वक्फ बिल पास होते ही नीतीश को तगड़ा झटका, इन दो मुस्लिम नेताओं ने दिया इस्तीफा

संसद में वक्फ बिल पास होते ही नीतीश कुमार की पार्टी में बड़ी बगावत देखने को मिली है... जेडीयू के दो दिग्गज नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः बिहार की सियासत में एक बार फिर भयंकर हलचल मच गई है….. नीतीश कुमार जो अपने राजनीतिक कुशलता और पलटीबाजी के लिए मशहूर हैं….. वहीं अब अपनी ही पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू के अंदर बड़ी बगावत का सामना कर रहे हैं…. बता दें कि वक्फ संशोधन विधेयक को समर्थन देकर नीतीश कुमार बुरी तरह से फंस गए हैं…. और वक्फ बिल का समर्थन नीतीश कुमार के लिए गले की हड्डी बन गई है….. वहीं इस विधेयक के समर्थन ने न सिर्फ उनकी पार्टी के मुस्लिम नेताओं को नाराज कर दिया है…… बल्कि उनके सहयोगी भारतीय जनता पार्टी…. और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं….. बता दें कि संसद में वक्फ बिल पास होते ही मोहम्मद कासिम अंसारी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था…. जिसके बाद अब जेडीयू के एक और कद्दावर नेता मोहम्मद शाहनवाज मलिक ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है……. शाहनवाज मलिक जमुई के जिलाध्यक्ष थे….. और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव के तौर पर भी जिम्मेदारी संभाल रहे थे…… उनका इस्तीफा नीतीश के लिए एक जोरदार झटका है…… जो उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि और मुस्लिम वोट बैंक पर सीधा हमला है…..

आपको बता दें कि शाहनवाज मलिक ने अपने इस्तीफे में साफ लिखा है कि वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन जेडीयू का ऐसा कदम है…… जिसने मुस्लिम समुदाय के दिल को तोड़ दिया है…… और उन्होंने नीतीश कुमार को संबोधित करते हुए कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपने इस विधेयक का समर्थन किया……. इसके कारण मैं आज पार्टी को अलविदा कह रहा हूं…… ललन सिंह ने लोकसभा में जिस अंदाज में इस बिल का समर्थन किया……. वह हमारे लिए बेहद दुखद है…… बहुत इंतजार और उम्मीद के बाद……. जब पूरा मामला सामने आया….. तो हम मुसलमानों का दिल टूट गया…… यह शब्द न सिर्फ नीतीश के लिए….. बल्कि बीजेपी और मोदी के लिए भी एक तीखा संदेश हैं…….. जो इस विधेयक को अपनी सांप्रदायिक राजनीति का हथियार बनाना चाहते थे……

नीतीश कुमार की राजनीति हमेशा से अवसरवादी रही है…… कभी महागठबंधन के साथ, कभी एनडीए के साथ……. उनकी कुर्सी बचाने की कला ने उन्हें पलटू राम का तमगा दिलाया है…… लेकिन इस बार वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करके उन्होंने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है……. आपको बता दें कि बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं……. और नीतीश का मुस्लिम वोट बैंक उनकी ताकत रहा है……. इस विधेयक के समर्थन से नाराज मुस्लिम संगठनों ने पहले ही उनकी इफ्तार पार्टी का बहिष्कार किया था…… वहीं अब पार्टी के भीतर से इस्तीफों का सिलसिला शुरू हो गया है……. जो नीतीश की साख को और कमजोर कर रहा है……

वहीं दूसरी ओर, बीजेपी और नरेंद्र मोदी इस विधेयक को पास करवाकर अपनी सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाना चाहते थे…… बीजेपी ने इसे वक्फ बोर्ड की कथित अनियमितताओं को ठीक करने का बहाना बनाया……. लेकिन असल में यह मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने की एक और चाल थी…… नीतीश का समर्थन बीजेपी के लिए सोने पे सुहागा था…… क्योंकि उनकी पार्टी एनडीए की मुख्य सहयोगी है….. लेकिन अब जेडीयू के भीतर बगावत ने बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है……. शाहनवाज मलिक जैसे नेताओं का इस्तीफा इस बात का सबूत है कि नीतीश का साथ बीजेपी के लिए फायदे से ज्यादा नुकसानदेह साबित हो रहा है……

