जनहित की योजनाओं को रोका न जाए : आप
- फिर एकबार आमने-सामने केजरीवाल व केंद्र सरकार
- ‘फरिश्ते योजना’ का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। केजरीवाल सरकार की फरिश्ते दिल्ली के योजना का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। केजरीवाल सरकार फरिश्ते योजना में रोड एक्सीडेंट पीडि़तों का इलाज फ्री करवाती थी। स्वास्थ्य सचिव दीपक कुमार ने एक साल से इस योजना को बंद किया है। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि जनहित में योजना को फिर से शुरू करवाया जाए। दिल्ली सरकार ने कहा कि स्वास्थ्य सचिव पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एलजी और स्वास्थ्य सचिव को नोटिस जारी किया है। योजना के लिए धन जारी करने की मांग से संबंधित दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एलजी और अन्य संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है। इस योजना के तहत सडक़ दुर्घटना के पीडि़तों को मुफ्त इलाज प्रदान किया जाता है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और अन्य को नोटिस जारी किया है। पीठ ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि सरकार का एक धड़ा दूसरे धड़े के साथ लड़ रहा है। दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस पर प्रकाश डाला कि इस योजना के तहत सडक़ दुर्घटनाओं के 23,000 पीडि़तों को निजी अस्पतालों में कैशलेस इलाज मुहैया कराया गया है। उन्होंने निराशा व्यक्त करते हुए कहा, सरकार लिखती रहती है और भीख मांगती रहती है। एलजी भुगतान रोक देते हैं। उपराज्यपाल के अधीन स्वास्थ्य कैसे है? यह पूरी तरह से समाज कल्याण है और इसमें कोई राजनीति शामिल नहीं है। फरिश्ते दिल्ली के योजना व्यक्तियों को सडक़ दुर्घटनाओं में शामिल लोगों की सहायता करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
लोकप्रिय है फरिश्ते योजना
इस योजना की शुरुआत दिल्ली में सडक़ दुर्घटनाओं में घायल हुए लोगों की जान बचाने के मकसद से हुई थी। जिसे केजरीवाल सरकार ने 2018 में शुरू किया था। जिसके तहत कोई भी शख्स सडक़ हादसे में घायल होता है तो उन्हें निजी अस्पताल में इलाज की सुविधा मिलती है। इसका पूरा खर्चा दिल्ली सरकार उठाती है।