सऊदी अरब का बड़ा फैसला, 1.5 गुना सैलरी का नया नियम लागू
सऊदी सरकार ने घरों में काम करने वाले खेती और पशुपालन से जुड़े मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए नए और सख्त नियम लागू किए हैं। मानव संसाधन मंत्री अहमद अल-राजही ने इन नए नियमों को मंजूरी दे दी है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: यहां हम दुनिया तमाम बड़ी खबरों को आपके समाने पेश करते हैं। इसी कड़ी में आज हम बात करने वाले एक बेहद अहम खबर के बारे में। दरअसल सऊदी अरब में काम करने वाले लाखों भारतीय मजदूरों के लिए एक बहुत बड़ी राहत की खबर आई है।
सऊदी सरकार ने घरों में काम करने वाले खेती और पशुपालन से जुड़े मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए नए और सख्त नियम लागू किए हैं। मानव संसाधन मंत्री अहमद अल-राजही ने इन नए नियमों को मंजूरी दे दी है। इसका सीधा फायदा वहां रहने वाले बड़े भारतीय समुदाय को मिलेगा। अब मालिकों की मनमानी नहीं चलेगी और कामगारों को उनका पूरा हक मिलेगा।
सऊदी अरब दुनिया का एक ऐसा देश है जहां लाखों प्रवासी कामगार आते हैं। ये लोग भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, फिलीपींस और दूसरे देशों से आकर यहां निर्माण, घरेलू काम, ड्राइविंग और फैक्ट्री जैसे काम करते हैं। इनके लिए सऊदी की सरकार ने इसी साल लेबर लॉ में कुछ बड़े बदलाव किए हैं। सबसे खास बदलाव ओवरटाइम के बारे में है।
पहले भी ओवरटाइम पर थोड़ी ज्यादा पेमेंट मिलती थी, लेकिन अब यह साफ-साफ डेढ़ गुना यानी 1.5 गुना हो गई है। मतलब, अगर कोई कामगार सामान्य घंटों से ज्यादा काम करे, तो उसके हर अतिरिक्त घंटे की सैलरी सामान्य घंटे की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा मिलेगी। यह बदलाव प्रवासी कामगारों के लिए बहुत राहत की बात है, क्योंकि वे अक्सर लंबे समय तक काम करने को मजबूर होते हैं। इस वीडियो के माध्यम से हम समझेंगे कि यह नियम क्या है, कैसे लागू होता है, इसका फायदा क्या है और प्रवासी कामगारों की जिंदगी पर इसका असर कैसे पड़ेगा।
पहले थोड़ा पीछे चलते हैं इतिहास में। सऊदी अरब में लेबर लॉ 1969 से चला आ रहा है, लेकिन इसमें समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं। वीजन 2030 के तहत सऊदी राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान ने देश को आधुनिक बनाने का प्लान बनाया है। इसमें विदेशी कामगारों के अधिकारों को मजबूत करना भी शामिल है। पहले के नियम में ओवरटाइम पर पेमेंट मिलती थी, लेकिन यह हमेशा साफ नहीं था। कई कंपनियां कामगारों को पूरा पैसा नहीं देती थीं, खासकर प्रवासियों को।
वे कफाला सिस्टम के तहत बॉस पर निर्भर होते हैं, जहां बॉस वीजा कंट्रोल करता है। इससे कामगार शोषण का शिकार हो जाते थे। 2025 के बदलावों से अब ओवरटाइम पर 50 प्रतिशत अतिरिक्त पैसा मिलना अनिवार्य है, जो कुल मिलाकर डेढ़ गुना बनता है। यह नियम मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्सेज एंड सोशल डेवलपमेंट ने लागू किया है। प्रवासी कामगारों के लिए यह इसलिए खास है क्योंकि वे सऊदी आबादी का बड़ा हिस्सा हैं। आंकड़ों के मुताबिक, सऊदी में 13 मिलियन से ज्यादा विदेशी कामगार हैं, जो कुल वर्कफोर्स का 70 प्रतिशत हैं।
