है। जिसके बाशिंदे 70 के दशक से अपने आशियाने की जंग सरकारों से लड़ रहे हैं।
हेमवती नंदन बहुगुणा, मोतीलाल बोरा, नारायण दत्त तिवारी, अटल बिहारी बाजपेयी, लाल जी टंडन, डॉ दिनेश शर्मा समेत न जाने कितनी दिग्गज सियासी हस्तियों ने स्थानीय निवासियों के संगठन अकबरनगर गृह विहीन समिति की आशियाने की जंग को अपना समर्थन किसी न किसी सहयोग के रूप में दिया। लेकिन इस बार हुकूमत के अडिग होने से सैकड़ों गरीब परिवारों की उम्मीद की रौशनी मंद होती जा रही है।
ऐसा लगता है गरीबों के सर को सबसे पहले आशियाने की छत से ढकने वाले मुख्यमंत्री योगी को अफसरों ने एलडीए से लेकर शासन तक के उन दस्तावेजों से रूबरू नहीं कराया, जिसमें अकबरनगर के लोगों को उक्त नजूल की जमीन आवंटित करने की प्रशासनिक पहल शुरू की गयी थी। फैजाबाद रोड के खसरा संख्या 74सी, 743, 744 और 745 के संबंध में सचिव एलडीए ने राज्यपाल सचिवालय के सचिव को एक पत्र भेजा था।
जिसमें लिखा था कि 12 दिसंबर 1975 को भेजे पत्र के संबंध में गृह विहीन समिति संघ अकबरनगर से सदस्यों की सूची, रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र और आवश्यकतानुसार भूमि क्षेत्रफल की जानकारी मांगी थी। इस पत्र में यहां तक लिखा था कि आवंटन की कार्यवाही से पहले उक्त भूमि का विकास कराना आवश्यक है। तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने 77 में लखनऊ नगर महापालिका अध्यक्ष को अकबरनगर वासियों की मांगों के संबंध में पत्र भी लिखा था।
एलडीए के नजूल अधिकारी ने भी 14 मार्च 1983 को उक्त नजूल भूमि के संबंध में अकबरनगर गृह विहीन समिति की लड़ाई लड़ रहे बच्चूलाल को उम्मीदों भरा पत्र भेजते हुए कहा था कि नजूल भूखंड को समिति के पक्ष में आवंटन के लिए उक्त विषय को शासन को संदर्भित किया गया है। 3 अप्रैल 76 को बच्चूलाल ने एलडीए को समिति के सदस्यों की सूची भी भेज दी थी। 27 अक्टूबर 1984 को मुख्यमंत्री सचिवालय के अफसर शुकदेव प्रसाद त्रिपाठी की तरफ से एक पत्र जारी हुआ, जिसमें भूमि आवंटन के संबंध में कार्यवाही के लिए सचिव नगर विकास को मामला भेजे जाने का जिक्र था। दशकों से सरकारी विभाग न सिर्फ इसी तरह नजूल भूमि के आवंटन पर पत्राचार आम जनता से करते रहे बल्कि करोड़ों का सरकारी धन खर्च करके विकास कार्य भी कराने से गुरेज नहीं किया।
शायद तब नौकरशाही की नजर में अकबरनगर और भीखमपुर बजट को खर्च करने के लिए वैध बन चुका था। यही नहीं इन इलाकों के लोगों के सरकारी पहचान पत्र भी लगातार उन्ही अफसरों के विभागों से बनते रहे, जो आज बुलडोजर लेकर आशियानों को जमीदोज करने आये हैं। बाकायदा सरकारी विभागों ने इन गरीब परिवारों से आज़तक न जाने कितना राजस्व भी टैक्स के रूप में वसूल रखा है। मुख्यमंत्री योगी की सरकार में भी डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने 13 नवंबर 2019 को निवासियों के पत्र पर प्रकरण की जांच कराने के निर्देश कमिश्नर लखनऊ को दिए थे।
अकबरनगर के परिवारों ने इसी जमीन पर अपनों को भी खोया है। दशकों पहले भीषण आग में तमाम बच्चे जि़ंदा जल गए थे। तत्कालीन सीएम राम नरेश यादव ने मौके पर आकर आर्थिक सहायता भी दी। 77 में लकड़बग्घे ने करीब दर्जन भर मासूम बच्चों को शिकार बनाया था। तब लखनऊ के सांसद और केंद्रीय मंत्री हेमवती नंदन ने 24 घंटे में बिजली की व्यवस्था की। राहत पाने के लिए लखनऊ हाईकोर्ट में अकबरनगर के लोगों की तरफ से डाली गयी याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होनी है।

 

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