आपको बता दें कि मोहम्मद शाहनवाज मलिक बिहार के कोई छोटे-मोटे नेता नहीं थे…… जमुई जैसे इलाके में उनकी मजबूत पकड़ थी……. और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव के तौर पर उन्होंने मुस्लिम समुदाय के बीच जेडीयू की पैठ बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई थी…… उनके इस्तीफे का असर सिर्फ जमुई तक सीमित नहीं रहेगा……. यह बिहार के उन तमाम मुस्लिम नेताओं…… और कार्यकर्ताओं के लिए एक संकेत है……. जो नीतीश कुमार की नीतियों से नाराज हैं…….. शाहनवाज ने अपने त्यागपत्र में नीतीश को सीधे जिम्मेदार ठहराया और कहा कि आपके इस फैसले ने हमारी उम्मीदों को तोड़ा……. यह विधेयक मुस्लिम विरोधी है…… और इसे स्वीकार करना हमारे लिए नामुमकिन है……

जानकारी के मुताबिक शाहनवाज ने न सिर्फ नीतीश को…… बल्कि जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा……. और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मोहम्मद अशरफ अंसारी को भी अपने इस्तीफे की जानकारी दी……. यह कदम दिखाता है कि उनकी नाराजगी सिर्फ नीतीश कुमार तक सीमित नहीं है…… बल्कि पूरी पार्टी के रवैये के खिलाफ है……. यह इस्तीफा जेडीयू के लिए एक चेतावनी है कि अगर नीतीश ने जल्द ही अपनी रणनीति नहीं बदली…….. तो और भी नेता पार्टी छोड़ सकते हैं…..

बता दें कि वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बीजेपी ने बड़ा दांव खेला था…… लोकसभा में इसे पास करवाने के लिए उसने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी किया था…….. नीतीश की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी जैसे सहयोगियों का समर्थन भी हासिल कर लिया था…….. लेकिन बिहार में जेडीयू के भीतर उठे विरोध ने बीजेपी के इस प्लान को कमजोर कर दिया है…… शाहनवाज मलिक और मोहम्मद कासिम अंसारी जैसे नेताओं के इस्तीफे से यह साफ हो गया है कि…… नीतीश का समर्थन बीजेपी के लिए महंगा सौदा साबित हो रहा है……

आपको बता दें कि बीजेपी की रणनीति हमेशा से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की रही है……. वक्फ विधेयक को लेकर भी उसने यही कोशिश की…….. लेकिन नीतीश की पार्टी में बगावत ने उसके पैरों तले जमीन खिसका दी…….. बिहार में मुस्लिम वोटरों की नाराजगी बीजेपी के लिए भी खतरे की घंटी है…….. क्योंकि नीतीश के बिना एनडीए की सरकार बनाना मुश्किल होगा……. ऐसे में मोदी और अमित शाह के लिए यह विधेयक एक जीत से ज्यादा सिरदर्द बन गया है…….

जानकारी के लिए बता दें कि नीतीश कुमार ने हमेशा खुद को धर्मनिरपेक्ष नेता के तौर पर पेश किया है……. बिहार में उनकी सरकार ने मुस्लिम समुदाय के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाईं…….. लेकिन वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करके उन्होंने अपनी इस छवि को दांव पर लगा दिया……. शाहनवाज मलिक ने अपने पत्र में लिखा कि हमारा नीतीश पर अटूट भरोसा था कि वे धर्मनिरपेक्षता का झंडा ले चलने वाला बने रहेंगे…… लेकिन अब यह भरोसा टूट गया है…… ये शब्द नीतीश की साख पर गहरा और बड़ा सवाल उठाते हैं……

वहीं बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले यह बगावत नीतीश के लिए खतरे की घंटी है……. अगर मुस्लिम वोट बैंक उनसे दूर हुआ…… तो बीजेपी के साथ गठबंधन के बावजूद उनकी जीत मुश्किल हो सकती है……. नीतीश की पार्टी पहले ही कई बार गठबंधन बदल चुकी है……. और अब उनके अपने नेता उनसे मुंह मोड़ रहे हैं…… यह स्थिति नीतीश के राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ा संकट बन सकती है……

आपको बता दें कि वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन नीतीश और बीजेपी दोनों के लिए उल्टा पड़ता दिख रहा है……. नीतीश की पार्टी में इस्तीफों का सिलसिला शुरू हो गया है……. और मुस्लिम समुदाय में उनकी साख दांव पर है……. दूसरी ओर, बीजेपी का सांप्रदायिक एजेंडा बिहार में उलझ गया है……. जहां नीतीश की कमजोरी उसके लिए भी नुकसानदेह साबित हो रही है……. शाहनवाज मलिक का इस्तीफा इस बात का संकेत है कि नीतीश…… और मोदी की जोड़ी अब अपने ही जाल में फंस गई है……. बिहार की सियासत में आने वाले दिन…… और भी रोचक होने वाले हैं…… जब यह साफ होगा कि नीतीश इस संकट से उबर पाते हैं……

 

 

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