चार दिन में दूसरे जैन मुनि ने त्यागे प्राण

जयपुर। सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के विरोध में जैन मुनि समर्थ सागर अनशन पर थे। गुरुवार देर रात उनका निधन हो गया।
जैन तीर्थस्थल सम्मेद शिखर के लिए एक और जैन मुनि ने अपने प्राण त्याग दिए। गुरुवार देर रात 1.20 बजे मुनि समर्थ सागर का निधन हो गया। चार दिन में ये दूसरे संत हैं, जिन्होंने अपनी देह त्याग दी। शुक्रवार सुबह जैसे ही संत के देह छोडऩे की जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में जैन समुदाय के लोग मंदिर पहुंचने लगे।
संत की डोल यात्रा संघीजी मंदिर से विद्याधर नगर तक निकाली गई। इस मौके पर जैन संत शशांक सागर ने कहा कि जब तक झारखंड सरकार सम्मेद शिखर को तीर्थ स्थल घोषित नहीं करेगी तब तक मुनि ऐसे ही बलिदान देते रहेंगे।
दरअसल, जयपुर के सांगानेर स्थित संघीजी दिगम्बर जैन मंदिर में समर्थसागर जी तीन दिन से आमरण अनशन कर रहे थे। बता दें कि सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के विरोध में इसी मंदिर में जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने 3 जनवरी को प्राण त्यागे थे।
मंदिर में आचार्य सुनील सागर महाराज प्रवास पर हैं और उनके सानिध्य में ही मुनि समर्थसागर को जैन रीति-रिवाजों के साथ आज समाधि दे दी गई।
जयपुर में सांगानेर के संघीजी दिगम्बर जैन मंदिर के मंत्री सुरेश कुमार जैन ने बताया कि शुक्रवार रात सुबह एक बजे जैन मुनि समर्थ सागर ने अपनी देह त्याग दी।
सांगानेर के संघीजी दिगम्बर जैन मंदिर के मंत्री सुरेश कुमार जैन ने बताया कि शुक्रवार की सुबह एक बजे जैन मुनि समर्थसागर ने अपनी देह त्याग दी। इन्होंने श्री सम्मेद शिखर को बचाने के लिए अपनी देह का बलिदान दिया है, जो हमेशा याद रखा जाएगा।
समर्थसागर महाराज आचार्य सुनील सागर महाराज के ही शिष्य हैं। इससे पहले जब सुज्ञेयसागर महाराज ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था तब समर्थसागर जी ने धर्मसभा के दौरान अनशन का संकल्प लिया था और तब से वह उपवास पर चल रहे थे।
पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर केंद्र सरकार ने गुरुवार को तीन साल पहले जारी किया अपना आदेश वापस ले लिया, लेकिन जयपुर में अब भी इसका विरोध जारी है। जैन समाज बंधुओं का कहना है कि केंद्र सरकार के बाद राज्य सरकार इस पर पूरी तरह निर्णय नहीं लेती, तब तक विरोध जारी रहेगा।
इसी मंदिर में जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने मंगलवार को प्राण त्याग दिए थे। सम्मेद शिखर को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। जयपुर में कुछ दिनों पूर्व ही सकल जैन समाज की ओर से मौन जुलूस निकाल कर विरोध प्रकट किया गया था। सकल जैन समाज (दिगंबर और श्वेतांबर) के बैनर तले हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए थे। राजस्थान जैन युवा महासभा के महामंत्री विनोद जैन ने बताया कि मुनि समर्थ सागर ने धर्मसभा के दौरान अनशन का संकल्प लिया था।
इस बीच, आचार्य सुनील सागर ने कहा कि समर्थसागर महाराज के पास गुरुवार को भाजपा के कई बड़े पदाधिकारी आए थे, लेकिन उन्होंने यही कहा कि जब तक सम्मेद शिखर को लेकर झारखंड सरकार स्थिति प्रैक्टिकल रूप से सामने नहीं रखेगी, तब तक मेरा अनशन जारी रहेगा। उन्होंने तभी से जल का भी त्याग कर दिया था। उन्होंने पूरे देश के लिए अपना जीवन अर्पण किया है।
उधर, आचार्य शशांक सागर महाराज ने कहा कि जयपुर ने दो मुनियों ने सम्मेद शिखर को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया है, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यहां आकर जैन समाज का समर्थन देना चाहिए। उन्हें जैन समाज के लिए भी बोर्ड बनाना चाहिए, ताकि समाज की बात सरकार तक पहुंचाई जा सके। जैन समाज की इस मांग पर कांग्रेस नेता पुष्पेंद्र भारद्वाज ने कहा की ष्टरू गहलोत अभी राष्ट्रपति के साथ इवेंट में जयपुर से बाहर हैं। आज वह जयपुर लौटेंगे, तब उन तक जैन समाज की बात को पहुंचाने का प्रयास करूंगा।

 

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