कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान की बड़ी कार्रवाई, पुलिसकर्मियों से अभद्रता मामले में उन्नाव में तीन व बिजनौर में एक गिरफ्तार

लखनऊ। राज्य के डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे देवेंद्र सिंह चौहान को पुलिसकर्मियों के साथ जरा सी भी अभद्रता बर्दाश्त नहीं है। उन्नाव तथा बिजनौर में मंगलवार को पुलिसकर्मियों के साथ अभद्रता के मामले में उन्होंने उन्नाव और बिजनौर के एसपी को तत्काल ही एक्शन लेने का निर्देश दिया। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी करने को कहा। कार्यवाहक डीजीपी देवेंद्र सिंह चौहान के इस अल्टीमेटम के बाद उन्नाव और बिजनौर का पुलिस प्रशासन एक्शन में आ गया। उन्नाव और बिजनौर में पुलिसकर्मियों से अभद्रता के मामले में डीजीपी के आदेश के बाद सख्त कार्रवाई की गई। उन्नाव में तीन व्यक्तियों और बिजनौर में एक अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया। कार्यवाहक डीजीपी चौहान ने कहा कि प्रदेश में पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी से काम करने वाले पुलिसकर्मियों के मान सम्मान की रक्षा प्रत्येक दशा में किसी भी कीमत पर की जाएगी। वर्दी की इज्जत से खेलने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। वर्दी पहनने वालों से अभद्रता करने वाला कोई भी कहीं पर भी नह्यह्यहीं छोड़ा जाएगा। डीजीपी ने सभी जिला पुलिस प्रशासन को इस बाबत निर्देश दिया है कि किसी भी वर्दी वाले के साथ अभद्रता की जानकारी मिलने पर तत्काल एक्शन लें।

इतना ही नहीं, सभी जगह पर गलत काम करने वाले पुलिस कर्मियों को सजा और कर्तव्यनिष्ठों का सम्मान बचाना जरूरी है। प्रदेश के सभी पुलिस कर्मियों के सम्मान की रक्षा की जाएगी। उनके मान सम्मान की रक्षा प्रत्येक दशा में की जाएगी। इसी क्रम में उन्नाव और बिजनौर में पुलिसकर्मियों से अभद्रता मामले में कार्रवाई की गई है। उन्नाव में ट्रैफिक पुलिस कर्मी से अभद्रता की गई तो बिजनौर में चेकिंग करने वाली टीम के साथ मारपीट की गई।

अभद्रता करना अब दबंगों को पड़ेगा भारी
पुलिस से अभद्रता करना अब दबंगों को भारी पड़ेगा। पुलिस महानिदेशक डीएस चौहान ने इसको लेकर सख्त निर्देश दिए हैं। कहा है कि पुलिसकर्मियों से दुर्व्यवहार करने वाले लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। पुलिस महानिदेशक ने कहा है कि पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों को अंजाम देने वाले और जनता की सेवा करने वाले पुलिसकर्मियों के मान-सम्मान की हर हाल में रक्षा की जाएगी। विधि की संपूर्ण शक्तियां ऐसे अराजकतत्वों के विरुद्ध अपने कठोरतम रूप से प्रभावी की जाएगी, जो पुलिस कर्मियों के विधि पूर्ण कार्यों में बाधा पहुंचाकर दुर्व्यवहार करते हैं। ऐसे लोगों को गिरफ्तार कर कठोर कार्रवाई की जायेगी।

