मणिपुर के पांच जिलों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट पर प्रतिबंध हटा, तनावपूर्ण हालात के बीच सरकार ने दी राहत
नई दिल्ली।मणिपुर में पिछले साल से शुरू हुई हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही है। तीन मई 2023 के बाद से लेकर अब तक हिंसा की अनेक वारदात हो चुकी हैं। कभी सुरक्षा बलों के हथियार लूटे जा रहे हैं तो कभी उनका रास्ता रोका जा रहा है। यहां तक कि अब ड्रोन और बम भी हमले में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। पिछले दिनों भडक़ी हिंसा के बाद घाटी के पांच जिलों में इंटरनेट सेवाओं पर लगाए गए अस्थायी प्रतिबंध को तीन दिन बाद अब सशर्त हटा दिया गया है।
अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि राज्य सरकार द्वारा घाटी के पांच जिलों में सभी प्रकार की इंटरनेट सेवाओं पर अस्थायी प्रतिबंध लगाए जाने के तीन दिन बाद, उसने कई नियमों और शर्तों को पूरा करने के अधीन, ब्रॉडबैंड सेवाओं पर प्रतिबंध सशर्त रूप से हटा दिया है।
आयुक्त (गृह) एन. अशोक कुमार ने बताया, ‘राज्य सरकार ने ब्रॉडबैंड सेवाओं (आईएलएल और एफटीटीएच) के मामले में प्रतिबंध को सशर्त हटाने का फैसला लिया है, जोकि नियम और शर्तों को पूरा करने के अधीन है। कनेक्शन स्टेटिक आईपी के जरिए होगा और संबंधित सब्सक्राइबर फिलहाल स्वीकृत कनेक्शन के अलावा कोई अन्य कनेक्शन स्वीकार नहीं करेगा।
उन्होंने कहा, किसी भी राउटर से वाईफाई/हॉटस्पॉट की अनुमति नहीं दी जाएगी। स्थानीय स्तर पर सोशल मीडिया और वीपीएन को ब्लॉक करना उपभोक्ता द्वारा लागू किया जाएगा।
हालांकि, सोशल मीडिया के माध्यम से गलत सूचना और अफवाहों के फैलने की चिंता के कारण मोबाइल इंटरनेट डेटा पर प्रतिबंध जारी रहेगा। मोबाइल इंटरनेट के जरिए आंदोलनकारी और प्रदर्शनकारी संगठित हो सकते हैं, जिससे जान-माल की हानि हो सकती है तथा सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान हो सकता है।
मणिपुर में बिगड़े हालात के बीच सरकार ने मंगलवार (10 सितंबर) को पांच दिनों के लिए राज्य में इंटरनेट और मोबाइल डेटा पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था। मणिपुर सरकार के फैसले के मुताबिक, राज्य में 15 सितंबर दोपहर 3 बजे तक इंटरनेट और मोबाइल डेटा बंद रहना था।
इंटरनेट और मोबाइल डेटा बंद करने के संबंध में मणिपुर सरकार ने एक नोटिस जारी किया था। नोटिस में मुख्यमंत्री एन बीरेने सिंह ने कहा था, ‘उप्रद्रवियों के नफरत फैलाने वाले भाषणों और सोशल मीडिया के जरिए हिंसा भडक़ने से रोकने के लिए ही सरकार ने इंटरनेट पर बैन लगाने का फैसला किया है।’ बता दें कि इससे पहले मणिपुर सरकार ने राज्य की बेकाबू स्थिति पर आरएएफ को बुलाया था और कफ्र्यू लगाने का भी फैसला किया था।
इंफाल घाटी में रहने वाले मैतेई और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदायों के बीच बीते साल मई, 2023 में जातीय संघर्ष ने भीषण रूप ले लिया। इस हिंसा में 200 से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों बेघर हुए।