Waqf Bill पर गरमाई सियासत, मायावती ने कर दी कानून रद्द करने की मांग

नए वक्फ कानून को लेकर सियासत गरमाई हुई है... इस बीच बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः नए वक्फ कानून को लेकर सियासत गरमाई हुई है….. इस बीच बहुजन समाज पार्टी की मुखिया व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला है…… साथ ही साथ उन्होंने वक्फ कानून पर सवाल उठाए हैं….. बसपा प्रमुख मायावती ने मोदी-शाह पर बड़ा आरोप लगाया है…. आपको बता दें कि एक बार फिर वक्फ कानून को लेकर हलचल मच गई है…… केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ (संशोधन) विधेयक……. 2024 ने न केवल सियासी गलियारों में बहस छेड़ दी है……. बल्कि विपक्षी दलों को भी सरकार के खिलाफ एकजुट होने का मौका दे दिया है……. इस विधेयक के खिलाफ बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने तीखा हमला बोला है….. और उन्होंने न केवल इस बिल को असंवैधानिक करार दिया……. बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर भी जमकर निशाना साधा…… मायावती ने केंद्र सरकार से इस बिल को तत्काल रद्द करने की मांग की है…… इसे अल्पसंख्यकों….. और बहुजनों के हितों के खिलाफ बताया है……

आपको बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक……. 2024 को केंद्र सरकार ने अगस्त 2024 में संसद में पेश किया था…… इसका मकसद वक्फ बोर्ड के कामकाज को और पारदर्शी बनाना……. संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना और वक्फ कानूनों को आधुनिक बनाना बताया गया है……. सरकार का दावा है कि इस बिल से वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन होगा…….. जिससे अल्पसंख्यक समुदाय को इसका लाभ मिलेगा……. विधेयक में कुछ प्रमुख बदलाव शामिल हैं……. जैसे वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रजिस्ट्रेशन…….. गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना……. और संपत्ति विवादों के निपटारे के लिए नए प्रावधान शामिल हैं…..

हालांकि, विपक्षी दलों और कई मुस्लिम संगठनों ने इस बिल को अल्पसंख्यकों के धार्मिक मामलों में सरकारी दखलंदाजी के तौर पर देखा है…… उनका कहना है कि यह बिल वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कमजोर करता है…… और संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन करता है……. मायावती ने इस बिल को जल्दबाजी में थोपा गया बताते हुए कहा कि सरकार ने इसे लाने से पहले न तो अल्पसंख्यक समुदाय से विचार-विमर्श किया….. और न ही जनता को इसे समझने का पर्याप्त समय दिया……

वहीं मायावती ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया में कोई कसर नहीं छोड़ी…… एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि वक्फ बिल पूरी तरह से गैर-संवैधानिक है…… यह न केवल अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला है……. बल्कि बहुजनों के हितों को भी नजरअंदाज करता है…… केंद्र सरकार की इस जल्दबाजी और एकतरफा रवैये से साफ है…… कि वह संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी कर रही है……

और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि विपक्ष के तमाम आरोपों के बावजूद इस बिल पर मोदी की चुप्पी……. और शाह का बचाव चिंता का विषय है…… यह सरकार अल्पसंख्यकों और बहुजनों को सिर्फ वोट बैंक समझती है……. लेकिन उनके हक और हितों की रक्षा करने में नाकाम रही है……. मायावती ने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी ने हर जगह आरक्षण को निष्प्रभावी कर दिया है……. और अब वक्फ जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी राजनीति कर रही है……

वहीं वक्फ बिल पर विपक्षी दलों का रुख भी चर्चा का विषय बना हुआ है……. कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस, और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन जैसे दलों ने इस बिल का विरोध किया है……. कांग्रेस ने इसे अल्पसंख्यक विरोधी करार दिया……. जबकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे मुस्लिम समुदाय की भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया…… टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी बिल को वापस लेने की मांग की है…… हालांकि, मायावती ने विपक्षी दलों की इस एकजुटता को राजनीतिक अवसरवाद करार दिया….. और उन्होंने कहा कि ये दल सिर्फ वोट की राजनीति के लिए इस मुद्दे को उठा रहे हैं…… वहीं जब बहुजनों और अल्पसंख्यकों के हक की बात आती है……. तो ये पार्टियां भी उतनी ही दोषी हैं जितनी भाजपा दोषी है…..

आपको बता दें कि वक्फ बिल के खिलाफ मुस्लिम संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया है…… ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है….. बोर्ड का कहना है कि वक्फ संपत्तियां धार्मिक….. और सामाजिक कार्यों के लिए हैं…… और इसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना या सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाना स्वीकार्य नहीं है…… कई मुस्लिम नेताओं ने इसे मस्जिदों और मदरसों पर सरकारी कब्जे की साजिश तक करार दिया है…… वहीं केंद्र सरकार और भाजपा ने इस बिल का बचाव करते हुए कहा है कि यह वक्फ बोर्ड में सुधार के लिए जरूरी है……. केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में बिल पेश करते समय कहा था कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकेगा…… और अल्पसंख्यक समुदाय को इसका सीधा लाभ मिलेगा…… भाजपा का कहना है कि वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता की कमी….. और भ्रष्टाचार की शिकायतें लंबे समय से आ रही थीं….. जिन्हें यह बिल दूर करेगा…..

हालांकि विपक्ष और मायावती जैसे नेताओं का मानना है कि सरकार का यह कदम सियासी फायदे के लिए उठाया गया है…… मायावती ने कहा कि भाजपा मंदिर-मठ जैसे मामलों में तो दिलचस्पी दिखाती है…… लेकिन मस्जिदों और मदरसों जैसे अल्पसंख्यक मामलों में दखलंदाजी करना संविधान के खिलाफ है….. वक्फ बिल का मुद्दा केवल कानूनी या धार्मिक नहीं……. बल्कि सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी गहरा असर डाल रहा है…… अल्पसंख्यक समुदाय में इस बिल को लेकर असंतोष बढ़ रहा है…….. जिसे विपक्षी दल अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रहे हैं……. मायावती की यह मांग कि बिल को रद्द किया जाए…… बहुजन और अल्पसंख्यक वोटरों को एकजुट करने की उनकी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है…..

वहीं भाजपा के लिए यह बिल एक दोधारी तलवार साबित हो सकता है…….. एक तरफ सरकार इसे सुधार के तौर पर पेश कर रही है……. लेकिन दूसरी तरफ अल्पसंख्यक समुदाय के विरोध से उसकी छवि को नुकसान पहुंच सकता है…….. खासकर 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद…… जब भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला…… ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर विपक्ष का हमला और तेज हो सकता है…… आपको बता दें कि वक्फ बिल को लेकर संसद में और सड़कों पर बहस जारी है…… बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है……. जो इस पर विस्तृत चर्चा करेगी…… मायावती ने मांग की है कि जेपीसी में सभी पक्षों की राय ली जाए…… और बिल को लागू करने से पहले जनता के संदेह दूर किए जाएं……

आपको बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 ने भारतीय राजनीति में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है…….. मायावती का केंद्र सरकार पर हमला और बिल को रद्द करने की मांग इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाती है…… यह बिल न केवल अल्पसंख्यकों के अधिकारों से जुड़ा है……. बल्कि संविधान की धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक समरसता के सवाल भी उठाता है…… आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासत और गरमाएगी…… और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और विपक्ष इसे कैसे संभालते हैं……

 

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