पर्यावरण को पवित्र मानकर संरक्षण की परंपरा शुरू करें : भागवत
- मेरठ में बोले संघ प्रमुख, जंगलों को बचाना होगा
लखनऊ। मोहन भागवत ने मेरठ में कहा पानी एक ऐसा विषय है जिसका महत्व समझाने की आवश्यकता नहीं है। हमारी संस्कृति जंगल और कृषि पर आधारित रही है। ऐसे में प्राकृतिक संपदा के बिना प्रकृति का वर्णन नहीं हो सकता। हमने कृषि व विकास के लिए पश्चिमी अवधारण को अपनाया है। जिस कारण हमें इसके दुष्परिणाम भी देखने पड़ रहे है। अब जो हो गया सो हो गया लेकिन अब अपनी संस्कृति व संस्कारों की और लौटने का समय है। इसके लिए पर्यावरण को पवित्र मानकर संरक्षण की परंपरा शुरू करें। स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भगवत ने सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में कहा कि पानी के लिए देश में बड़े-बड़े बांध बनाए गए हैं। जिसे असंतुलन की स्थिति बन गई है। कहीं पानी की कमी दूर हो गई है, जबकि कहीं किल्लत भी हो गई है। पानी को लेकर झगड़े शुरू हो गए हैं। जबकि नदी के पानी पर सबका अधिकार होता है। हमें इन सब बातों के निदान पर विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि हमने विकास के लिए पश्चिम की अवधारणा को अपनाया और पर्यावरण को लेकर भी अवधारणा तैयार कर ली। अब सबको एक साथ कैसे साधा जाए, इसके लिए समग्र दृष्टि की जरूरत है। अब हमें वापस अपनी संस्कृति व संस्कारों की और लौटना होगा। पानी को लेकर सिर्फ विचार करने से कार्य नहीं चलेगा, दूसरे उपाय भी सोचने होंगे। बरसात के पानी को संचित करने को लेकर भी चुनौती बढ़ गई है।
जनसंख्या को लेकर जताई चिंता
जल संरक्षण को लेकर गुजरात व महाराष्टï्र का उदाहरण देते हुए डा. भागवत ने कहा कि दोनों राज्यों में पानी की किल्लत दूर करने के लिए बेहतर प्रबंधन किया गया है। क्योंकि ग्लेशियर से गंगा, ब्रहमपुत्र, यमुना व सिंघु नदी को ही पानी पानी मिलता है। जबकि देश की अन्य नदियों को सदानीरा जंगल करते हैं। जंगल में पेड़ों के मूल से पानी रिस कर नदियों में पहुंचता है। इसलिए जंगलों को बचाना जरूरी है। आधुनिक विकास के कारण उपजाऊ जमीन का खराब होना, जंगल का उजड़ जाना एक तरीका जरूर बना है लेकिन जल संपदा, जन संपदा, वन संपदा का के बीच गहरा नाता है। डा. मोहन भागवत ने कहा कि जब कभी जनसंख्या पर नियंत्रण होता तब होगा, लेकिन संसाधनों को लेकर विचार करना होगा। प्रजातंत्र हो या राजतंत्र, राज्य सब कुछ करता है। राज्य आपको सब कुछ देगा तो राज्य यह भी तय करेेगा कि आपके घर में कितने बच्चे होंगे। इसमें प्रजातंत्र की अनिवार्यता भी जरूरी है।
कैदियों की परिजनों से हो सकेगी वीडियो कॉल पर बात
लखनऊ। कारागार विभाग के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मवीर प्रजापति ने कहा है कि जेलों में बंद कैदियों की उनके परिजनों से वीडियो काल के जरिए बात कराए जाने की व्यवस्था की जाए। बंदियों से उनके परिजनों से होने वाली बातचीत की रिकार्डिंग की भी व्यवस्था हो। इससे न सिर्फ कैदियों के परिजनों को जेल के चक्कर लगाने से निजात मिलेगी, बल्कि अनियमितता की शिकायतें भी दूर होंगी। जेल मंत्री ने प्रदेश भर की जेलों के अधिकारियों के साथ वीसी में ये निर्देश दिए। जेल मंत्री ने कहा कि अपनी मां के साथ जेलों में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई-लिखाई बेहतर ढंग से हो तथा उन्हें यह महसूस न हो कि वे जेल में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षित किया जाए। जल्द ही बंदियों द्वारा तैयार किए गए उत्पाद को इस्टाल लगाकर उन्हें आमजन तक पहुंचाया जायेगा। धर्मवीर प्रजापति ने जेल अधीक्षकों को निर्देश दिए कि कि कैदियों के भोजन की बेहतर व्यवस्था हो, मानकों के साथ कोई समझौता न किया जाए। मंत्री ने योग दिवस की तैयारियां समय से पूरी करने के भी निर्देश दिए।