अध्यादेश पर अड़े किसान, महापंचायत में बड़ी लड़ाई का एलान, दिल्ली में दूध-सब्जी तक कर देंगे बंद
नई दिल्ली। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और कर्ज माफी समेत 12 मांगों को लेकर दिल्ली कूच के लिए निकले किसान अध्यादेश पर अड़ गए हैं। रविवार को चंडीगढ़ में सरकार के साथ देर शाम करीब सवा आठ बजे शुरू हुई चौथे दौर की वार्ता में किसान संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए केंद्र अध्यादेश लेकर लाए। वह इससे कम किसी बात पर नहीं मानेंगे।
करीब दो घंटे देरी से शुरू हुई बैठक में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय के साथ पंजाब के सीएम भगवंत मान और कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां भी शामिल हुए। दूसरी ओर, कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पर हुई हरियाणा के किसान नेताओं, खापों और अन्य संगठनों की बैठक में फैसला लिया गया है कि यदि केंद्रीय मंत्रियों के साथ पंजाब के किसान संगठनों की वार्ता असफल रही तो हरियाणा के किसान संगठन और खाप पंचायतें आंदोलन में शामिल होंगी।
आंदोलन में दिल्ली के किसानों का भी साथ लेंगे। भाकियू (चढ़ूनी) ने ब्रह्मसरोवर पर बुलाई महापंचायत में तय किया कि हरियाणा की ओर से गुरनाम सिंह चढूनी आंदोलन का नेतृत्व करेंगे। इसके अलावा दिल्ली की खापों और किसानों के साथ आंदोलन की रणनीति धनखड़ खाप के प्रधान डॉ. ओमप्रकाश धनखड़ की अगुवाई में चार सदस्यीय कमेटी बनाएगी।
महापंचायत के बाद गुरनाम चढूनी और सर्वखाप पंचायत के समन्वयक डॉ. ओमप्रकाश धनखड़ ने संयुक्त रूप से बताया कि सभी संगठनों के प्रतिनिधियों का वाट्सअप ग्रुप बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि रविवार देर शाम होने वाली वार्ता विफल होने पर आंदोलन के लिए पूरे प्रदेश में कॉल की जाएगी, जिसके बाद दिल्ली कूच किया जाएगा।
सरकार ने ट्रैक्टर लेकर दिल्ली नहीं जाने दिया तो दिल्ली के ही किसानों के साथ मिलकर दिल्ली को घेराव किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शंभू बार्डर पर आंदोलनरत किसानों ने उन्हें बुलाया नहीं किया, लेकिन इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता। महापंचायत में विभिन्न किसान संगठनों के अलावा, धनखड़, कादियान और हुड्डा खापों के साथ-साथ विभिन्न संगठन भी शामिल हुए।
किसान आंदोलन के दौरान रविवार को एक और किसान की हार्ट अटैक से मौत हो गई। संगरूर के खनौरी बॉर्डर पर बैठे कांगथला (पटियाला) के किसान मंजीत सिंह को सिविल अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। इससे पहले गुरदासपुर के बटाला के एक किसान और हरियाण के सुरक्षाकर्मी की भी आंदोलन के दौरान मौत हो गई थी। किसानों ने आरोप लगाया था कि आंसू गैस के धुएं से तबीयत खराब होने के कारण किसान की जान गई।
हिसार जिले के खेड़ी चौपटा से पैदल दिल्ली के लिए रवाना हुए किसान नेता सुरेश कोथ को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वहीं खेड़ी चापैटा में जिले भर से एकत्रित हुए किसानों ने फैसला लिया गया कि खेड़ी चौपटा में सडक़ किनारे पक्का मोर्चा लगाया जाएगा। वहीं, फैसला लिया कि सुरेश कोथ व रवि आजाद को रिहा नहीं किया तो प्रशासन के साथ वार्ता नहीं करेंगे। हालांकि, देर रात 10 बजे उन्हें रिहा कर दिया गया।
सर्वखाप पंचायत के समन्वयक डॉ. ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि रविवार को होने वाली बैठक में सरकार नहीं मानी तो आंदोलन कड़े रूप में चलाया जाएगा। इसमें दिल्ली का दूध से लेकर सब्जी तक सब बंद कर दिया जाएगा। वे लगातार सभी प्रदेशों की खापों के साथ संपर्क में हैं और सभी जगह कॉल दी जाएगी। वहीं चढूनी ने कहा कि किसी भी स्तर पर इस बार आंदोलन को कमजोर नहीं पडऩे दिया जाएगा और न ही किसान बिना मांगें पूरी हुए वापस होंगे।
सिरसा में एनएच नौ पर पंजुआना नहर के पास किसान नेताओं ने पक्का मोर्चा लगा दिया है। किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर सरकार से बैठक बेनतीजा रही तो किसान बैरिकेड तोडक़र दिल्ली को कूच करेंगे। जो किसानों को रोकेगा उसके साथ सीधा मुकाबला किया जाएगा।
उधर, केंद्र सरकार ने हरियाणा से सटे पंजाब के सात जिलों पटियाला, एसएएस नगर (मोहाली), बठिंडा, मुक्तसर साहिब, मानसा, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब में इंटरनेट पर पाबंदी 24 फरवरी तक बढ़ा दी है। इससे पहले 12 से 16 फरवरी तक तीन जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद की गई थीं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्रीय मंत्रियों से चंडीगढ़ में 15 फरवरी को हुई बैठक में इंटरनेट बंद होने का मुद्दा उठाया था। वहीं, हरियाणा ने भी अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा जिलों में मोबाइल इंटरनेट और बल्क एसएमएस सेवाएं बंद कर दी हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने लुधियाना में बैठक कर 20 से 22 फरवरी तक टोल प्लाजा फ्री करवाने का निर्णय लिया। रविवार को भी कई जिलों में टोल प्लाजा फ्री करवाए गए। लुधियाना में हुई बैठक में 37 किसान जत्थेबंदियों ने हिस्सा लिया है। मोर्चा ने यह भी एलान किया कि इन तीन दिनों में पंजाब के बड़े भाजपा नेताओं के घरों के बाहर पक्का धरना लगाया जाएगा। जहां कोई बड़ा भाजपा नेता या टोल प्लाजा नहीं है, वहां डीसी दफ्तर में पक्का धरना लगाया जाएगा।