एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी की प्रताडऩा से त्रस्त कर्मचारी ने की आत्महत्या
- कर्मचारी की पत्नी का आरोप- पति को बहुत प्रताडि़त करते थे वीसी
- एलडीए वीसी पर खुद करोड़ो की हेराफेरी का आरोप
- इनकम टैक्स विभाग ने सीज की थी परिवार की संपत्तियां
- सीएम के प्रमुख सचिव एसपी गोयल के करीबी होने के कारण नहीं होती है कोई कार्रवाई
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण से नौकरी से निकाले गए संविदा कर्मी ने मंगलवार सुबह फांसी लगाकर जान दे दी। जानकारी के अनुसार एलडीए में तैनात कंप्यूटर ऑपरेटर संतोष जायसवाल ने फांसी लगाकर की आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि संतोष को एलडीए वीसी ने काफी बेइज्जत किया था जिसे वह बर्दाश्त न कर सके और आत्महत्या कर ली। मंगलवार सुबह परिवार को फंदे से उनका लटका हुआ शव मिला। संतोष अपने पीछे दो छोटे बच्चे पत्नी और बूढ़ी मां को छोड़ गए है। मामले की जांच की जा रही है।
हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि इस मामले को दबाने क ी कोशिश की जा रही है क्योंकि एलडीए वीसी पर सीएम आफिस के एक बड़े अधिकारी व प्रमुख सचिव सीएम एसपी गोयल का हाथ है। इस बाबत जब एलडीए वीसी के मोबाइल नंबर से संपर्क किया तो उनका फोन नहीं उठा। एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी पर कंप्यूटर ऑपरेटर संतोष जायसवाल को प्रताडि़त करने का आरोप लगा है। संतोष की पत्नी मालती जायसवाल का कहना था की कई दिनों से लगातार एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी उनके पति संतोष जायसवाल को मानसिक रूप से प्रताडि़त कर रहे थे। मालती जायसवाल का कहना कि एक दिन पहले ही कार्यालय में एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी ने उनके पति के साथ अभद्रता की थी। परिवारी जनों का कहना है कि एलडीए वीसी की लगातार प्रताडऩा से आहत होकर संतोष जायसवाल ने उठा लिया आत्महत्या जैसा कदम उठाया।
एलडीए वीसी पर सख्त कार्रवाई हो : मालती
संतोष पत्नी मालती जायसवाल ने एलडीए वीसी पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाया है। उन्होंने इंद्रमणि त्रिपाठी पर हो सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। मालती ने कहा कि एलडीए वीसी ने मेेरा घर बर्बाद कर दिया। मृतक संतोष की पत्नी ने यह भी जानकारी दी कि वह बीते 10 दिनों से बहुत टेंशन में चल रहे थे।
बेनामी संपत्ति को लेकर कोर्ट में चला मुकदमा
एलडीए वीसी के खिलाफ हाईकोर्ट में बेनामी संपत्ति मामले में मुकदमा भी दर्ज है। यएाचिका में आयकर विभाग के जिस नोटिस व आदेश को चुनौती दी गई , वह जियामऊ के विक्रमादित्य वार्ड अंतर्गत सृजन विहार कॉलोनी की एक संपत्ति से जुड़ा है। 3,680 वर्ग फुट की यह संपत्ति 23 अप्रैल 2016 को मीरा पांडेय के नाम से 82 लाख रुपये में खरीदी गई थी। आयकर विभाग का आरोप है कि मीरा पांडेय की वर्ष 2015-16 में कुल आय 7.30 लाख रुपये थी और इस संपत्ति पर ढाई मंजिल के आवासीय निर्माण में एक करोड़ पांच लाख रुपये भी खर्च किया गया। एलडीए उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी की बेनामी संपत्ति का मामला हाईकोर्ट में पहुंचा था। एलडीए उपाध्यक्ष की सास मीरा पांडेय ने हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में एकयाचिका दाखिल कर बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम (पीबीपीटी एक्ट) में दामाद को जारी आयकर विभाग की नोटिस व संपत्ति के अस्थाई (प्रोविजनल) अटैचमेंट के आदेश को चुनौती दी। न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा व न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ में याची मीरा पांडेय की ओर से राज्य सरकार के वर्तमान में मुख्य स्थायी अधिवक्ता अभिनव नारायण त्रिवेदी ने बतौर निजी अधिवक्ता याचिका दाखिल की। इसमें बताया गया कि आयकर विभाग ने मीरा पांडेय द्वारा ली गई संपत्ति का लाभार्थी उनके दामाद इंद्रमणि त्रिपाठी को बताते हुये नोटिस व आदेश जारी किया ।
आशीष मिश्रा को शर्तों के साथ सुप्रीम राहत
- अंतरिम जमानत दी, पर सार्वजनिक समारोह व मीडिया से मिलने पर रोक
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। लखीमपुर खीरी मामले के आरोपी आशीष मिश्रा की अंतरिम जमानत की शर्तों में सुप्रीम कोर्ट ने बदलाव किया है। अदालत ने आशीष मिश्रा को दिल्ली में रहने की इजाजत दी है। बीमार मां की देखभाल और बेटी की इलाज कराने के लिए दिल्ली आने की इजाजत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने शर्त लगाई है कि वह विचाराधीन मामले के संबंध में किसी भी सार्वजनिक समारोह में भाग नहीं लेगा, साथ ही उन्हें मीडिया को संबोधित करने की इजाजत भी नहीं दी गई है, अदालत ने स्पष्ट किया कि यूपी में उनकी प्रवेश पर रोक भी जारी रहेगी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की तरफ से लाए गए 3 किसान कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी गई थी। जिसमें कुछ लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों की हत्या का आरोप लगा था। बाद में उनकी गिरफ्तारी हुई थी, वो अभी जमानत पर रिहा हैं।
लखीमपुर कांड के मुख्य आरोपी को सशर्त मिली थी जमानत
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में अदालत ने आरोपी आशीष मिश्रा को सशर्त अंतरिम जमानत दी थी। आशीष मिश्रा और उनके परिवार को संबंधित मामले में गवाहों से दूर रहने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आशीष मिश्रा या उसके परिवार ने अगर मामले से जुड़े गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास किया तो उनके ऊपर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही अदालत ने कहा था कि जमानत की शर्तों को अगर किसी भी तरह से तोडऩे की कोशिश हुई तो जमानत रद्द कर दी जाएगी।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
- तीन अक्टूबर को होगी बहस, इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद संबंधी याचिका पर सुनवाई के लिए तीन अकटूबर की तारीख तय की है। बता दें कि बीते दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जन्मभूमि विवाद से संबंधित सभी याचिकाओं को जिला अदालत, मथुरा से अपने पास स्थानांतरित करा लिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मई में जन्मभूमि विवाद से जुड़ी सभी याचिकाएं अपने पास स्थानांतरित कराईं थी। हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया था, जिसमें मांग की गई थी कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है, इसलिए हाईकोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होनी चाहिए। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है। जिसमें से 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान की है, वहीं ढाई एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है।