मुख्य सचिव ने गोरखपुर चिड़ियाघर का किया भ्रमण

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने गोरखपुर चिड़ियाघर के गैंडा हर व गौरी को फल खिलाया। उन्होंने अपने मोबाइल से शेर पटौदी की फोटो खींची। उसके बाड़े के सामने उन्होंने नीम का पौधा भी लगाया। चिड़ियाघर के अधिकारियों से उन्होंने जानवरों के भोजन व रखरखाव की जानकारी ली। मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने सुबह चिड़ियाघर का भ्रमण किया। उन्होंने सर्वाधिक समय गैंडा हर व गौरी तथा शेर पटौदी के बाड़े के सामने दिया। हर व गौरी को उन्होंने केला खिलाया। बाड़े में उनकी हरकतें देखकर वह रोमांचित दिखे। पटौदी को देखकर वह बेहद प्रसन्न नजर आए। उन्होंने मोबाइल से उसकी फोटो ली। उसकी गतिविधियों के विषय में चिड़ियाघर के निदेशक डॉ. एच राजा मोहन व पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ योगेश प्रताप सिंह से जानकारी ली। मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने पटौदी के बाड़े के सामने नीम का पौधा लगाया। मुख्य सचिव सुबह ही चिड़ियाघर पहुंच गए थे। पक्षियों के बाड़े को देखते हुए वह भालू नीतीश व रानी के बाड़े के सामने पहुंचे। हिरणों को विचरण करते देखा। सफेद हिरण को देखकर उन्होंने उसके विषय में चिड़ियाघर के लोगों से जानकारी ली। इसके अलावा तेंदुआ नारद, दरियाई घोड़ा नन्हे व लक्ष्मी के बाड़े के सामने रुके। उनके सेहत के विषय में डॉ योगेश प्रताप सिंह से पूछा। साथ ही यह भी जानकारी ली कि उन्हें कितना भोजन दिया जा रहा है। जानवरों का बाड़ा देखने के पूर्व उन्होंने सभी अधिकारियों से उन्होंने समीक्षा बैठक की।

ज्ञानवापी मामले में हाईकोर्ट ने सुनी दोनों पक्षों की दलीलें, अगली सुनवाई 6 को

 कम समय के चलते वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता नहीं रख सके पक्ष
लखनऊ। ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वेश्वर नाथ मंदिर विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई 6 जुलाई तक के लिए टाल दी। अदालत ने आज सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों की दलीलों को सुना और अगली सुनवाई के लिए छह जुलाई की तारीख तय कर दी है। इससे पहले अदालत ने सोमवार को मामले की सुनवाई की थी और 20 मई की तारीख दी थी। सोमवार को करीब एक घंटे तक चली सुनवाई में केवल मंदिर पक्ष की ओर से तथ्य पेश किए गए। मंदिर पक्ष के अधिवक्ता का कहना था कि मस्जिद में सिर्फ याची को नमाज पढ़ने की अनुमति कोर्ट ने दी थी, अन्य मुसलमानों को नहीं। इसके पहले सुनवाई शुरू होते हुए वाराणसी की जिला अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद के हो रहे सर्वे और सर्वे को लेकर को हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों से स्थिति जाननी चाही। कोर्ट को बताया गया कि सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी। जबकि निचली अदालत के आदेश पर सोमवार को भी सर्वे का काम हुआ। मंदिर पक्ष की ओर से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी पेश हुए।

उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में एक बड़ा शिवलिंग मिला है। निचली अदालत ने उस एरिया को सील करा दिया है। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सन 1936 में दीन मोहम्मद, मोहम्मद हुसैन व मोहम्मद जकारिया ने बनारस की अधीनस्थ अदालत में वाद दायर किया था। इसमें मौजा शहर खास, परगना देहात अमानत, बनारस गाटा संख्या 9130, एक बीघा नौ बिस्वा छह धूर, चबूतरा, पेड़, पक्का कुआं आदि को वक्फ संपत्ति घोषित करने और अलविदा नमाज पढ़ने अनुमति देने का अनुरोध किया गया था। अधिवक्ता के मुताबिक कोर्ट ने दावा साबित नहीं कर पाने के कारण यह वाद खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में प्रथम अपील दायर हुई। उसमें केवल याची को नमाज पढ़ने की राहत मिली थी, जिसका फायदा दूसरा कोई नहीं उठा सकता।

वह आदेश सामान्य मुसलमानों के लिए नहीं है। इसलिए वक्फ संपत्ति हिंदुओं के विरुद्ध नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि याची पक्ष सुप्रीम कोर्ट के जिन पांच जजों की पीठ के फैसले पर भरोसा कर रहा है, जबकि राम जन्म भूमि वाले मामले में सात जजों की पीठ का फैसला ज्यादा महत्वपूर्ण है। ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में वह अधिक प्रभावी है। मंदिर पक्ष की ओर से तर्क दिए जाने के बाद मामले में वक्फ बोर्ड की ओर से भी पेश हुए अधिवक्ता एसएएफ नकवी ने अपना पक्ष रखना चाहा, लेकिन समय की कमी को देखते हुए कोर्ट ने उनकी बहस को नहीं सुना और 20 मई की तिथि तय कर दी। कोर्ट ने कहा कि मामले में आगे की सुनवाई पर वक्फ बोर्ड के पक्ष को पहले सुना जाएगा। इसके बाद मंदिर पक्ष की बाकी बहस को पूरा सुना जाएगा।

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