बांग्लादेश के इन पर्यटन स्थलों पर भारतीयों को महसूस होता है अपनापन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
भारत और बांग्लादेश के बीच एक नई रेल लाइन का उद्घाटन हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा के निश्चिंतपुर व बांग्लादेश के गंगासागर स्टेशनों को जोडऩे वाले रेल लिंक समेत तीन परियोजनाओं का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। इसके अलावा भारत-बांग्लादेश की यात्रा के लिए विश्व का सबसे बड़ा क्रूज गंगा विलास भी है। भारत और बांग्लादेश के मध्य वायु मार्ग के अलावा जल मार्ग और थल मार्ग भी खुले हैं, जो दोनों देशों के यात्रियों के लिए आवागमन का मार्ग खोल रहे हैं। बांग्लादेश में कई पर्यटन स्थल है, जहां की संस्कृति, सुंदरबन जैसे जंगल, रोमांच बढ़ा देने वाले द्वीप और ढाका की हलचल का अनुभव ले सकते हैं। मंदिरों के दर्शन से लेकर नाव की सवारी समेत बांग्लादेश के पर्यटन स्थलों के बारे में जानने के लिए इस देश की यात्रा करें।
लालबाग फोर्ट
लालबाग किला एक अपूर्ण 17 वीं शताब्दी मुगल किला है जो बांग्लादेश के ढाका के दक्षिण-पश्चिम भाग में बुरीगंगा नदी में स्थित है। मुगल काल की यादों को समेटे हुए एक अधूरी मुगल कृति है। इस किले में मस्जिद, मकबरा और ऐतिहासिक इमारतों का संग्रह देखने को मिलता है। यहां घूमने के लिए सर्दियों में अक्टूबर से मार्च का वक्त सबसे बेहतरीन होता है। किले का टिकट लगभग 100 रुपये है। यह किला भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) का मूक गवाह है। 1857 में जब स्थानीय जनता ने ब्रिटिश सैनिकों के विरुद्ध विद्रोह किया था तब 260 ब्रिटिश सैनिकों ने यहीं शरण लिया था। इस किले में पारी बीबी का मकबरा, लालबाग मस्जिद, हॉल तथा नवाब शाइस्ता खान का हमाम भी देखने योग्य है। यह हमाम वर्तमान में एक संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है।
अहसान मंजिल (पिंक पैलेस)
अहसान मंजिल बांग्लादेश के ढाका के कुमारटोली क्षेत्र में स्थित महल है, जो गुलाबी रंग के पत्थरों से निर्मित है। इसलिए इसे द पिंक पैलेस भी कहते हैं। ढाका के नवाबों की कचहरी इस महल में लगती थी। इसे अब म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है। इस महल का निर्माण 1859 में शुरू हुआ और 1872 में बनकर तैयार हो गया। अहसान मंजिल ढाका के नवाब का आधिकारिक आवासीय महल और सीट थी। यह इमारत बांग्लादेश के ढाका में बुरीगंगा नदी के किनारे कुमारटोली में स्थित है। इसका निर्माण 1859 में शुरू हुआ था और 1872 में पूरा हुआ था। अहसान मंजिल का निर्माण इंडो-सारसेनिक रिवाइवल वास्तुकला में किया गया था। इसे राष्टï्रीय संग्रहालय के रूप में नामित किया गया है। इमारत की संरचना 1 मीटर ऊंचे मंच पर स्थापित की गई थी, दो मंजिला महल की माप 125.4 मीटर & 28.75 मीटर है। भूतल की ऊंचाई 5 मीटर है और पहली मंजिल की ऊंचाई 5.8 मीटर है।
सोनारगांव
सोनारंगाव मध्यकालीन बंगाल का हिस्सा है। इस स्थान पर विभिन्न बांस की कलाकृतियां, पारंपरिक गुडिय़ों से भरा लोक कला संग्रहालय है। सोनारगांव में बांग्लादेश लोक कला संग्रहालय स्थित है, जो शुक्रवार से बुधवार तक सुबह 10 से 5 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। बौद्ध शासक दनुजामाधव दशरथदेव ने 13वीं शताब्दी के मध्य में अपनी राजधानी को बिक्रमपुर से सुवर्णग्राम में स्थानांतरित कर दिया था। 14वीं शताब्दी की शुरुआत में, इस क्षेत्र में बौद्ध शासन तब समाप्त हो गया।
पहाड़पुर बौद्ध विहार
नौगांव जिले में पहाड़पुर बौद्ध विहार एक ऐतिहासिक मठ है, जिसका इतिहास 8वी शताब्दी का है। इस स्थान को 1985 को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है। यहां आध्यात्म और शांति से जुडऩे के लिए यहां की सैर पर जा सकते हैं। यह बांग्लादेश का एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थान है। यह उत्तरी बांग्लादेश के जलोढ़ समतल मैदान में नौगांव जिले के बादलगाछी उपजिला में स्थित है। ऊंचे पुराने मठ के ये पुरातात्विक खंडहर जंगल से घिरे हुए थे और पहाड़ के नाम से मशहूर थे, जिससे महल को पहाड़पुर का नाम मिला।