अब आते हैं मुख्य नियम पर। सऊदी लेबर लॉ के अनुसार, सामान्य काम के घंटे 8 प्रति दिन या 48 प्रति सप्ताह हैं। अगर कोई कामगार इससे ज्यादा काम करे, तो वह ओवरटाइम माना जाता है। मिसाल के लिए मान लीजिये अगर कोई निर्माण मजदूर सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक काम करता है, तो 8 घंटे सामान्य हैं। उसके बाद के घंटे ओवरटाइम। अब नया नियम कहता है कि ओवरटाइम के हर घंटे पर कामगार को अपनी सामान्य घंटे की सैलरी का डेढ़ गुना मिलेगा।
पहले यह कभी-कभी लागू नहीं होता था, लेकिन अब यह सख्ती से लागू है। यह नियम सभी कामगारों पर लागू होता है, चाहे वे सऊदी हों या विदेशी। प्रवासियों के लिए खास बात यह है कि उनके कॉन्ट्रैक्ट अब लिखित और फिक्स्ड टर्म होने चाहिए। अगर कॉन्ट्रैक्ट में टर्म न लिखा हो, तो डिफॉल्ट 1 साल का माना जाएगा, जो ऑटोमैटिक रिन्यू हो सकता है। इससे शोषण कम होगा। यह पैसा महीने के अंत में सैलरी के साथ मिलेगा।
यह नियम छुट्टियों पर भी लागू होता है। सऊदी में वीकेंड रविवार है, और पब्लिक हॉलिडेज जैसे ईद या नेशनल डे पर काम करने पर सामान्य दिन की सैलरी प्लस ओवरटाइम मिलता है। यानी कुल डबल पे। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई नर्स ईद पर 8 घंटे काम करे, तो उसे पूरा दिन की सैलरी मिलेगी प्लस 8 घंटे का 1.5 गुना।
यह प्रवासियों के लिए अच्छा है क्योंकि वे अक्सर हॉलिडेज पर भी काम करते हैं ताकि ज्यादा कमाई हो। रमजान में मुस्लिम कामगारों के लिए घंटे 6 प्रति दिन या 36 प्रति सप्ताह तक कम हो जाते हैं। उसके बाद ओवरटाइम लागू। गैर-मुस्लिम प्रवासी सामान्य नियम फॉलो करते हैं, लेकिन कंपनी पॉलिसी से बदलाव हो सकता है। इससे रमजान में थकान कम होगी।
ऐसे में अब सवाल ये बनता है कि क्या सभी को यह मिलेगा? नहीं, कुछ छूट हैं। मैनेजर या सुपरवाइजर जो हायरिंग या सजा देने का अधिकार रखते हैं, उन्हें ओवरटाइम नहीं मिलता। सेल्स वाले जो बाहर काम करते हैं या फ्लेक्सिबल कॉन्ट्रैक्ट वाले भी। लेकिन ये छूट कॉन्ट्रैक्ट में साफ लिखी होनी चाहिए।
प्रवासियों के लिए समस्या यह है कि कई बॉस इन छूटों का गलत फायदा उठाते थे। अब 2025 के नियम से कंपनियों को ऑर्गनाइजेशन चार्ट में यह साफ करना पड़ेगा। अगर नहीं, तो पूरा ओवरटाइम देना पड़ेगा। एमएचआरएसडी ने सख्ती बढ़ाई है, जुर्माना 10 हजार से 20 हजार SAR तक हो सकता है। कामगार मूसानेद ऐप या एमएचआरएसडी पोर्टल पर शिकायत कर सकते हैं। 2025 के बदलाव सिर्फ ओवरटाइम तक सीमित नहीं। कई दूसरे नियम भी बदले हैं जो प्रवासियों को फायदा पहुंचाते हैं। जैसे, प्रोबेशन पीरियड 180 दिन तक बढ़ा दिया गया, लेकिन अब हाउसिंग और ट्रांसपोर्ट बेनिफिट्स अनिवार्य हैं।
