व्यासजी के तहखाने की छत पर दूसरे समुदाय के लोगों के इक_ा होने पर रोक की मांग, आज होगी सुनवाई
वाराणसी। सिविल जज सीनियर डिविजन अश्वनी कुमार की कोर्ट में गुरुवार को ज्ञानवापी प्रकरण में एक और मामले को सुनवाई होनी है। इस मामले में बुधवार को एक अर्जी दी गई है कि व्यास जी के तहखाने की छत पर मुस्लिमों को इक_ा होने से रोका जाए। इस मामले में 7 मार्च यानी आज सुनवाई होगी।
प्रकरण के अनुसार नंदी जी महाराज विराजमान व लखनऊ के जन उदघोष सेवा संस्था के सदस्य कानपुर निवासी आकांक्षा तिवारी, लखनऊ निवासी, दीपक प्रकाश शुक्ला, अमित कुमार, सुविद प्रवीण ने कोर्ट में वाद दाखिल किया है। वाद पत्र में कहा गया मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा मंदिर के स्वरूप को तोडक़र मस्जिद का गुंबद बनाया गया है। उसे हटाया जाए और विश्वनाथ मंदिर को सौंपते हुए मंदिर के रूप दिया जाए। साथ ही विवादित परिसर में नमाज करने से रोका जाए। परिसर में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाई जाए।
प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि तलगृह की छत पर मुस्लिम पक्ष के लोगों जमावड़े के कारण छत से एक पत्थर का टुकड़ा पूजा स्थल में विग्रह के पास आकर गिरा। इससे पुजारी को भी गंभीर चोट आ सकती थी। छत से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है और एक बीम में दरार भी है। यह भी कहा गया है कि धार्मिक पूजा स्थल की छत पर कोई जूते चप्पल पहन कर या ऐसे ही जाता है तो यह हिंदुओं की आस्था का अपमान है। इसलिए इसपर रोक लगाई जाए।
एडीजे सप्तम की कोर्ट में बुधवार को ज्ञानवापी में उर्स करने और मजार पर चादर चढ़ाने के मामले में लंबित निगरानी अर्जी पर सुनवाई टल गई। अब इस मामले में 29 मार्च को सुनवाई होगी। लोअर कोर्ट ने फरवरी में सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत ने ज्ञानवापी में उर्स करने अदृश्य मजार पर चादर चढ़ाने की अनुमति देने संबंधी मुख्तार अहमद के वाद में तृतीय पक्षकार हिंदुओ को बनाने का आवेदन स्वीकार कर लिया था। संवाद
सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक प्रशांत सिंह की कोर्ट में बुधवार को पुराने मूल वाद में वादी मृतक हरिहर पांडेय के वाद तीन पुत्रियां ने उत्तराधिकारी के रूप में वादी बनाने की गुहार लगाई है। इस मामले में पहले ही सात मार्च के सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित है। हरिहर पांडेय की विवाहिता तीन पुत्रियों मानिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्र, रेनू पांडेय ने कोर्ट में अर्जी दी। इस मामले में हरिहर पांडेय के पुत्रों को पक्षकार बनाने संबंधित अर्जी पहले ही खारिज हो चुकी है।