UNESCO के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल हुई भगवद गीता और नाट्यशास्त्र, पीएम मोदी ने जताई खुशी

श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर' में शामिल किया गया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत की सांस्कृतिक धरोहरों को वैश्विक मंच पर एक बड़ी पहचान मिली है। श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किया गया है।यह रजिस्टर विश्व की उन महत्वपूर्ण धरोहरों और
दस्तावेजों को संरक्षित करता है,जो मानव सभ्यता के इतिहास और ज्ञान की दृष्टि से अत्यंत मूल्यवान हैं।

इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रसन्नता जताई है और इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत का सम्मान बताया है। अब तक भारत के कुल 14 अभिलेख इस प्रतिष्ठित रजिस्टर में शामिल हो चुके हैं, जो देश की समृद्ध परंपरा ज्ञान और सांस्कृतिक मूल्यों को विश्व स्तर पर पहचान दिलाते है। यूनेस्को का य़ह प्रयास ऐतिहसिक और सांस्कृतिक दस्तावेजों को सरक्षिंत करने और आम जनता तक उनकी पहुंच को आसान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।

श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी दी है, जिस पर पीएम मोदी ने बधाई दी. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में हर भारतीय के लिए यह गर्व का क्षण है.

पीएम मोदी ने गजेंद्र सिंह शेखावत की पोस्ट पर कमेंट करते हुए लिखा कि दुनिया भर में हर भारतीय के लिए यह गर्व का क्षण है. यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में गीता और नाट्यशास्त्र को शामिल किया जाना हमारी शाश्वत बुद्धिमत्ता और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है. उन्होंने आगे लिखा कि गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है. उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करती रहती है.

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने दी जानकारी
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को अब यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में अंकित किया गया है. यह वैश्विक सम्मान भारत के शाश्वत ज्ञान और कलात्मक प्रतिभा का जश्न मनाता है. ये कालातीत रचनाएँ साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक हैं – वे दार्शनिक और सौंदर्यवादी आधार हैं, जिन्होंने भारत के विश्व दृष्टिकोण और हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्त करने के तरीके को आकार दिया है. उन्होंने आगे लिखा कि इसके साथ ही, अब हमारे देश के 14 अभिलेख इस अंतर्राष्ट्रीय रजिस्टर में शामिल हो गए हैं.

क्या है यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर?
आपको बता दें,कि यह रजिस्टर यूनेस्को की तरफ से शुरू किया गया एक कार्यक्रम है, जिसका काम दुनिया की महत्वपूर्ण दस्तावेजी विरासत को संरक्षित करना और आम लोगों तक उसकी पहुंच को आसान करना होता है. इसकी मदद से लोगों को इन दस्तावेजों के बारे में आसानी से जानकारी मिल जाती है. इसके साथ ही कई सौ साल पुराने दस्तावेज सुरक्षित रखे जाते हैं. यह कार्यक्रम साल 1992 में शुरू किया गया था.

Related Articles

Back to top button