चुनाव आयोग के निर्देशों पर एएम सिंघवी का बड़ा बयान, बोले-‘यह अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन’
एएम सिंघवी ने आयोग का नाम लिए बिना कहा, "आपकी साख पर सवाल उठते हैं।" उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग का यह कदम न केवल कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ है

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले पर वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
इस दौरान उन्होंने चुनाव आयोग के हालिया निर्देशों और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। सिंघवी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग 2003 के बाद मतदाता बने लोगों को ‘संदिग्ध’ श्रेणी डाल रहा है, जो न केवल असंवैधानिक है बल्कि नागरिकों के मताधिकार पर सीधा हमला है। उन्होंने यह भी कहा कि आयोग द्वारा नागरिकता की जांच करना न तो उसका अधिकार क्षेत्र है और न ही उसका दायित्व।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एएम सिंघवी ने आयोग का नाम लिए बिना कहा, “आपकी साख पर सवाल उठते हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग का यह कदम न केवल कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ है, बल्कि लोकतंत्र की जड़ पर भी प्रहार करता है। सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित इस मामले का निर्णय चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर बेहद महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि अदालत इस मामले में जल्द और संतुलित फैसला देगी।
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। खासकर नए मतदाताओं को सूची से हटाने या उनके नाम की जांच को लेकर राजनीतिक और कानूनी बहस तेज हो गई है। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस की संयुक्त याचिका थी. हमारा पहला बिंदु अधिकार क्षेत्र नहीं होते हुए आयोग का उल्लंघन का है. दूसरा, आयोग के निर्देश 2003 के बाद के मतदाताओं को संदिग्ध कैटेगरी में डाला जाना है और आयोग ने मतदाता को ही खुद को सही साबित करने की जिम्मेदारी डाल दी. तीसरा, यह कि 2003 के बाद वालों को तीन कैटेगरी में बांटा जाना, माता पिता और अपना जन्म प्रमाण. उन्होंने कहा कि इसके लिए कोई कानूनी बदलाव नहीं किया गया. महज प्रशासनिक आदेश दिया गया.
उन्होंने साफ कहा कि नागरिकता जांचने का अधिकार चुनाव आयोग को नहीं है. लाल बाबू हुसैन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि पूरी न्यायिक प्रक्रिया के बाद ही मतदाता को हटाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर आप दो करोड़ को भी मतदान से वंचित कर देते हैं तो यह मूल ढांचे के खिलाफ होगा. उन्होंने कहा कि आधार हमारा आधार है, जिसकी स्थापित प्रक्रिया है. उसे, ईपीआईसी और राशन कार्ड को कैसे नजरअंदाज कर सकता है. सिंघवी ने कहा कि कम समय में यह प्रक्रिया असंभव है.
सिंघवी ने कहा कि 2003 के बाद दस चुनाव हो गए तब नहीं किया और जब कम समय रह गया, तब कर रहे हैं. संघवी ने चुना आयोग पर निशाना साधा और आयोग का नाम लिए बिना कहा कि आपकी साख पर सवाल है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भ्रम फैलाया गया, जिसमें पहली ही पंक्ति में कहा गया कि यह मुद्दा बहुत ही महत्वपूर्ण है. दूसरा तीनों दस्तावेजों को विचार करने को कहा है.
सिंघवी ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि विश्वसनीयता का इंडेक्स बहुत कम हुआ है. पूर्व में हुए चुनावों के दौरान भेदभावपूर्ण कार्रवाई ने आयोग की साख को सार्वजनिक कर दिया है.