मातृत्व लीव 12 हफ्ते हो गई। अगर बॉस बिना वजह निकाले, तो सख्त सजा। नोटिस पीरियड एम्प्लॉयी के लिए 30 दिन, एम्प्लॉयर के लिए 60 दिन। कॉन्ट्रैक्ट अब फिक्स्ड टर्म, जिससे अनिश्चितता कम। सऊदीकरण क्वोटा बढ़े हैं, जैसे हेल्थकेयर, टूरिज्म में सऊदी लोगों को प्राथमिकता। इससे विदेशियों को कुछ सेक्टर में कम मौके मिल सकते हैं, लेकिन मौजूदा कामगारों के अधिकार मजबूत हो गए। वीजा रूल्स में भी बदलाव, अब थर्ड पार्टी काम पर सख्ती।
साथ ही आपके जहन में सवाल आ रहा होगा कि प्रवासी कामगारों पर इसका क्या असर पड़ेगा? तो आपको बता दें कि सबसे बड़ा फायदा कमाई बढ़ना। सऊदी में निर्माण जैसे प्रोजेक्ट्स में ओवरटाइम आम है। रियाद मेट्रो जैसे प्रोजेक्ट्स में प्रवासी दशकों से काम कर रहे हैं, लेकिन कम पैसे में। अब डेढ़ गुना से उनका मासिक इनकम 20-30 प्रतिशत बढ़ सकता है। मान लीजिए, एक बांग्लादेशी मजदूर जो 4 हजार SAR कमाता है और महीने में 40 घंटे ओवरटाइम करता है।
पहले शायद 20-25 SAR प्रति घंटा मिलता, अब 1.5 गुना से 600-700 SAR एक्स्ट्रा। सालाना 7-8 हजार SAR ज्यादा। इससे परिवार को भेजने के पैसे बढ़ेंगे, घर खरीदने का सपना पूरा होगा। लेकिन चुनौतियां भी हैं। कुछ कंपनियां घंटे कम करने की कोशिश करेंगी ताकि ओवरटाइम न देना पड़े। सऊदीकरण से नौकरियां कम हो सकती हैं। फिर भी, कुल मिलाकर यह कामगारों के हक के लिए सकारात्मक है। एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे संगठन कहते हैं कि पहले शोषण ज्यादा था, अब नियम मजबूत हो रहे हैं।
इस नियम का आर्थिक असर भी बड़ा है। सऊदी इकोनॉमी वीजन 2030 पर चल रही है। ज्यादा पैसे से कामगार ज्यादा खरीदेंगे, लोकल बिजनेस बढ़ेगा। कंपनियों पर खर्च बढ़ेगा, लेकिन प्रोडक्टिविटी सुधरेगी क्योंकि कामगार खुश होंगे। ग्लोबल लेवल पर, यह मिडिल ईस्ट के दूसरे देशों के लिए उदाहरण बनेगा। यूएई और कतर भी ऐसे बदलाव कर रहे हैं। प्रवासियों के लिए सलाह: हमेशा लिखित कॉन्ट्रैक्ट लें, ओवरटाइम ट्रैक करें। अगर समस्या हो, तो एमएचआरएसडी से संपर्क करें। कंपेंसेटरी लीव का ऑप्शन भी नया है। अगर कामगार और बॉस सहमत हों, तो ओवरटाइम के पैसे की बजाय छुट्टी मिल सकती है। जैसे, 1 घंटे ओवरटाइम पर 1.5 घंटे की लीव। यह फ्लेक्सिबल है, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट में लिखा होना चाहिए। प्रवासियों के लिए अच्छा, क्योंकि कभी पैसे की जरूरत न हो तो आराम मिले। लेकिन मजबूरी में न लें।
कुल मिलाकर, यह बदलाव सऊदी में काम करने वाले प्रवासियों के लिए एक नई उम्मीद है। पहले वे सिर्फ कमाने के लिए आते थे, अब अधिकारों के साथ। लेकिन सफलता के लिए जागरूकता और एकता जरूरी। अगर सभी कामगार मिलकर नियमों का पालन करवाएं, तो शोषण खत्म हो जाएगा। सऊदी सरकार का यह कदम वीजन 2030 को मजबूत करेगा, और प्रवासी घर लौटकर गर्व से कहेंगे कि उन्होंने योगदान दिया। यह नियम सिर्फ पैसे की बात नहीं, सम्मान की बात है।



